बॉलीवुड में हर साल कई रोमांटिक फिल्में आती हैं, लेकिन कुछ ही ऐसी होती हैं जो दिल को गहराई से छू जाती हैं। राहत शाह काज़मी द्वारा निर्देशित लव इन वियतनाम उन्हीं फिल्मों में से एक है। यह फ़िल्म न सिर्फ़ एक प्रेम कहानी सुनाती है बल्कि भारतीय और वियतनामी संस्कृति का खूबसूरत मेल भी पेश करती है। आइए जानते हैं कि आखिर क्यों इस फिल्म को देखना बनता है।
बेहतरीन कहानी और इमोशनल टच
कहानी की शुरुआत बचपन के प्यार से होती है। मानव (शांतनु माहेश्वरी) और सिम्मी (अवनीत कौर) का रिश्ता उस मासूम मोहब्बत का आईना है, जिसे हम सबने कभी न कभी महसूस किया है। लेकिन जब किस्मत मानव को वियतनाम ले जाती है और वहाँ उसकी मुलाक़ात लिन (कहँगन) की तस्वीर से होती है, तो दर्शक खुद को इस रहस्यमय सफ़र का हिस्सा मानने लगता है। यह जिज्ञासा कि लिन हक़ीक़त है या ख्वाब, फिल्म को रोमांचक बनाए रखती है।
शानदार अभिनय
*शांतनु माहेश्वरी* ने मानव के किरदार को बेहद संवेदनशील तरीके से निभाया है। उनके अभिनय में मासूमियत और परिपक्वता दोनों झलकती हैं।
*अवनीत कौर* दूसरे हाफ़ की आत्मा हैं। उनकी सहजता और भावनात्मक गहराई फिल्म को मजबूत बनाती है।
*कहँगन* की मौजूदगी से स्क्रीन पर वियतनामी रंग भर जाता है।
वहीं *राज बब्बर, फ़रीदा जी और गुलशन ग्रोवर* जैसे सीनियर कलाकारों की मौजूदगी कहानी को और वास्तविक और असरदार बनाती है।
3. संगीत जो दिल को छू जाए
फ़िल्म का संगीत इसकी सबसे बड़ी खूबसूरती है।
* जीना नहीं दर्शक की रूह तक उतर जाता है।* पहली नज़र पुरानी मोहब्बत की याद दिलाता है।* आई एम रेडी शादी और जश्न का परफेक्ट गाना है।* बड़े दिन हुए दिल को सुकून देने वाला रोमांटिक टुकड़ा है।
हर गाना कहानी का हिस्सा लगता है, मजबूरी में डाला गया नहीं। यही वजह है कि म्यूज़िक दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ता है।
4. खूबसूरत सिनेमेटोग्राफी
वियतनाम की झीलें, रंगीन गलियाँ, स्थानीय बाज़ार और प्राकृतिक नज़ारे इस फ़िल्म को और खास बनाते हैं। कैमरे की नज़र से हर फ्रेम किसी पोस्टकार्ड जैसा लगता है। दर्शक खुद को उस जगह पर महसूस करने लगता है।
5. इंडो-वियतनामी अनुभव
तुर्किश नावेल पर आधारित होने के बावजूद, कहानी को इंडो-वियतनामी रंग में ढालना फ़िल्म की सबसे बड़ी ताक़त है। यह सिर्फ़ एक प्रेम कहानी नहीं बल्कि दो संस्कृतियों का मेल है, जो आज की वैश्विक दुनिया में एक अनोखा अनुभव देता है।
6. निर्देशन और लेखन
राहत शाह काज़मी और कृतिका रामपाल की लेखनी ईमानदार है। उन्होंने कहानी को इस तरह गढ़ा है कि हर किरदार दर्शकों की धड़कनों में बस जाए। निर्देशन परिपक्व और संवेदनशील है, जो फिल्म को ऊँचाई देता है।
क्यों यह फ़िल्म अलग है?
* यहाँ प्यार सिर्फ़ पाने की नहीं बल्कि भूलने की जद्दोजहद भी है।* यह फ़िल्म भावनाओं की गहराई को उजागर करती है।* इसमें बॉलीवुड मसाला नहीं बल्कि ईमानदारी और सच्चाई है।
निष्कर्ष
लव इन वियतनाम देखने का असली कारण है—इसकी सादगी और गहराई। यह फ़िल्म हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या किसी की आख़िरी मोहब्बत बनना ही सबसे बड़ा प्यार है? जो भी दर्शक दिल से सिनेमा को महसूस करना चाहते हैं, उनके लिए यह फ़िल्म एक बेहतरीन अनुभव है।
*रेटिंग: ⭐⭐⭐⭐ (4/5)*