नई दिल्लीः फियो ने शुक्रवार को कहा कि आरबीआई के नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कटौती के फैसले से बैंकों में नकदी बढ़ेगी, जिससे निर्यातकों को आसान शर्तों पर कर्ज मिलने में मदद मिलेगी। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष की पांचवीं द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में शुक्रवार को लगातार 11वीं बार नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा। वहीं, अर्थव्यवस्था में नकदी बढ़ाने के मकसद से सीआरआर (नकद आरक्षित अनुपात) को 4.5 प्रतिशत से घटाकर चार प्रतिशत कर दिया।
इस कदम से बैंकों में 1.16 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी उपलब्ध होगी। इसे 14 दिसंबर और 28 दिसंबर को दो किस्तों में प्रभावी किया जाएगा। नकद आरक्षित अनुपात जमाराशि का वह अनुपात है जिसे बैंकों को केंद्रीय बैंक के पास रखना होता है। भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि निर्यातक पहले से ही नकदी के मोर्चे पर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘‘ ऐसे समय में सीआरआर में कटौती से नगदी प्रवाह बढ़ाने में मदद मिलेगी।’’ सीआरआर में कटौती से बैंकिंग प्रणाली में 1.16 लाख करोड़ रुपये आएंगे और इससे अल्पावधि ब्याज दरें नरम होंगी तथा बैंक जमा दरों पर दबाव कम हो सकता है। फियो ने पहले कहा था कि निर्यातकों को दिए जाने वाले बैंक ऋण में गिरावट से इस क्षेत्र को नुकसान होगा।
शीर्ष निर्यातक निकाय के अनुसार, 2021-22 से 2023-24 के बीच रुपये के संदर्भ में निर्यात में 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि मार्च 2024 में बकाया ऋण 2022 के इसी महीने की तुलना में पांच प्रतिशत कम रहा। फियो के अध्यक्ष अश्विनी कुमार ने कहा कि अब सरकार को निर्यातकों के लिए ब्याज समतुल्यीकरण (या सब्सिडी) योजना को पांच साल तक बढ़ाने पर विचार करना चाहिए।
कुमार ने कहा, ‘‘ ऋण की उपलब्धता से हमें विनिर्माण बढ़ाने और निर्यात को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। इसलिए ऋण की लागत कम होनी चाहिए। यह एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों) की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने में एक बड़ी मदद होगी।’’ हैंड टूल एसोसिएशन के चेयरमैन एस. सी. रल्हन ने कहा कि वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण भुगतान में देरी हुई है।
रल्हन ने कहा, ‘‘ हमें निर्यात बढ़ाने के लिए सस्ती दरों पर ऋण की आवश्यकता है।’’ अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चीन के खिलाफ उच्च सीमा शुल्क लगाने के संकल्प के बारे में पूछे जाने पर सहाय ने कहा कि इससे भारतीय निर्यातकों को निर्यात के अवसर मिलेंगे, क्योंकि मांग यहां स्थानांतरित होगी।
उन्होंने कहा, ‘‘ इसकी संभावना बहुत कम है कि अमेरिका भारतीय वस्तुओं पर शुल्क बढ़ाएगा।’’ जालंधर स्थित हैंडटूल निर्यातक ए. के. गोस्वामी ने कहा कि यूरोप में मांग ‘‘अच्छी है और मुझे चालू वित्त वर्ष में इंजीनियरिंग निर्यात में अच्छी वृद्धि की उम्मीद है।’’
ईरोस ग्रुप के निदेशक अवनीश सूद ने कहा कि ब्याज दर की स्थिरता घर खरीदारों का आत्मविश्वास बढ़ाती है और संपत्ति खरीदने की परिस्थिति को अधिक आकर्षक और उचित बनाती है। कोविड के बाद खरीदारों ने बड़े, अधिक भव्य घर खरीदने को प्राथमिकता दी है, ऐसे में स्थिर गृह ऋण संभावित खरीदारों को आवास की बढ़ती लागत के बावजूद कुछ राहत देते हैं। घर खरीदार अभी निर्माणाधीन परियोजनाओं में रुचि दिखा रहे हैं और ऐसे में कम या स्थिर ऋण दरें खरीदारों को अधिक क्रय शक्ति प्रदान करती हैं, जिससे बड़े घरों में निवेश करना आसान हो जाता है।"
केडब्लू ग्रुप के डायरेक्टर पंकज कुमार जैन ने कहा कि आरबीआई ने मुद्रास्फीति को कम करने के लिए रेपो दर को 6.5 आधार अंकों पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया है। हालांकि सेक्टर ने कटौती का स्वागत किया होगा, लेकिन अपरिवर्तित दर अभी भी बढ़ी हुई दर से बेहतर है क्योंकि खरीदार पहले से ही मौजूदा ब्याज दरों को स्वीकार कर चुके हैं और दरों में वृद्धि आदर्श नहीं होगी। सेक्टर में पिछले एक साल से सकारात्मक भावना देखी जा रही है और पिछली कुछ तिमाहियों में सकारात्मक आर्थिक विकास दर के साथ सेक्टर को भविष्य में कटौती की उम्मीद है।
आरजी ग्रुप के निदेशक हिमांशु गर्ग ने कहा कि हमारा यह मानना है कि स्थिर ब्याज दरें रियल एस्टेट क्षेत्र को आवश्यक लाभ प्रदान करती हैं और यह किसी भी बढ़ोतरी से बेहतर है जो बिक्री के आंकड़ों को प्रतिकूल तरीके से प्रभावित कर सकती है। ब्याज दरें स्थिर रहने पर घर खरीदने वाले संभावित दर वृद्धि के बारे में चिंता किए बिना अपना घर खरीदनें की योजना पर आगे बढ़ सकते हैं। ब्याज दरों के प्रभावित होने से निर्माण व्यय भी प्रभावित होता है एवं स्थिर दरें उद्योग के विस्तार में योगदान देती है।"
क्रेडाई पश्चिमी यूपी सचिव दिनेश गुप्ता ने कहा कि बाजार को उम्मीद थी कि घर खरीदारों के पक्ष में ब्याज दरों में कमी लाने के लिए रेपो दर में कटौती की जाएगी, लेकिन आरबीआई द्वारा रेपो दर को बनाए रखने के फैसले से निस्संदेह रियल एस्टेट बाजार को उसी गति से आगे बढ़ने में मदद मिलेगी।
डेवलपर्स के पास बढ़ी हुई लिक्विडिटी और वैकल्पिक फंडिंग विकल्पों के कारण बाजार में लग्जरी और मिड-सेगमेंट हाउसिंग की आपूर्ति और मांग में काफी वृद्धि देखी जा रही है। स्थिर दरें घर खरीदारों को ईएमआई में बढ़ोतरी के डर के बिना निवेश करते रहने के लिए प्रोत्साहित करेंगी।