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सारंग थत्ते का ब्लॉग: एयरो इंडिया-2021 बना आत्मनिर्भर भारत की पहचान

By सारंग थत्ते | Updated: February 4, 2021 16:18 IST

साल 1996 में एयरो इंडिया के पहले संस्करण का आगाज हुआ था. ये 13वां संस्करण है. उद्घाटन भाषण में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि हम अब निर्यात पर विशेष ध्यान दे रहे हैं.

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ठळक मुद्देएयरो इंडिया शो में भारतीय महासागर क्षेत्र के 28 देशों के रक्षा मंत्री भी आमंत्रित भारत का निर्यात पर ध्यान और मेक फॉर द वर्ल्ड के नारे को अमल में लाने पर जोर

सरकार ने बुधवार को औपचारिक रूप से  48000 करोड़ रु. के सौदे के साथ सबसे बड़े मेक इन इंडिया डिफेंस कॉन्ट्रैक्ट को सील कर दिया है. बेंगलुरु में एयरो इंडिया शो में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ 83 स्वदेशी फाइटर जेट्स एलसीए - तेजस के लिए अनुबंध पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में हस्ताक्षर हुए. 

एशिया की प्रमुख वैमानिकी व रक्षा प्रदर्शनी एयरो इंडिया के 13 वें संस्करण का उद्घाटन भी रक्षा मंत्री ने किया. यह स्वदेशी रक्षा क्षेत्र की क्षमताओं को दिखाने के लिए आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया अभियानों की विश्व को जानकारी देने की भारत की पहल है. 

'हमारी दृष्टि भारत को रक्षा क्षेत्र में दुनिया के सबसे बड़े देशों में से एक बनाने की है. डिजाइन से लेकर उत्पादन तक, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी के साथ. भारत में अपने कई मित्र राष्ट्रों के लिए रक्षा उपकरणों का एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता बनने की क्षमता है.’ - यह कहते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शो के उद्घाटन समारोह में इस बात पर जोर दिया कि आत्मनिर्भर भारत का एक विशाल आयोजन आज बेंगलुरु  में हो चुका है. 

सरकार को उम्मीद है कि वह 130 बिलियन डॉलर से होने वाले आधुनिकीकरण के लक्ष्य को आने वाले छह से आठ वर्षो में छू सकेगी.

एयरो इंडिया का ये 13वां सफल संस्करण

1996 में एयरो इंडिया के पहले संस्करण का आगाज हुआ था और इस बार 13वें संस्करण में 523 विदेशी और देश के विक्रेता इस एयर शो में हिस्सा ले रहे हैं. इस शो में विश्व की नामी-गिरामी कंपनियां भाग ले रही हैं, जिसमें बड़े नामों की गिनती में बोइंग, लॉकहीड मार्टिन, डसॉल्ट एविएशन, एयरबस, थलेस, बीएई सिस्टम, एमबीडीए शामिल हैं. 

शो में भारतीय महासागर क्षेत्र के 28 देशों के रक्षा मंत्री भी आमंत्रित किए गए हैं. कई देशों को भारतीय फास्ट पेट्रोल बोट, हेलिकॉप्टर, मिसाइल एवं आक्रामक लड़ाकू व भार वाहक विमानों की जरूरत है. तीन दिन के इस एयरो शो में कई सौदे होने की उम्मीद है. 

उद्घाटन भाषण में भारतीय रक्षा मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि हम अब निर्यात पर विशेष ध्यान दे रहे हैं और मेक फॉर द वर्ल्ड के नारे को अमल में लाएंगे. वैमानिकी के क्षेत्र में आने वाले वर्षो में 175000 करोड़ रुपए का टारगेट लेकर चल रहे हैं जिसमें 35000 करोड़ का निर्यात रहेगा.

इस एयर शो में ईरान से लेकर यूक्रेन जैसे देशों के रक्षा मंत्री और अमेरिका, फ्रांस, रूस के हथियार निर्माता शामिल हुए हैं. ईरान के रक्षा मंत्री का इस आयोजन में 1979 के बाद आना अपने आप में नए संकेत दे रहा है. 

एयर शो से भारत सरकार को कई उम्मीद

यह कहा जा सकता है कि इस आयोजन में अमेरिका-रूस-यूक्रेन और ईरान का मौजूद होना नए विश्व की सोच में एक मील का पत्थर माना जाएगा. भारतीय मित्रता एवं देश में बनाई जाने वाली रक्षा सामग्री में विश्व के देशों को खरीद-फरोख्त की रोशनी दिखाई देती है. 

एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर और लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर की उपयोगिता अब देश के बाहर भी अपना डंका बजा चुकी है.

हर दो साल में होने वाले एयर शो से भारत सरकार को कई उम्मीद है - विशेष रूप से अब जब हमने भारत में बने हेलिकॉप्टर और लड़ाकू विमान तेजस को काबिलियत के साथ बेंगलुरु और ऑनलाइन दर्शकों के लिए इस हाइब्रिड शो में प्रदर्शित किया है. 

पहली बार भारतीय वायुसेना की सूर्य किरण एरोबेटिक टीम और सारंग हेलिकॉप्टर टीम ने येलहांका वायुसेना बेस में एक साथ मिलकर एक नया अध्याय इस उड़ान कौशल में लिखा है. पाठकों को याद होगा कि पिछले एयरो इंडिया में सूर्य किरण टीम के साथ हादसे में हमने दो विमान दुर्घटनाग्रस्त होते देखे थे व एक उत्कृष्ट पायलट खो दिया था.

मेक इन इंडिया पर जोर देने की जरूरत

कई रिपोर्ट में इस बात के संकेत रहे हैं कि देश में मेक इन इंडिया के खाते में पिछले पांच वर्षो में कोई उल्लेखनीय प्रगति नहीं हुई है. इसलिए यह बड़ा सवाल उठता है कि देश को आत्मनिर्भर बनाने का बीड़ा जरूर सरकार ने उठाया है लेकिन उसका क्रियान्वयन कोविड और उसके बाद के दौर में पूरी शिद्दत से करना एक टेढ़ी खीर रहेगा. 

सिर्फ यदि हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स को ही लें तो इस सरकारी उपक्रम में पिछले कुछ सालों में कर्मचारियों ने कई बार हड़ताल और वेतन की मांगों को लेकर काम बंद किया था. 

आने वाले समय में क्या सरकार इस किस्म के अवरोधों पर अंकुश लगा पाएगी? विशेष रूप से आने वाले तीन सालों में चुनाव की राजनीति के चलते दक्षिण के राज्यों से किस तरह का स्वरूप और एकजुटता नजर आएगी, इस पर नजर रखनी होगी.

टॅग्स :राजनाथ सिंहतेजस लड़ाकू विमान
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