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विजय दर्डा का ब्लॉग: परमबीर सिंह का स्वयंभू प्रकटोत्सव..!

By विजय दर्डा | Updated: November 29, 2021 08:06 IST

सरकारी एजेंसियों से लेकर पूरा महकमा परेशान था कि आखिर परमबीर सिंह कहां गुम हो गए? आपने छुपने की जिस कला का प्रदर्शन किया है, उसने मिस्टर इंडिया के अनिल कपूर और भूतनाथ के अमिताभ बच्चन को भी फेल कर दिया।

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बहुत अच्छा हो गया. परमबीर सिंह, प्रकट हो गए आप! महाराष्ट्र की जनता की ओर से आपको प्रणाम! आपका प्रकट होना किसी उत्सव से कम हो ही नहीं सकता!  ठीक उसी तरह जैसे संत-महात्माओं के प्रकट उत्सव होते हैं. इतिहास में आपके प्रकट होने की तारीख भी चस्पा हो गई. हो भी क्यों न? कितना भगाया आपने, कितनों को थकाया आपने, कितनों को रुलाया आपने! मान गए आपको! 

सचमुच बहुत देर से दर पर आंखें लगी थीं..! अब ये कैसे कहूं कि बहुत देर कर दी हुजूर आते-आते..! आप प्रकट हो गए यही क्या कम है?

श्रीमान परमबीर सिंह, आपको लेकर वाकई बड़ी बेताबी थी. सब हैरान थे कि आप कहां गुम हो गए? कैसे गुम हो गए? किसी ने गुम तो नहीं कर दिया आपको? रेड कॉर्नर नोटिस को आपने कैसे चकमा दिया होगा? कहीं वेशभूषा तो नहीं बदल ली? प्लास्टिक सर्जरी तो नहीं करवा ली? क्या बताएं आपको! आप गुम क्या हुए, लोगों की कल्पनाओं को तो जैसे पर लग गए! जितने मुंह उतनी बातें..! 

कोई कह रहा था..आप बेल्जियम में विराज रहे हैं. कोई आपका पता-ठिकाना लंदन बता रहा था. लोगों ने तो आपके साथ चाय-नाश्ता तक करने की बात बड़ी शेखी के साथ बयान कर दी. हम भी क्या करते? सुनते रहे..! भरोसा किस पर करते? हमें तो बस आप पर भरोसा था और विश्वास भी था कि एक न एक दिन आप आएंगे जरूर और ये भी बताएंगे कि अपने महकमे के साथ ही अपने देश की तुर्रम एजेंसियों की नजरों से आप बचे कैसे रहे? 

मुझे लगता है कि आपको पुलिस और खुफिया एजेंसियों के लिए ट्रेनिंग कैंप चलाना चाहिए कि छुपने के क्या-क्या तरीके अपनाए जा सकते हैं. एक बार यदि एजेंसियों के जासूस आपकी कला और आपके कौशल से अवगत हो जाएं, बारीकियां सीख लें तो आरोपियों को धर दबोचना उनके लिए निश्चय ही आसान हो जाएगा.

आपने छुपने की जिस कला का प्रदर्शन किया है, उसने मिस्टर इंडिया के अनिल कपूर और भूतनाथ के अमिताभ बच्चन को भी फेल कर दिया. उन दोनों ने तो पर्दे पर यह कमाल दिखाया था, आपने तो हकीकत में यह सब कर दिखाया. मैं शुक्रिया अदा करना चाहता हूं आपका कि आपने कुछ पोल भी खोली. पहली पोल तो यह कि स्कॉटलैंड पुलिस की तरह सक्षम मानी जाने वाली मुंबई पुलिस को उसका एक अकेला अधिकारी आंख-मिचौनी के खेल में बुरी तरह पराजित कर सकता है. 

