वर्ष 2021-22 के खरीफ सत्र में कुछ राज्यों में कम बारिश के कारण धान बुवाई का रकबा अब तक 1.23 प्रतिशत घटकर 388.56 लाख हेक्टेयर रह गया। कृषि मंत्रालय के शुक्रवार को जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है। इसी अवधि में, मोटे अनाज, तिलहन और कपास की बुवाई का रकबा कम रहा, जबकि दलहन, गन्ना और जूट/मेस्ता के रकबे में मामूली वृद्धि हुई। मुख्य खरीफ फसल धान की बुवाई जून से दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत के साथ शुरू होती है और इसकी कटाई का काम अक्टूबर से शुरू होता है। भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, एक जून से 25 अगस्त के बीच देश में 10 प्रतिशत दक्षिण-पश्चिम मानसून वर्षा की कमी थी। मध्य भारत में बारिश में 13 प्रतिशत, उत्तर पश्चिमी क्षेत्र में 12 प्रतिशत और पूर्व और पूर्वोत्तर में 11 प्रतिशत की कमी रही। दक्षिण क्षेत्र में अब तक तीन प्रतिशत अधिक बारिश हो चुकी है। मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, किसानों ने 26 अगस्त तक 388.56 लाख हेक्टेयर में धान बुवाई की है, जबकि एक साल पहले की अवधि में यह रकबा 393.41 लाख हेक्टेयर था। मध्य प्रदेश जैसे राज्यों को छोड़कर अधिकांश राज्यों में धान का कुल रकबा अब तक मामूली कम रहा है। उदाहरण के लिए, ओडिशा में धान का रकबा 36.04 लाख हेक्टेयर के मुकाबले घटकर 31.25 लाख हेक्टेयर रह गया, जबकि तेलंगाना में यह रकबा पिछले साल की समान अवधि के 18.79 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 17.61 लाख हेक्टेयर रहा। इसी तरह छत्तीसगढ़ में, धान का रकबा 26 अगस्त तक 36.67 लाख हेक्टेयर था, जो एक साल पहले की अवधि में 39.04 लाख हेक्टेयर था। धान की बुवाई के रकबे में गिरावट का कारण ओडिशा, गुजरात, जम्मू और कश्मीर और मिजोरम में बारिश में भारी कमी का होना रहा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अन्य धान उत्पादक राज्यों तेलंगाना, छत्तीसगढ़, झारखंड, केरल, मध्य प्रदेश, मणिपुर, नागालैंड और राजस्थान में बारिश कम हुई थी। मोटे अनाज की बुवाई का रकबा भी इस खरीफ सत्र में 26 अगस्त तक मामूली गिरावट के साथ 170.98 लाख हेक्टेयर रह गया जो एक साल पहले इसी अवधि में 173.61 लाख हेक्टेयर था। तिलहन खेती का रकबा भी 192.51 लाख हेक्टेयर के मुकाबले घटकर 189.51 लाख हेक्टेयर रह गया। हालांकि, 26 अगस्त तक दलहन का रकबा मामूली रूप से बढ़कर 135.83 लाख हेक्टेयर हो गया, जो एक साल पहले की समान अवधि में 134.23 लाख हेक्टेयर था। नकदी फसलों में कपास की बुवाई पहले के 128.41 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 117.42 लाख हेक्टेयर रह गई है। आंकड़ों के अनुसार, इसके विपरीत, गन्ने का रकबा पहले के 53.96 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 54.70 लाख हेक्टेयर हो गया, जबकि जूट/मेस्टा का रकबा 7.03 लाख हेक्टेयर पर लगभग अपरिवर्तित रहा, जो रकबा पहले सात लाख हेक्टेयर था।
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