लाइव न्यूज़ :

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: ...ताकि खान-पान में धोखा न होने पाए

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: December 16, 2021 12:34 IST

अभी तो पता ही नहीं चलता है कि कौनसा नमकीन तेल में तला गया है और कौनसा चर्बी में तला गया है? फिर सवाल यह भी है कि वह चर्बी किसकी है? इसी तरह से कई चीनी नूडल्स और आलू की पपड़ियां मांस और मछली से भी तैयार की जाती हैं।

Open in App

दिल्ली उच्च न्यायालय के दो जजों विपिन सांघी और जसमीत सिंह ने खाने-पीने की चीजों के बारे में एक ऐसा फैसला दिया है, जिसका स्वागत सभी धर्मो के लोग करेंगे। उन्होंने कहा है कि खाने-पीने की जितनी चीजें बाजारों में बेची जाती हैं, उनके पैकेट पर लिखा होना चाहिए कि उन चीजों को बनाने में कौन-कौनसी शाकाहारी और मांसाहारी चीजों, मसालों या तरल पदार्थो का इस्तेमाल किया गया है ताकि लोग अपने मजहब और रीति-रिवाज का उल्लंघन किए बिना उनका उपभोग कर सकें।

अभी तो पता ही नहीं चलता है कि कौनसा नमकीन तेल में तला गया है और कौनसा चर्बी में तला गया है? फिर सवाल यह भी है कि वह चर्बी किसकी है? इसी तरह से कई चीनी नूडल्स और आलू की पपड़ियां मांस और मछली से भी तैयार की जाती हैं। कुछ मसालों और चटनियों में भी तरह-तरह के पदार्थ मिला दिए जाते हैं, जिनका पता लगाना आसान नहीं होता है। खाद्य-पदार्थो में ऐसी चीजों की मात्रा चाहे कितनी ही कम हो, वह है बहुत ही आपत्तिजनक! 

किसी भी व्यक्ति को धोखे में रखकर कोई चीज क्यों खिलाई जाए? इसीलिए अदालत ने निर्देश दिया है कि पैकेटों पर सिर्फ उन चीजों का नाम ही न लिखा जाए बल्कि यह भी स्पष्ट किया जाए कि वह शाकाहार है या मांसाहार है। पिछले हफ्ते गुजरात उच्च न्यायालय ने भी अपने एक फैसले में यह स्पष्ट किया था कि आप किसी भी व्यक्ति के खाने-पीने पर अपनी पसंद थोप नहीं सकते। एक याचिका में मांग की गई थी कि गुजरात में मांस के क्रय-विक्रय पर प्रतिबंध लगाया जाए। 

यह तो ठीक है कि जो व्यक्ति जैसा भी खाना खाना चाहे, उसे वैसी छूट होनी चाहिए, क्योंकि प्राय: हर व्यक्ति अपने घर की परंपरा के मुताबिक शाकाहारी या मांसाहारी होता है। उनके गुण-दोष पर विचार करने की क्षमता या योग्यता किसी को बचपन में कैसे हो सकती है? इसीलिए मांसाहारियों की निंदा करना अनुचित है। हालांकि मांसाहार मुनष्यों के लिए फायदेमंद नहीं है। 

यह निष्कर्ष दुनिया के कई स्वास्थ्य-वैज्ञानिक स्थापित कर चुके हैं। कोरोना महामारी में संक्रमण से बचने के लिए करोड़ों लोगों ने मांसाहार छोड़ दिया है। मानवता के लिए मांसाहार बहुत घाटे का सौदा है, यह तथ्य कई पर्यावरणविद् और अर्थशास्त्रियों ने सप्रमाण सिद्ध किया है। दुनिया में भारत अकेला देश है, जहां करोड़ों परिवारों ने कभी मांस, मछली और अंडे का सेवन नहीं किया लेकिन उनका स्वास्थ्य, शक्ति और सौंदर्य किसी से कम नहीं है।

टॅग्स :दिल्ली हाईकोर्टभोजनFood Processing Department
Open in App

संबंधित खबरें

भारतइंडियन शेफ के हाथ का खाना नहीं खाएंगे पुतिन, विदेश दौरे पर साथ ले जाते हैं अपने शेफ; जानें वजह

बॉलीवुड चुस्कीDhurandhar Release Row: दिल्ली हाईकोर्ट ने CBFC से सर्टिफिकेशन से पहले शहीद मेजर मोहित शर्मा के परिवार की चिंताओं पर विचार करने को कहा

भारतटमाटर की कीमत ने लोगों की जेब की खाली, दिल्ली-NCR में राहत के लिए सरकार चला रही सब्सिडी वैन; जानें कैसे मिलेगा फायदा

भारतभारत में दूध उपभोग के बदलते तौर-तरीके: एक विश्लेषणात्मक अध्ययन

भारतपति क्रूरता साबित करने में नाकाम और दहेज उत्पीड़न आरोपों को ठीक से खारिज नहीं कर पाया, दिल्ली उच्च न्यायालय का अहम फैसला

भारत अधिक खबरें

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतBihar: तेजप्रताप यादव ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम हुआ लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज, संस्थान ने दी बधाई