लाइव न्यूज़ :

संस्कृत यूं ही नहीं बनी थी ज्ञान की भाषा, सांस्कृतिक अस्मिता के समूल...

By गिरीश्वर मिश्र | Updated: August 9, 2025 05:16 IST

भारत अमृत काल का संकल्प ले रहा है और एक सशक्त और समर्थ भारत बनाने की चेष्टा हो रही है. यह नया भारत अपनी संस्कृति और ज्ञान परम्परा को नए सिरे पहचानने की कोशिश कर रहा है.

Open in App
ठळक मुद्देउधार में लिए गए प्रगति, उन्नति और विकास के पैमानों को हमने अपनाया और प्रतिष्ठित किया.शिक्षा व्यवस्था को भी इसके अनुकूल अवसर बनाया जा रहा है.संस्कृत भाषा, साहित्य और उसमें निहित सिद्धांतों की बड़ी भूमिका है.

यह एक दुर्योग ही कहा जाएगा कि पिछले दो सदियों में भारत वर्ष के लिए भारत देश कई अर्थों में बेगाना होता चला गया. पहले अंग्रेजी हुकूमत ने भारत को भारत से दूर करते हुए इसे ‘इंडिया’ नामक उपनिवेश में तब्दील किया. यह बदलाव भौगोलिक नक्शे में नाम बदलने तक ही नहीं रहा बल्कि सोच-विचार, आचार-विचार और आदर्शों-मूल्यों तक विस्तृत होता गया. सांस्कृतिक अस्मिता के समूल उच्छेदन का जो काम औपनिवेशिक राज में हुआ था वह स्वतंत्र भारत की हमारी अनुकरणमूलक शिक्षा में बदस्तूर जारी रहा. उधार में लिए गए प्रगति, उन्नति और विकास के पैमानों को हमने अपनाया और प्रतिष्ठित किया.

इस पृष्ठभूमि में भारत अमृत काल का संकल्प ले रहा है और एक सशक्त और समर्थ भारत बनाने की चेष्टा हो रही है. यह नया भारत अपनी संस्कृति और ज्ञान परम्परा को नए सिरे पहचानने की कोशिश कर रहा है. इस प्रयास का वैचारिक आधार हम अपनी संस्कृति में ढूंढ़ रहे हैं. शिक्षा व्यवस्था को भी इसके अनुकूल अवसर बनाया जा रहा है.

इस कार्य में संस्कृत भाषा, साहित्य और उसमें निहित सिद्धांतों की बड़ी भूमिका है. संस्कृत भाषा चिरंतनकाल से भारतीय संस्कृति के प्रमुख प्रवेश द्वार का कार्य करती आ रही है. इस वाग्द्वार से गुजर कर हमारा प्रवेश लोक और विविध प्रकार की विद्याओं व शास्त्रों से समृद्ध एक विशाल ज्ञान-प्रांगण में होता है.

वेद, वेदांग, स्मृति, महाकाव्य, धर्मशास्त्र, गणित, विज्ञान, अर्थशास्त्र, नीतिशास्त्र, दर्शन, साहित्य, योग और आयुर्वेद आदि विषयों की अकूत संपदा से परिपूर्ण यह प्रांगण प्रकृति, जीवन और समाज सबसे जुड़ा हुआ है. साथ ही इन सब में व्याप्त परम सत्ता के स्पंदन से भी अनुप्राणित है. इस परिवेश की प्राणवायु मूलत: संस्कृत ही है.

संस्कृत की ज्ञान परम्परा की कुछ विशेषताएं सबको लुभाने वाली हैं. इसमें प्रयुक्त शब्दों और अवधारणाओं को ज्ञान के प्रभावी उपकरण के रूप में लिया गया है क्योंकि शब्द से ही किसी वस्तु की पहचान होती है और प्रामाणिकता का पता चलता है. आखिर शब्द से ही किसी वस्तु या अनुभव तक भाव पहुंच पाते हैं- सर्वं शब्देन भासते. शब्द की महत्ता को इंगित करने के लिए ऋग्वेद में वाक्सूक्त रचा गया तो आगे चल कर शब्द ब्रह्म की अवधारणा को भी प्रतिपादित किया गया, सरस्वती के रूप में वाक् को देवी का दर्जा दिया गया.

शब्द की विभिन्न शक्तियों और शब्द की उत्पत्ति की स्थितियों (परा , पश्यंती और वैखरी )और भाषा के पद तथा वाक्य आदि विभिन्न स्तरों पर प्रयोग, शब्दार्थ का विश्लेषण और शब्द की विभिन्न भूमिकाओं की विस्तृत दार्शनिक व्याख्या की भी गई. संस्कृत व्याकरण शास्त्र अपनी उपलब्धियों के लिए विश्व विश्रुत है. पाणिनि का अष्टाध्यायी मानव बुद्धि के ऐसे निकष के रूप में ख्यात है जिसने संस्कृत भाषा के प्रयोग को सबल वैज्ञानिक आधार प्रदान किया.

टॅग्स :भारत सरकारनरेंद्र मोदी
Open in App

संबंधित खबरें

कारोबारIndiGo Flight Cancellations: खून का उबाल ठंडा हो जाने की बेबसी

भारतVIDEO: कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के आगे घुटने टेक दिए, पीएम मोदी...

भारतVIDEO: नेहरू ने इसरो नहीं बनाया होता आपका मंगलयान ना होता, लोकसभा में प्रियंका गांधी

भारतटीएमसी सांसद ने PM मोदी द्वारा बंकिम चंद्र को ‘बाबू’ की जगह ‘दा’ कहने पर जताई आपत्ति, प्रधानमंत्री को भाषण के बीच में रोका, VIDEO

भारतजब वंदे मातरम् के 100 वर्ष हुए, तब देश आपातकाल की जंजीरों में जकड़ा हुआ था?, पीएम मोदी ने कहा-संविधान का गला घोंट दिया गया था, वीडियो

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठPanchang 09 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 09 December 2025: आज मेष समेत इन 4 राशिवालों की किस्मत बुलंद, खुशखबरी मिलने की संभावना

पूजा पाठयूपी में मतदाता सूची से कट सकते हैं दो करोड़ से अधिक नाम, इन शहरों में सबसे अधिक नाम कटने की संभावना

पूजा पाठPanchang 08 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 08 December 2025: आज इन 4 राशिवालों को बड़ी खुशखबरी मिलने की संभावना, बाकी भी जानें अपना भविष्य