अभय देओल अपनी शानदार एक्टिंग के कारण फैंस के दिलों में घर करते हैं। अभय एक अलग तरह की ही फिल्में करते हैं। सुशांत सिंह राजपूत के निधन के बाद अभय ने जिंदगी ना मिलेगी दोबारा के लिए नॉमिनेट ना होने पर सवाल किए थे। वहीं अब अभय को लगता है कि नेपोटिज्म हर जगह है।
चाहें वह राजनीति, व्यवसाय या फिल्म में हो। हाल ही में अभय ने इंस्टाग्राम पर दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र के साथ खुद की एक कोलाज तस्वीर साझा की, जबकि कैप्शन में उन्होंने लिखा, धर्मेंद्र एक बाहरी व्यक्ति थे और उन्होंने इसे बड़ा बॉलीवुड मुकाम हासिल किया।
अभय ने कैप्शन में लिखा है कि मुझे खुशी है कि पर्दे के पीछे की प्रथाओं पर एक सक्रिय बहस चल रही है। नेपोटिज्म सिर्फ हिमशैल का सिरा है। मैंने केवल अपने परिवार के साथ, मेरी पहली फिल्म बनाई है, और मैं इसके लिए आभारी हूं और यह विशेषाधिकार प्राप्त है। मैंने अपने कैरियर में अपना रास्ता बनाने के लिए संघर्ष किया है।
'नेपोटिज्म हर देश में है, भारत में नेपोटिज्म ने एक और आयाम लिया है। जाति दुनिया के अन्य हिस्सों की तुलना में यहां बड़ा रोल प्ले करती है. आखिरकार, ये "जाति" है जो ये तय करती है कि एक बेटा अपने पिता के काम को आगे चलाता है, जबकि बेटी से शादी करके, एक हाउस वाइफ होने की उम्मीद की जाती है।
'अगर हम बदलाव के लिए सच में गंभीर हैं तो बाकी आयामों को छोड़कर हमें सिर्फ एक आयाम या एक इंडस्ट्री पर ही फोकस नहीं रखना होगा, ऐसा करना अपूर्ण होगा। आखिर हमारे फिल्म निर्माता, राजनेता और व्यापारी कहां से आते हैं? वे सभी लोगों की तरह ही हैं। वे उसी प्रणाली के अंदर बड़े होते हैं जैसे हर कोई, वे अपनी संस्कृति का प्रतिबिंब हैं। हर जगह प्रतिभा चमकने का मौका चाहती है, जैसा कि कुछ हफ्तों में हमने पाया है कि कई सारे रास्ते हैं जिससे एक आर्टिस्ट या तो सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ता है या फिर उसे खींच कर नीचे गिरा दिया जाता है।
आगे अभय ने लिखा- 'मुझे खुशी है कि आज अधिक अभिनेता सामने आ रहे हैं और अपने अनुभवों के बारे में बोल रहे हैं। मैं सालों से मेरे बारे में मुखर रहा हूं, लेकिन एक आवाज के रूप में मैं अकेले केवल इतना ही कर सकता था।जो इंसान बोलता है उसे बदनाम करना आसान है. और मुझे मैं समय-समय पर ये मिलता है, लेकिन एक समूह के रूप में ये मुश्किल हो जाता है. शायद ये हमारा टर्निंग मोमेंट है. #change #equalopportunity #nepotism #caste #jati #nuance #dialogue।