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नारायण मूर्ति ने कहा" इंफोसिस बनाते समय मैंने हफ्तों 85 से 90 घंटे काम किया था, यह बर्बादी नहीं है"

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: December 9, 2023 13:19 IST

इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति ने हफ्ते में काम के घंटों को लेकर अपने पुराने बयान को एक बार फिर दोहराते हुए कहा कि जिस जमाने में उन्होंने इंफोसिस की नींव रखी थी, वो हफ्तों तक 85 से 9 घंटे काम किया करते थे।

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ठळक मुद्देनारायण मूर्ति ने हफ्ते में काम के घंटों को लेकर अपने पुराने बयान को एक बार फिर दोहरायामूर्ति ने कहा कि इंफोसिस की नींव रखे जाने के समय वो खुद हफ्ते में 85 से 90 घंटे काम करते थे इंफोसिस के संस्थापक ने कहा कि भारत में युवाओं को हफ्ते में कम से कम 70 घंटे काम करना चाहिए

नई दिल्ली: देश और दुनिया की जानीमानी आईटी कंपनी इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति ने हफ्ते में काम के घंटों को लेकर अपने पुराने बयान को एक बार फिर दोहराते हुए कहा कि जिस जमाने में उन्होंने इंफोसिस की नींव रखी थी, वो हफ्तों तक 85 से 90 घंटे काम किया करते थे।

समाचार वेबसाइट इकोनॉमिक टाइम्स को दिये इंटरव्यू में नारायण मूर्ति ने बेहद आत्म विश्वास के साथ एक फिर कहा कि भारत में युवाओं को हफ्ते में कम से कम 70 घंटे काम करना चाहिए। उन्होंने कहा, "मैंने जब इंफोसिस की स्थापना की थी तो उस जमाने में मैं भी घंटों काम किया करता था और यह सिलसिला 1994 तक चला। मैं हफ्ते में 85 से 90 घंटे तक काम किया करता था।"

उन्होंने कहा, ''कंपनी के शुरूआती दिनों में मैं सुबह 6:20 बजे ऑफिस में होता था और रात 8:30 बजे ऑफिस छोड़ता था और हफ्ते में छह दिन काम करता था। मैं जानता हूं कि जो भी राष्ट्र समृद्ध हुआ, उसने कड़ी मेहनत से ही ऐसा किया है।"

नारायण मूर्ति ने कहा कि उनके माता-पिता ने उन्हें सिखाया था कि गरीबी से बचने का एकमात्र तरीका "बहुत- बहुत कड़ी मेहनत" करना है। हालांकि, उन्होंने कहा कि ऐसा तब होता है जब व्यक्ति को प्रत्येक कार्य घंटे से उत्पादकता मिलती है।

उन्होंने अपने पुराने बयान को दोहराते हुए कहा, "मेरे पूरे 40 से अधिक वर्षों के पेशेवर जीवन के दौरान मैंने सप्ताह में 70 घंटे काम किया। जब हमारा सप्ताह छह दिन का था। साल 1994 तक मैं सप्ताह में कम से कम 85 से 90 घंटे काम करता था। यह वक्त की बर्बादी नहीं है।"

मालूम हो कि इससे पहले बीते अक्टूबर में इंफोसिस के पूर्व सीएफओ मोहनदास पई के साथ बातचीत में कंपनी के संस्थापक नारायण मूर्ति ने कहा था कि अगर भारत चीन और जापान जैसे सबसे तेजी से बढ़ते देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करना चाहता है तो उसे कार्य उत्पादकता बढ़ाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा था, “द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मनी और जापान के लोगों ने अपने देश की खातिर ज्यादा से ज्यादा  घंटों तक काम किया। भारत में भी युवा ही देश के मालिक हैं और हमारी अर्थव्यवस्था के लिए कड़ी मेहनत करते हैं।”

नारायण मूर्ति के इस बयान का समर्थन करते हुए ओला कंपनी के सीईओ भाविश अग्रवाल ने कहा कि यह समय हमारे लिए कम काम करने का है। हमारे पास मनोरंजन करने का समय नहीं होना चाहिए।

उद्योगपति सज्जन जिंदल ने भी कहा कि वह नारायण मूर्ति के बयान का तहे दिल से समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि पांच दिवसीय सप्ताह की संस्कृति वह नहीं है, जिसकी भारत जैसे तेजी से विकासशील देश को जरूरत है।

हालांकि, सोशल मीडिया पर कई लोग नाराणय मूर्ति से सहमत नहीं हैं। फिल्म निर्माता रोनी स्क्रूवाला ने कहा कि उत्पादकता बढ़ाना केवल लंबे समय तक काम करने के बारे में नहीं है।

वहीं बीते सोमवार को संसद के शीतकालीन सत्र में भी नारायण मूर्ति की सलाह की चर्चा हुई। तीन लोकसभा सांसदों ने मोदी सरकार से पूछा कि क्या वह इंफोसिस के सह-संस्थापक द्वारा दिए गए सुझाव का मूल्यांकन कर रही है।

इसके जवाब में केंद्रीय श्रम और रोजगार राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने सदन में जवाब देते हुए कहा, "ऐसा कोई प्रस्ताव भारत सरकार के पास विचाराधीन नहीं है।"

टॅग्स :इंफोसिसInfosys Foundationभारतजापान
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