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भारत के नागरिकों का हित और कल्याण सर्वोपरि, गवर्नर संजय मल्होत्रा कहा-केवाईसी के कारण जनधन खातों की संख्या घटी, सबसे निचले पायदान पर खड़े लोगों के साथ

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 6, 2025 12:13 IST

केवाईसी करने और वित्तीय समावेश के दायरे में सभी को लाने के लिए पंचायत स्तर पर शिविर आयोजित किये जा रहे हैं।

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ठळक मुद्देआरबीआई में, भारत के नागरिकों का हित और कल्याण सर्वोपरि है।लोगों के साथ भारत के लोग हमारे अस्तित्व का मूल कारण है। खातों की फिर से केवाईसी के कारण जनधन खातों की संख्या घटी है।

मुंबईः भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को कहा कि हमारे लिए देश के नागरिकों का हित और कल्याण सबसे ऊपर है। देश के नागरिक विशेष रूप से समाज के सबसे निचले तबके पर खड़े लोग हमारे अस्तित्व का मूल कारण हैं। मल्होत्रा ने चालू वित्त वर्ष की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए कहा कि आम लोगों को ध्यान में रखकर ही लोगों को बैंक खाता खोलने, फिर से केवाईसी करने और वित्तीय समावेश के दायरे में सभी को लाने के लिए पंचायत स्तर पर शिविर आयोजित किये जा रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘आरबीआई में, भारत के नागरिकों का हित और कल्याण सर्वोपरि है। सबसे निचले पायदान पर खड़े लोगों के साथ भारत के लोग हमारे अस्तित्व का मूल कारण है।’’ मल्होत्रा ने कहा, ‘‘ इसी को ध्यान में रखकर हम नागिरकों के हित में कई कदम उठा रहे हैं...।’’ जन-धन योजना के 10 वर्ष पूरे हो गये हैं। बड़ी संख्या में खातों की फिर से केवाईसी के कारण जनधन खातों की संख्या घटी है।

उन्होंने कहा कि ऐेसे में लोगों की सुविधा के लिए बैंक ग्राहकों के घर के पास ही सेवाएं प्रदान करने के प्रयास में, एक जुलाई से 30 सितंबर तक पंचायत स्तर पर शिविर आयोजित किये जा रहे हैं। इन शिविरों में नए बैंक खाते खोलने और पुनः केवाईसी (अपने ग्राहक को जानों) के अलावा, वित्तीय समावेश के दायरे में सभी को लाने के लिए छोटी राशि की बीमा और पेंशन योजनाओं के साथ ग्राहकों की शिकायतों के निपटान पर ध्यान दिया जा रहा है।

मल्होत्रा ने कहा, ‘‘ इसके अलावा, हम मृतक बैंक ग्राहकों बैंक खातों और लॉकर में रखी वस्तुओं से संबंधित दावों के निपटान की प्रक्रिया को मानकीकृत करने के लिए कदम उठा रहे हैं। इससे निपटान अधिक सुविधाजनक और सुगम होने की उम्मीद है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘तीसरा, हम आरबीआई ‘रिटेल-डायरेक्ट’ मंच की कार्यक्षमता का विस्तार कर रहे हैं ताकि खुदरा निवेशक व्यवस्थित निवेश योजनाओं (एसआईपी) के माध्यम से ट्रेजरी बिलों यानी सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश कर सकें।’’

आरबीआई ने वृद्धि दर का अनुमान 6.5 प्रतिशत पर कायम रखा; महंगाई का अनुंमान घटाया

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर का अनुमान बुधवार को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा। इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने मुद्रास्फीति के अनुमान को 3.7 प्रतिशत से घटाकर 3.1 प्रतिशत कर दिया है।

वित्त वर्ष 2025-26 के लिए तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति के फैसले साझा करते हुए आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि सामान्य से बेहतर दक्षिण-पश्चिम मानसून, कम मुद्रास्फीति, क्षमता इस्तेमाल में बढ़ोतरी और अनुकूल वित्तीय स्थितियां घरेलू आर्थिक गतिविधियों को समर्थन दे रही हैं। मजबूत सरकारी पूंजीगत व्यय सहित सहायक मौद्रिक, नियामकीय एवं राजकोषीय नीतियों से भी मांग में तेजी आने की उम्मीद है। आने वाले महीनों में निर्माण और व्यापार में निरंतर वृद्धि से सेवा क्षेत्र में भी गति बनी रहने के आसार हैं।

गवर्नर ने कहा, ‘‘ वृद्धि दर मजबूत है और अनुमानों के अनुसार बनी है। हालांकि, यह हमारी आकांक्षाओं से कम है। शुल्क की अनिश्चितताएं अब भी उभर रही हैं। मौद्रिक नीति का लाभ अब भी मिल रहा है। फरवरी, 2025 से रेपो दर में एक प्रतिशत की कटौती का अर्थव्यवस्था पर असर अब भी जारी है।’’

उन्होंने कहा कि घरेलू वृद्धि दर स्थिर है और मोटे तौर पर आकलन के अनुरूप ही आगे बढ़ रही है। हालांकि, मई-जून में कुछ उच्च-आवृत्ति (मसलन जीएसटी संग्रह, निर्यात, बिजली की खपत आदि) संकेतकों ने मिले-जुले संकेत दिए हैं। मल्होत्रा ने कहा कि ग्रामीण उपभोग में स्थिरता बनी हुई है, जबकि शहरी खपत में सुधार है विशेष रूप से विवेकाधीन व्यय धीमा है।

उन्होंने कहा कि लंबे समय से जारी भू-राजनीतिक तनाव, वैश्विक अनिश्चितताओं तथा वैश्विक वित्तीय बाजारों में अस्थिरता से उत्पन्न प्रतिकूल परिस्थितियां वृद्धि परिदृश्य के लिए जोखिम उत्पन्न कर रही हैं। गवर्नर ने कहा, ‘‘ इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए 2025-26 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

इसके पहली तिमाही में 6.5 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 6.7 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 6.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है।’’ वित्त वर्ष 2026-27 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है। जोखिम दोनों ओर समान रूप से संतुलित हैं।

मुद्रास्फीति पर गवर्नर ने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित महंगाई दर लगातार आठवें महीने गिरकर जून में 77 महीने के निचले स्तर 2.1 प्रतिशत पर आ गई। मुख्य रूप से खाद्य मुद्रास्फीति में भारी गिरावट से महंगाई दर नीचे आई है। उन्होंने कहा, ‘‘ 2025-26 के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान जून में अपेक्षा से अधिक अनुकूल रहा है।’’

आरबीआई ने कहा कि 2025-26 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति के 3.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसके दूसरी तिमाही में 2.1 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 3.1 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वहीं वित्त वर्ष 2026-27 की पहली तिमाही के लिए खुदरा मुद्रास्फीति 4.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

जोखिम दोनों ओर समान रूप से संतुलित हैं। मलहोत्रा ने कहा कि जैसे-जैसे भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी सही जगह बनाने का प्रयास कर रही है.. केवल मौद्रिक नीति तक सीमित न रहकर, बल्कि सभी क्षेत्रों में मजबूत नीतिगत ढांचे उसकी इस यात्रा में निर्णायक भूमिका निभाएंगे।

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