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Economic Survey Budget 2024 Live: अभी टेंशन नहीं!, भविष्य में लग सकता है ‘झटका’, 2023-24 की आर्थिक समीक्षा पेश

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 22, 2024 15:16 IST

Economic Survey Budget 2024 Live: आने वाले समय में कंपनियों और बैंकों के मजबूत बही-खाते निजी निवेश को और मजबूत करेंगे।

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ठळक मुद्देपूंजी बाजार पर निर्भरता और उसके उपयोग की अपनी चुनौतियों भी हैं।कंपनियों और बैंकों के मजबूत बही-खाते निजी निवेश को और मजबूत करेंगे।वैश्विक स्तर पर वित्तीय मध्यस्थता की लागत में कमी आए।

Economic Survey Budget 2024 Live: देश के वित्तीय क्षेत्र के लिए परिदृश्य उज्ज्वल है, लेकिन उसे ‘झटकों’ के लिए तैयार रहने की जरूरत है। संसद में सोमवार को पेश 2023-24 की आर्थिक समीक्षा में यह कहा गया है। इसमें कहा गया है कि देश का वित्तीय क्षेत्र तेजी के रास्ते पर है। कर्ज के लिए बैंक पर निर्भरता कम हो रही है और पूंजी बाजार की भूमिका बढ़ रही है। भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की ओर बढ़ रहा है। ऐसे में यह बदलाव लंबे समय से प्रतीक्षित और स्वागतयोग्य है। इसमें कहा गया है, ‘‘हालांकि, पूंजी बाजार पर निर्भरता और उसके उपयोग की अपनी चुनौतियों भी हैं।

ऐसे समय जब, भारत का वित्तीय क्षेत्र इस महत्वपूर्ण परिवर्तन से गुजर रहा है, उसे झटकों के लिए भी तैयार रहना होगा। साथ ही जरूरी हस्तक्षेप और जोखिम से बचाव को लेकर नियामकीय और सरकारी नीतियों के साथ स्वयं को तैयार करने की भी जरूरत है।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘आने वाले समय में कंपनियों और बैंकों के मजबूत बही-खाते निजी निवेश को और मजबूत करेंगे।

आवासीय रियल एस्टेट बाजार में सकारात्मक रुझान से संकेत मिलता है कि परिवारों के स्तर पर पूंजी निर्माण काफी बढ़ रहा है।’’ मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन और उनकी टीम द्वारा तैयार समीक्षा में कहा गया है कि चूंकि भारत 2047 तक एक विकसित देश बनने के लक्ष्य पर आगे बढ़ रहा है, इसलिए यह जरूरी है कि वैश्विक स्तर पर वित्तीय मध्यस्थता की लागत में कमी आए।

समीक्षा के अनुसार, वित्तीय क्षेत्र को पूंजी निर्माण का समर्थन करने और एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) में व्यापार, व्यवसाय और निवेश को बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि उन्हें बड़े पैमाने का बनाया जा सके। इसमें कहा गया है, ‘‘इसे सभी नागरिकों को बीमा सुरक्षा और सेवानिवृत्ति सुरक्षा प्रदान करने की भी जरूरत है।

देश में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में बीमा और पेंशन कोष संपत्तियों की हिस्सेदारी क्रमशः 19 प्रतिशत और पांच प्रतिशत है, जबकि अमेरिका में यह 52 प्रतिशत और 122 प्रतिशत है। वहीं ब्रिटेन में यह 112 प्रतिशत और 80 प्रतिशत है। यानी इसमें आगे सुधार की काफी गुंजाइश है।’’ समीक्षा में सिफारिश की गयी है कि वित्तीय क्षेत्र की सार्वजनिक और निजी कंपनियों को ग्राहक-केंद्रित बनना होगा। इसके बिना, कोई भी आंकड़े बेमानी हैं।

सरकार ने संसद में रखी आर्थिक समीक्षा 2023-24

सरकार ने सोमवार को संसद के दोनों सदनों में वित्त वर्ष 2023-24 की आर्थिक समीक्षा पेश की। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में प्रश्नकाल समाप्त होने के बाद अध्यक्ष ओम बिरला की अनुमति से आर्थिक समीक्षा की प्रति सदन के पटल पर रखी। आर्थिक समीक्षा (सर्वे) सरकार द्वारा केंद्रीय बजट से पहले प्रस्तुत किया जाने वाला वार्षिक दस्तावेज है जिसमें अर्थव्यवस्था की स्थिति की निष्पक्ष समीक्षा होती है। वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग के आर्थिक संभाग द्वारा आर्थिक समीक्षा तैयार की जाती है।

इसे मुख्य आर्थिक सलाहकार की देखरेख में तैयार किया जाता है। देश में पहली बार आर्थिक समीक्षा 1950-1951 में पेश की गई थी जब यह बजट दस्तावेजों का ही हिस्सा होती थी। इसे 1960 के दशक में बजट से अलग किया गया और बजट पेश करने से एक दिन पहले संसद में प्रस्तुत किया जाने लगा।

वित्त मंत्री सीतारमण मंगलवार को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए केंद्रीय बजट प्रस्तुत करेंगी। उच्च सदन में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने भोजनावकाश के बाद बैठक शुरू होने पर सभापति जगदीप धनखड़ की अनुमति से आर्थिक समीक्षा 2023-24 की प्रति सभा के पटल पर रखी।

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