देश की शीर्ष तेल कंपनी, इंडियन ऑयल कॉर्प (आईओसी) ने शुक्रवार को कहा कि वह अगले 4-5 वर्षों में अपनी परिशोधन क्षमता में लगभग एक तिहाई की वृद्धि करने के लिए एक लाख करोड़ रुपये तक निवेश करेगी। कंपनी को निकट भविष्य में ईंधन की मांग लगातार बढ़ने की उम्मीद है। कंपनी की वार्षिक बैठक में शेयरधारकों को संबोधित करते हुए, आईओसी के अध्यक्ष श्रीकांत माधव वैद्य ने कहा कि पेट्रोल की मांग पहले से ही कोविड से पहले के स्तर पर वापस पहुंच चुकी है और डीजल की मांग भी दिवाली तक सामान्य स्तर पर पहुंच जानी चाहिये। उन्होंने कहा, ‘‘विभिन्न एजेंसियों के पूर्वानुमानों में भारत में ईंधन की मांग वर्ष 2040 तक मौजूदा 25 करोड़ टन से बढ़कर 40-45 करोड़ टन तक पहुंच जाने का अनुमान लगाया गया है। यह ऊर्जा के अन्य सभी प्रारूपों के साथ पेट्रोल-डीजल के लिये भी बेहतर गुंजाइश रखता है।’’ वैद्य ने कहा मांग में वृद्धि को पूरा करने के लिए, आईओसी आक्रामक रूप से नई परियोजनाएं शुरू कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘इसके परिणामस्वरूप (सहायक कंपनी) सीपीसीएल सहित प्रति वर्ष 2.5 करोड़ टन से अधिक की रिफाइनिंग क्षमता का विस्तार करना होगा और अगले इसके लिये 4 से 5 वर्ष में करीब एक लाख करोड़ रुपये का निवेश जरूरी होगा।’’ आईओसी 11 रिफाइनरियों का संचालन करती है जो कच्चे तेल को पेट्रोल और डीजल जैसे मूल्यवान ईंधन में परिवर्तित करती है। इनकी कुल क्षमता 8.12 करोड़ टन की है। कंपनी ने गुजरात में अपनी कोयाली रिफाइनरी की क्षमता मौजूदा 1.37 करोड़ टन से बढ़ाकर 1.8 करोड़ टन करने की योजना बनाई है, जबकि हरियाणा स्थित पानीपत रिफाइनरी की मौजूदा 1.5 करोड़ टन की क्षमता को बढ़ाकर 2.5 करोड़ टन तक पहुंचाने की योजना है। गुवाहाटी और बरौनी रिफाइनरियों में भी विस्तार की योजना है, जबकि सहायक कंपनी, चेन्नई पेट्रोलियम कॉर्प लिमिटेड (सीपीसीएल) में एक नया संयंत्र बनाया जा रहा है। इन विस्तारों से आईओसी की रिफाइनिंग क्षमता बढ़कर 10.67 करोड़ टन वार्षिक हो जाएगी। कंपनी ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए एल्युमिनियम-एयर बैटरी बनाने के लिए इजरायल की कंपनी फिनर्जी के साथ करार किया है। हाइड्रोजन पहल पर उन्होंने कहा कि आईओसी मथुरा रिफाइनरी में देश का पहला 'हरित हाइड्रोजन' संयंत्र बनाएगी।
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