आपने यह पोल भी खोली है कि खुफिया एजेंसियां भले ही खुद को तुर्रम खां मानें लेकिन एक अकेला पुलिस अधिकारी उन्हें भी नाकों चने चबवा सकता है. एजेंसियां  हाथ-पैर मारती रहीं, यहां से वहां भागती रहीं, न्यायालय आपको भगोड़ा घोषित करता रहा और आप चंडीगढ़ में आराम फरमा रहे थे. कितने कमाल की बात है न! वाह! आपके कौशल पर तो निछावर होने को दिल चाह रहा है. लोग यह गलत सवाल पूछ रहे हैं कि आप, पुलिस और खुफिया एजेंसियों में शक्तिमान कौन है? आप तो पुलिस के शहंशाह हो. जिसने आपका मिजाज देखा है वह भी नहीं जान सकता है कि आप कौन हो, कैसे हो, कहां से आए हो और कहां जाने वाले हो. यह तो केवल शहंशाह ही जान सकता है. आपने तो यह भी साबित कर दिया कि डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. 

मैं तो बस यही सोचकर हैरान परेशान हूं कि आप यदि प्रकट न हुए होते तो क्या होता? जो कह रहे थे कि आपकी संपत्ति कुर्क कर लेंगे, वे नादान हैं. वे नहीं जानते कि आप कौन हैं!

वैसे मैं आपकी पुलिस और खुफिया जांच एजेंसियों को यह सलाह देना चाहता हूं कि वे आपका प्रकट उत्सव जरूर मनाएं. आपका प्रकट होना सरकारी तौर पर किसी उत्सव से कम बिल्कुल नहीं है. आपने पूरी व्यवस्था को जो छकाया, उसके लिए तो मैं बस यही कहना चाहता हूं कि छह महीने में जो बीत गई सो बात गई..! सरकार को सुकून महसूस करना चाहिए कि आपके प्रकट होने से आपको ढूंढ़ने में लगने वाले श्रम, समय और साधन की बहुत बचत हुई है. आपने सत्ता को लाभ ही पहुंचाया है.

तो प्रेम से बोलो..परमबीर महाराज के प्रकटोत्सव की जय..!..और उनकी तो आप बिल्कुल ही चिंता मत कीजिएगा जिन्होंने आप पर और कुछ पुलिस वालों पर एक बिल्डर से 15 करोड़ रुपए मांगने का मामला दर्ज करवा दिया है. अब मामले तो दर्ज होते ही रहते हैं! आपने देशमुख पर 100 करोड़ का आरोप लगाया.. दूसरों ने आप पर 15 करोड़ का लगा दिया. अब यही समझ लीजिए कि जिसकी जितनी हैसियत..उतना बड़ा आरोप! सच तो खुदा ही जाने..!

और हां, इमली के पत्ते पर गुलाटी मारने की कला तो कोई वाकई आपसे सीखे. इमली का पत्ता अत्यंत छोटा होता है और जो उस पर गुलाटी मार ले उससे बड़ा कलाबाज और कोई नहीं हो सकता है इसीलिए  मुहावरा बना है..‘इमली के पत्ते पर गुलाटी मारना’. ये कहावत मुझे इसलिए याद आ गई क्योंकि आपके वकील ने चांदीवाल आयोग के सामने कहा कि अनिल देशमुख पर 100 करोड़ रुपए महीने की वसूली का जो आरोप आपने लगाया था, उसे लेकर आपके पास कोई खास सबूत नहीं है. 

आपने कुछ अधिकारियों की सूचना पर यह आरोप चस्पा कर दिया था! अरे वाह परमबीर सिंह! आप तो पुलिस कमिश्नर थे. आपको तो पता ही है कि आरोपों के लिए सबूत की जरूरत होती है. दम तो खूब भर रहे थे आप लेकिन खुद की जान सांसत में आते ही गुलाटी मार दी? जबर्दस्त कलाबाज हैं आप!

विनती बस इतनी है कि यह कला और पुलिस अधिकारियों को मत सिखाइएगा क्योंकि आपने जो किया, उससे हमारी पुलिस व्यवस्था शर्मसार हो गई! न जाने कितनों की पोल खुल गई.! और खुलती ही जा रही है. आप धन्य हैं परमबीर..!

टॅग्स :परमबीर सिंहमहाराष्ट्रमुंबई पुलिसअनिल देशमुख
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