Manoj Kumar Passes Away: दिग्गज भारतीय अभिनेता और फिल्म निर्देशक मनोज कुमार का आज मुंबई में निधन हो गया। उन्होंने कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में रात करीब 3:30 बजे के करीब दम तोड़ दिया जिसके बाद उनका परिवार शोक में डूब गया है। निधन की खबरें मीडिया में आते ही पूरे देश में एक्टर को श्रद्धांजलि दी जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर बॉलीवुड अभिनेताओं तक एक्टर को श्रद्धांजलि दी जा रही है।
इस बीच, एक्टर के अंतिम संस्कार को लेकर लेटेस्ट अपडेट सामने आई है। अभिनेता और फिल्म निर्देशक मनोज कुमार के निधन पर उनके बेटे कुणाल गोस्वामी ने कहा, "पिता का निधन रात 3:30 बजे अंधेरी के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में हुआ। वे पिछले 2-3 सप्ताह से भर्ती थे। बढ़ती उम्र के कारण उन्हें कई स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएँ थीं।"
उन्होंने कहा, " उनका अंतिम संस्कार कल सुबह 11 बजे विले पार्ले के नानावटी अस्पताल के सामने पवन हंस में किया जाएगा।"
कुणाल ने पीएम मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा कि मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके ट्वीट के लिए धन्यवाद देता हूँ... चाहे वह उपकार हो, पूरब और पश्चिम हो या रोटी कपड़ा और मकान, ये फ़िल्में आज भी प्रासंगिक हैं। उन्होंने जो मुद्दे उठाए, वे आज भी प्रासंगिक हैं, चाहे संसद में हों या समाज में।
अभिनेता के चचेरे भाई मनीष आर गोस्वामी कहते हैं, "यह पूरे देश के लिए दुखद खबर है। देशभक्ति पर फिल्में बनाने का युग आज समाप्त हो गया। यह एक सच्चे भारतीय और सच्ची देशभक्ति के युग का अंत है।"
फिल्म निर्माता अशोक पंडित ने कुमार के निधन पर शोक व्यक्त किया और इसे भारतीय फिल्म उद्योग के लिए एक बड़ी क्षति बताया। उन्होंने एक वीडियो बयान में कहा, "महान दादा साहब फाल्के पुरस्कार विजेता, हमारी प्रेरणा और भारतीय फिल्म उद्योग के 'शेर' मनोज कुमार जी अब नहीं रहे... यह उद्योग के लिए एक बड़ी क्षति है और पूरी इंडस्ट्री उन्हें याद करेगी।"
मनोज कुमार देशभक्ति की थीम वाली फिल्मों में अभिनय और निर्देशन के लिए जाने जाते थे। उनकी कुछ लोकप्रिय कृतियों में "शहीद" (1965), "उपकार" (1967), "पूरब और पश्चिम" (1970), और "रोटी कपड़ा और मकान" (1974) शामिल हैं।
ऐसी फिल्मों से जुड़े होने के कारण, अभिनेता को व्यापक रूप से "भारत कुमार" भी कहा जाता था। कुमार ने "हरियाली और रास्ता", "वो कौन थी", "हिमालय की गोद में", "दो बदन", "पत्थर के सनम", "नील कमल" और "क्रांति" जैसी कई अन्य लोकप्रिय फिल्मों का निर्देशन भी किया।
भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए उन्हें 1992 में पद्म श्री और 2015 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।