नयी दिल्ली, 23 नवंबर दूरसंचार नियामक ट्राई के चेयरमैन पी डी वाघेला ने मंगलवार को कहा कि देश में उपग्रह सेवा प्रदाताओं को अंतरिक्ष विभाग के पास जाने और सौदों पर 5 प्रतिशत शुल्क देने के बजाय मंजूरी प्राप्त विदेशी कंपनियों की सूची से सीधे क्षमता खरीद की अनुमति मिलनी चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि दूरसंचार विभाग को मंजूरी के लिये सरल एकल खिड़की व्यवस्था बनानी चाहिए। इस व्यवस्था में मंजूरी देने की प्रक्रिया में शामिल सभी एजेंसियों को एक ही जगह अपनी मंजूरी देनी चाहिए।
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के चेयरमैन ने ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम के एक कार्यक्रम में यह बात कही। उन्होंने कहा कि तकनीकी सुरक्षा मूल्यांकन के आधार पर अनुमोदित विदेशी उपग्रह प्रणालियों की एक सूची है। सेवा लाइसेंसधारी उनके साथ उपग्रह क्षमता के लिए बात कर सकते हैं।
वाघेला ने कहा, ‘‘सेवा लाइसेंसधारी को डीओएस (अंतरिक्ष विभाग और उनसे 5 प्रतिशत शुल्क लेने) द्वारा विदेशी उपग्रहों के अधिग्रहण के वर्तमान तरीके के बजाय अनुमोदित सूची से विदेशी उपग्रह, उपग्रह प्रणाली को चुनने की अनुमति दी जानी चाहिए। मुझे लगता है कि इस व्यवस्था पर पुनर्विचार किये जाने की जरूरत है।’’
वाघेला ने कहा कि मंजूरी प्रक्रिया में काफी बदलाव आये हैं, लेकिन अभी भी सुधार की गुंजाइश है।
उन्होंने कहा, ‘‘दूरसंचार विभाग को मंजूरी व्यवस्था के लिये एक व्यापक सरल एकीकृत एकल खिड़की व्यवस्था बनानी चाहिए। एक बार अगर आप डीओएस के पास गये, आपको फिर दूरसंचार विभाग के पास आवेदन देने की जरूरत नहीं पड़नी चाहिए...।’’
वाघेला ने कहा कि प्रक्रिया सरल होने से उपग्रह सेवा क्षेत्र में ऐसे समय जब विदेशी कंपनियां क्षेत्र में आना चाहती हैं, निवेश आकर्षक होगा।
कार्यक्रम में दूरसंचार सचिव के राजारमन ने कहा कि उपग्रह नेटवर्क के लिये मंजूरी प्रक्रिया को सरल बनाया जा रहा है। दूरसंचार विभाग ने उपग्रह आधारित संचार के विकास को लेकर कार्यबल गठित किया है। कार्यबल ने कुछ सिफारिशें दी हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हम उपग्रह आधारित संचार सेवा को लेकर बेहतर परिवेश के लिये उन सिफारिशों पर विचार कर रहे हैं।
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