मुंबईः शाहरुख खान की फिल्म पठान के एक गाने को लेकर हो रहे विवाद के बीच मशहूर अभिनेत्री रत्ना पाठक ने कहा है कि वह उस दिन का इंतजार कर रहीं हैं जब नफरत आखिरकार लोगों को थका देगी। पठान के गाने बेशरम रंग को लेकर हो रहे विवाद पर रत्ना ने कहा है कि हम निहायत ही मूर्खतापूर्ण समय में रह रहे हैं।
इंडियन एक्सप्रेस को दिए साक्षात्कार में रत्ना ने फिल्म उद्योग को लेकर मौजूदा हालात के बारे में बात करते हुए उन्होंने इस बात की उम्मीद जताई की एक दिन समय बदलेगा।
हाल ही में शाहरुख खान और दीपिका पादुकोण स्टारर पठान के गीत "बेशरम रंग" को लेकर विवाद हो गया और भाजपा के मंत्रियों और दक्षिणपंथी संगठनों ने दावा किया कि भगवा हिंदुओं के लिए एक पवित्र रंग है जिसका गाने में अपमान किया गया है।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए रत्ना शाह पाठक ने कहा कि लोगों के पास अपनी थाली में खाना नहीं है, लेकिन लोग इस बात पर गुस्सा कर रहे हैं कि किसी ने क्या पहना है। अभिनेत्री से पूछा गया कि ऐसे समय में जब कोई क्या कहता है या उनके द्वारा पहने जाने वाले परिधान का रंग एक राष्ट्रीय विषय बन जाता है, बतौर एक कलाकार आपको कैसा लगता है?
रत्ना ने कहा, 'अगर ये चीजें आपके दिमाग में सबसे ऊपर हैं तो मैं कहूंगी कि हम बहुत मूर्खतापूर्ण समय में जी रहे हैं। यह ऐसा मुद्दा नहीं है जिसके बारे में मैं बहुत ज्यादा बात करना चाहूंगी या इसे ज्यादा महत्व दूंगी।' अभिनेत्री ने इसमें आगे कहा कि लेकिन मैं उम्मीद कर रही हूं कि भारत में इस समय जितने समझदार लोग दिखाई दे रहे हैं, उससे कहीं अधिक समझदार लोग हैं। वे निकल आएंगे, क्योंकि जो हो रहा है, यह भय की भावना, बहिष्कार की भावना टिकाऊ नहीं है।
रत्ना पाठक ने कहा कि मुझे लगता है कि इंसान एक हद से ज्यादा नफरत को बर्दाश्त नहीं कर सकता। एक विद्रोह होता है, लेकिन तब आप घृणा से थक जाते हैं। मैं उस दिन के आने का इंतजार कर रहा हूं।”