लाइव न्यूज़ :

विनोबा भावे : विलक्षण सत्यान्वेषी और अद्भुत मानवतावादी

By कृष्ण प्रताप सिंह | Updated: September 11, 2025 07:22 IST

18 अप्रैल, 1951 को वे उनसे मिलने नलगोंडा के पोचमपल्ली गांव पहुंचे तो ऐसे कोई चालीस किसान परिवारों ने उनसे कहा कि अपनी आजीविका के लिए वे 80 एकड़ जमीन की मांग कर रहे हैं.

Open in App

भूदान आंदोलन के प्रणेता, महात्मा गांधी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, पहले व्यक्तिगत सत्याग्रही, विलक्षण सत्यान्वेषी, कर्म, ज्ञान व भक्ति की त्रिवेणी के संगम, दुनिया भर में समतामूलक व शोषणमुक्त व्यवस्था के स्वप्नद्रष्टा, ‘जय जगत’ के उद्घोषक और स्वतंत्र सोच वाले अद्भुत मानवतावादी. इन सारे परिचयों को मिला दें तो भी लगता है कि आचार्य विनोबा भावे के कृतित्व व व्यक्तित्व का कुछ हिस्सा परिधि से बाहर रह गया.  

अकारण नहीं कि उनके अनुयायी कहते हैं कि महात्मा गांधी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी की छवि न सिर्फ उनके बहुआयामी व्यक्तित्व पर भारी पड़ गई बल्कि आगे चलकर उनके स्वतंत्र मूल्यांकन की राह की बाधा भी बनी.  अनुयायियों के अनुसार वे महात्मा गांधी के सान्निध्य में आने से पहले ही आध्यात्मिक ऊंचाई प्राप्त कर चुके थे और संत ज्ञानेश्वर एवं संत तुकाराम को अपना आदर्श मानते थे. लेकिन क्या  किया जाए, वे स्वयं अपने व्यक्तित्व को लेकर इतने अनासक्त थे कि एक बार महात्मा ने उनके आश्रम के पते पर एक पत्र में उन्हें लिख दिया कि वे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति हैं तो उन्होंने उस पत्र को बेदर्दी से फाड़ डाला.  

यह तब था, जब वे महात्मा के हर पत्र को किसी बहुमूल्य धरोहर की तरह सहेजकर रखते थे. एक आश्रमवासी ने उनसे पत्र फाड़ने का कारण पूछा तो उनका उत्तर था कि महात्मा ने उसमें यह झूठी बात लिखी थी, बावजूद इसके कि वे कभी झूठ नहीं बोलते. उन्होंने पूछा था कि दुनिया में बहुत से लोग मुझसे ज्यादा गुणी हैं, फिर मैं सर्वश्रेष्ठ कैसे हो सकता हूं? मेरे पास वह पत्र रहता तो मुझमें अहंकार पैदा हो सकता था. इसलिए मुझे उसको फाड़ देना पड़ा.  

प्रसंगवश, जिस भूदान आंदोलन ने उनको सबसे ज्यादा ख्याति दिलाई, उसकी शुरुआत आजादी के बाद के भारी उथल-पुथल और अशांति के दौर में  हुई थी. उस वक्त तेलंगाना में भूमिहीन किसान भूमि पर अधिकार के लिए उग्र आंदोलन कर रहे थे.  18 अप्रैल, 1951 को वे उनसे मिलने नलगोंडा के पोचमपल्ली गांव पहुंचे तो ऐसे कोई चालीस किसान परिवारों ने उनसे कहा कि अपनी आजीविका के लिए वे 80 एकड़ जमीन की मांग कर रहे हैं.

विनोबा ने इस बाबत जमींदारों से बात की तो एक जमींदार सौ एकड़ भूमि दान देने को राजी हो गया. उन्होंने इसे उसके हृदय परिवर्तन में अपनी सफलता के रूप में देखा और यहीं से उनके मन में भूदान को आंदोलन का रूप देने का विचार आया.  

यह विचार कार्यरूप में परिणत हुआ तो भूदान का आंदोलन 13 वर्षों तक चलता रहा और वे जमींदारों व बड़े किसानों के पास जाकर उनको समझाते रहे कि हवा और पानी की तरह भूमि पर भी सबका अधिकार है. यह समझाने के बाद वे कहते कि आप मुझे अपना बेटा मानकर भूमिहीनों के लिए अपनी भूमि का छठा हिस्सा दे दीजिए. कई जमींदारों का कहना था कि वे यह बात इतनी सहजता, सरलता और प्रेम से कहते थे कि उन्हें मना करते नहीं बनता.

इस आंदोलन के दौरान, उन्होंने देश भर में लगभग  58,741 किलोमीटर की यात्रा की और करीब 13 लाख भूमिहीन किसानों के लिए 44 लाख एकड़ भूमि हासिल की.  

टॅग्स :बर्थडे स्पेशलमहात्मा गाँधीभारत
Open in App

संबंधित खबरें

भारत‘पहलगाम से क्रोकस सिटी हॉल तक’: PM मोदी और पुतिन ने मिलकर आतंकवाद, व्यापार और भारत-रूस दोस्ती पर बात की

भारतPutin India Visit: एयरपोर्ट पर पीएम मोदी ने गले लगाकर किया रूसी राष्ट्रपति पुतिन का स्वागत, एक ही कार में हुए रवाना, देखें तस्वीरें

भारतPutin India Visit: पुतिन ने राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी, देखें वीडियो

भारतPutin Visit India: राष्ट्रपति पुतिन के भारत दौरे का दूसरा दिन, राजघाट पर देंगे श्रद्धांजलि; जानें क्या है शेड्यूल

भारतपीएम मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन को भेंट की भगवत गीता, रशियन भाषा में किया गया है अनुवाद

भारत अधिक खबरें

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतBihar: तेजप्रताप यादव ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम हुआ लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज, संस्थान ने दी बधाई

भारतIndiGo Flight Cancel: इंडिगो संकट के बीच DGCA का बड़ा फैसला, पायलटों के लिए उड़ान ड्यूटी मानदंडों में दी ढील