अनुराग कश्यप की नवीनतम रिलीज 'निशानची' एक बार फिर चर्चा में है। फिल्म में एक बार फिर उनके भरोसेमंद अभिनेता विनीत कुमार सिंह की मौजूदगी ने सबका ध्यान खींचा है। भले ही फिल्म में नए चेहरे ऐश्वर्य ठाकरे लीड रोल में हों और कुमुद मिश्रा व जीशान अय्युब जैसे दिग्गज कलाकार भी मौजूद हों, लेकिन फिल्म की असल जान विनीत कुमार सिंह हैं। उनका किरदार स्क्रीन पर बहुत ज़्यादा देर तक नहीं दिखता, लेकिन अपनी छोटी सी मौजूदगी में ही वह पूरी फिल्म को एक 'ज़बरदस्त' ऊंचाई पर ले जाते हैं।
'जबरदस्त' बने फिल्म की रीढ़ की हड्डी
फिल्म का सबसे बड़ा सरप्राइज फैक्टर विनीत कुमार सिंह ही हैं, जिनका किरदार फिल्म की रीढ़ की हड्डी के समान है। उनके किरदार का नाम 'जबरदस्त' है, और वह सचमुच अपने काम से यही कमाल करते हैं। 'जबरदस्त' एक सीधा-साधा पहलवान है जो अपने सपनों को पूरा करना चाहता था, लेकिन एक साजिश का शिकार होकर उसका जीवन रुक जाता है।
फिल्म में वह हीरो ऐश्वर्य ठाकरे के पिता के किरदार में हैं और पूरी कहानी की दिशा और दशा उनके ही किरदार से तय होती है। पहलवान 'जबरदस्त' के रूप में विनीत कुमार सिंह का सशक्त अभिनय एक बार फिर दर्शकों के दिलों को छू गया है और इसे लंबे समय तक याद रखा जाएगा।
एक के बाद एक काम से अभिनय का लोहा मनवा रहे हैं विनीत
विनीत कुमार सिंह के लिए यह साल बेहद शानदार साबित हो रहा है। इस साल रिलीज हुई 'छावा', 'सुपरबॉयज ऑफ मालेगांव', और 'रंगीन' के बाद अब वह 'निशानची' में भी अपनी छाप छोड़ रहे हैं। 'निशानची' की रिलीज से पहले उनके किरदार को छिपाकर रखा गया था, लेकिन फिल्म सामने आते ही उनकी खूब तारीफें हो रही हैं।
उनके करियर की पहली ऐतिहासिक फिल्म 'छावा' में उन्होंने कवि कलश के किरदार को इस तरह जीवंत किया कि वह अब सिनेमा के इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुका है। इससे पहले 'मुक्काबाज' में उन्होंने जिस तरह का शारीरिक और मानसिक बदलाव किया, उसने उन्हें अभिनय के एक बिल्कुल अलग स्तर पर पहुंचा दिया।
यह विनीत कुमार सिंह के अभिनय की खासियत है कि उसमें कहीं भी दोहराव नहीं दिखता। हर किरदार में वह एक नए और प्रभावी तरीके से अपनी छाप छोड़ते हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि उन्होंने अपने दमदार अभिनय से इंडस्ट्री में एक अलग मुकाम बनाया है और वे उस पहचान और सम्मान के हकदार हैं, जिसकी इंडस्ट्री में अभी भी कमी महसूस होती है।