कोरोना काल में सिनेमाघरों की तालाबंदी और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की बढ़ती लोकप्रियता के शोर-शराबे के बीच शूजित सरकार निर्देशित 'गुलाबो सिताबो' अमेज़न प्राइम वीडियो पर 200 देशों में 15 भाषाओं के सबटाइटल्स के साथ रिलीज़ हो गयी। लखनऊ के दो फुकरे मिर्जा और बांके की कहानी को निर्देशक सुजीत सरकार ने एक बेहद अनोखे अंदाज में पेश किया है। फिल्म एक हल्की-फुल्की कॉमेडी है, जो फैंस को जमकर पसंद आने वाली है।
ऐसे में ओटीटी पर फिल्म के रिलीज पर कहा जा रहा है कि इससे फिल्म की कमाई पर खासा असर पड़ने वाला है।अब बॉक्स ऑफिस कलेक्शन रिपोर्ट तो आ नहीं रही है क्योंकि सिनेमाघरों में फिल्म रिलीज नहीं हो रही है। इसलिए इसकी अमेजन प्राइम वीडियो (Amazon Prime Video) से हुई कमाई के बारे में जानते हैं।
एनडीटी की खबर के अनुसार 'गुलाबो सिताबो (Gulabo Sitabo)' के प्रोड्यूसर्स को अमेजन प्राइम वीडियो (Amazon Prime Video) पर बेचने से निर्मताओं को अच्छा-खासा फायदा हुआ है। फिल्म का बजट 25-30 करोड़ रुपये बताया जा रहा है. फिल्म के प्रमोशन में कोई खास खर्च हुआ नहीं है। सूत्रों ने बताया कि अमेजन प्राइम वीडियो ने फिल्म को लगभग 61 करोड़ रुपये में खरीदा है। इस तरह फिल्म अच्छे-खासे फायदे में गई हैं।
क्या है फिल्म की कहानी
फ़िल्म की कहानी 78 साल के लालची, झगड़ालू, कंजूस और चिड़चिड़े स्वभाव के मिर्जा के आस पास घूमती नजर आती है। मिर्जा की जान उस हवेली में बसती है। लेकिन दिलचस्प बात ये है कि ये हवेली मिर्जा की बीवी फातिमा की पुश्तैनी जायदाद है। इसीलिए इसका नाम फातिमा महल है। मिर्जा लालची ही नहीं बहुत कमी निकालने वाला भी है। पैसों के लिए हवेली की पुरानी चीज़ों को चोरी से बेचता रहता है। उसे खुद से 17 साल बड़ी फातिमा के मरने का इंतजार है ताकि हवेली उसे मिल सके।
इस पुरानी हवेली में कई किराएदार रहते हैं, जिनमें से एक बांके रस्तोगी है। बांके (आयुष्मान खुराना) हवेली में रहता है, वह अपनी मां और तीन बहनों के साथ रहता है। वह केवल छठी तक पढ़ा है और आटा चक्की की दुकान चलाता है। बांके एक लड़की से प्यार करता है, शादी के लिए दबाव बना रही है। मिर्ज़ा, बांके को बिल्कुल पसंद नहीं करता। उसे परेशान करने के नए-नए तरीके ढूंढता है और हवेली से बेदखल करना चाहता है। दोनों में आए दिन बहस भी होती रहती है अब देखना होगा कि मिर्चा बांके को निकाल पाता है कि नहीं-