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अवधेश कुमार का ब्लॉगः पाकिस्तान आखिर क्यों कर रहा है जंग की बात?

By अवधेश कुमार | Updated: August 28, 2019 09:41 IST

स्वतंत्नता दिवस पर प्रधानमंत्नी इमरान खान पाक अधिकृत कश्मीर पहुंचे एवं वहां की विधानसभा में भाषण दिया. उनके आने के पहले से कई मंत्नी वहीं थे. विदेश मंत्नी कसूरी ने एक पत्नकार वार्ता भी आयोजित की. जिन लोगों को नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने के व्यापक प्रभावों का अहसास नहीं होगा उन्हें भी पता चल रहा होगा कि पाकिस्तान के लिए कितना मारक कदम है ये. 

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ठळक मुद्देअब यह बात हर भारतीय की समझ में आ गई होगी कि जम्मू-कश्मीर की संवैधानिक एवं राजनीतिक स्थिति में बदलाव पाकिस्तान के खिलाफ कितना बड़ा कदम है.5 अगस्त से पाकिस्तान की सरकार, दुनिया भर के उसके दूतावास-उच्चायुक्त, मीडिया के पास एक ही एजेंडा है कि भारत को कैसे पीछे हटने के लिए मजबूर किया जाए.

अब यह बात हर भारतीय की समझ में आ गई होगी कि जम्मू-कश्मीर की संवैधानिक एवं राजनीतिक स्थिति में बदलाव पाकिस्तान के खिलाफ कितना बड़ा कदम है. 5 अगस्त से पाकिस्तान की सरकार, दुनिया भर के उसके दूतावास-उच्चायुक्त, मीडिया के पास एक ही एजेंडा है कि भारत को कैसे पीछे हटने के लिए मजबूर किया जाए. 14 अगस्त को पाकिस्तान के स्वतंत्नता दिवस पर राष्ट्रपति आरिफ अल्वी का पूरा भाषण इसी पर केंद्रित था. 

स्वतंत्नता दिवस पर प्रधानमंत्नी इमरान खान पाक अधिकृत कश्मीर पहुंचे एवं वहां की विधानसभा में भाषण दिया. उनके आने के पहले से कई मंत्नी वहीं थे. विदेश मंत्नी कसूरी ने एक पत्नकार वार्ता भी आयोजित की. जिन लोगों को नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने के व्यापक प्रभावों का अहसास नहीं होगा उन्हें भी पता चल रहा होगा कि पाकिस्तान के लिए कितना मारक कदम है ये. 

ऐसा लगता है जैसे भारत ने अपने भाग वाले जम्मू-कश्मीर में से एक धारा हटाने की जगह गिलगित बलूचिस्तान सहित पूरा पाक अधिकृत कश्मीर ही छीन लिया है. उसने राजनयिक संबंध को कम करने से लेकर, रेल सेवा-बस सेवा, व्यापार आदि खत्म करने के कदम उठाकर पता नहीं क्या लक्ष्य पाने की कोशिश की थी. भारत पर इसका असर तो पड़ना नहीं था. पूरा पाकिस्तान लगातार इसमें उलझा है कि भारत के खिलाफ क्या-क्या विकल्प अपनाए जा सकते हैं. इसका एक निष्कर्ष यही है कि मोदी सरकार ने ठीक निशाना वहां लगाया है जिसमें जम्मू-कश्मीर की वर्षो पुरानी समस्या के भारत के अनुकूल मोड़ लेने की संभावना निहित है. 

पाकिस्तान का शायद ही कोई नेता या पूर्व जनरल हो जिसने अपने सुझाव में युद्ध की बात नहीं की हो. इमरान खान सरकार के बड़बोले रेल मंत्नी शेख रशीद ने फिर कह दिया कि हमने नाभिकीय हथियार ईद या शब-ए-बारात के लिए नहीं रखे हैं.  पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी को लीजिए, वे कहते हैं कि यदि भारत ने युद्ध किया तो खुद को बचाने के लिए हमारे पास जेहाद और मुकाबला करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा.  

जरा विचार करिए. भारत ने जंग की बात की नहीं है. न 370 हटाने का विधेयक पेश करते समय अमित शाह ने, न प्रधानमंत्नी ने देश को संबोधन में और न ही स्वतंत्नता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से. तो इतना भय कैसे पैदा हो गया है पाकिस्तान के अंदर? इसका कारण तो यही है कि एक ही वार में भारत ने इस भाग के जम्मू-कश्मीर से उसके दावे को व्यवहार में खत्म कर दिया. अब केवल पाक अधिकृत कश्मीर का मुद्दा बचा है. 

टॅग्स :पाकिस्तानइमरान खानजम्मू कश्मीर
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