यह बड़ी भूमिका हिंदी पत्रकारिता के 'शिल्पकार' और 'भीष्म पितामह' कहलाने वाले मराठीभाषी बाबूराव विष्णु पराड़कर से बहुत पहले से दिखाई देने लगती है, लेकिन उसे ठीक से रेखांकित उन्हीं के समय से किया जाता है। ...
संत रविदास का जन्म विक्रम संवत् 1441 से 1455 के बीच माघ पूर्णिमा के दिन वाराणसी के मंडेसर तालाब के किनारे मांडव ऋषि के आश्रम के पास स्थित मांडुर नामक उसी गांव में हुआ था, जो अब मंडुआडीह कहलाता है। ...
एंड्रयूज को स्वतंत्रता और समाज सुधार के कामों व आंदोलनों में भारतीयों के कंधे से कंधा मिलाकर चलने के लिए तो जाना ही जाता है, फिजी में अत्यंत दारुण परिस्थितियों में काम करने को अभिशप्त भारतीय गिरमिटिया मजदूरों की मुक्ति के प्रयत्नों में बहुविध भागीदा ...
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी देश में स्वराज के साथ राम राज के भी प्रबल आकांक्षी थे और इन दोनों के लिए उन्होंने अपनी आखिरी सांस तक कुछ भी उठा नहीं रखा। इससे आगे की बात करें तो वे इन दोनों को अन्योन्याश्रित मानते थे और उनके मन-मस्तिष्क में इन दोनों की तस् ...
1897 में आज ही के दिन कटक में धर्मपरायण माता प्रभावती देवी और वकील पिता जानकीनाथ बोस के पुत्र के रूप में जन्मे सुभाष चंद्र बोस के व्यक्तित्व व कृतित्व में बचपन से ही वीरता व बुद्धिमत्ता का मणिकांचन संयोग था। ...
कभी वह दिन भी आएगा जब अपना राज देखेंगे, जब अपनी ही जमीं होगी और अपना आसमां होगा! शहीदों के मजारों पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पे मरने वालों का यही बाकी निशां होगा। ...