Indian Railways: रेलवे बोर्ड ने अपने सभी जोन को रेल चालकों और गार्ड की जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों, ड्यूटी के दौरान उनके द्वारा ली जाने वाली दवाओं और सुरक्षित ट्रेन संचालन पर इनके प्रभाव का विवरण उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।
मेट्रो रेलवे, कोलकाता और कोंकण रेलवे कॉरपोरेशन लिमिटेड (केआरसीएल) सहित सभी रेलवे जोन के महाप्रबंधकों को संबोधित 31 अगस्त के एक पत्र में कहा गया है कि बोर्ड ‘रनिंग स्टाफ’ द्वारा ली जा रही दवाओं के उपयोग और उन पर इसके प्रभाव से संबंधित मुद्दों की जांच कर रहा है।
रेल चालक (जिन्हें लोको पायलट भी कहा जाता है) और गार्ड राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर के ‘रनिंग स्टाफ’ के अंतर्गत आते हैं। इनके संबंधित संगठनों ने अक्सर कठोर कामकाजी परिस्थितियों के कारण मधुमेह, उच्च रक्तचाप और गंभीर मानसिक तनाव जैसी जीवनशैली संबंधी बीमारियों के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त की है।
बोर्ड ने जोनल रेलवे को ‘‘रनिंग स्टाफ के बीच विभिन्न प्रकार की जीवनशैली और नौकरी संबंधी परिस्थितियों के कारण होने वाली बीमारियों’’ और ‘‘ट्रेन चालक दल के सदस्यों की जीवनशैली पर रनिंग ड्यूटी के प्रभाव’’ के बारे में अपनी टिप्पणियों के साथ आंकड़े प्रदान करने का निर्देश दिया है।
इसका मकसद यह पता लगाना है कि क्या ऐसी बीमारियों का ट्रेन के सुरक्षित संचालन से कोई संबंध है? रेलवे ने यह भी जानना चाहा है कि चालकों, गार्ड और उनके परिवार के सदस्यों को ड्यूटी के दौरान ली जाने वाली दवाओं के बारे में क्या सलाह दी गई है और क्या वे ट्रेन संचालन के दृष्टिकोण से सुरक्षित हैं।
इन विवरणों के साथ ही रेल जोन को इस बारे में भी अपने सुझाव देने के लिए कहा गया है कि बदलते समय के साथ ‘रनिंग स्टाफ’ की आवधिक चिकित्सा जांच (पीएमई) की वर्तमान प्रणाली को किसी तरह समीक्षा की आवश्यकता है या नहीं। पत्र में कहा गया है, ‘‘आगे की आवश्यक कार्रवाई के लिए सुझाव/टिप्पणियां 10 सितंबर, 2023 तक भेजी जा सकती हैं।’’