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मगर उनकी तकलीफ की भरपाई कौन करेगा श्रीमान?

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: December 12, 2025 07:42 IST

इसके अलावा जिन यात्रियों की उड़ानें निर्धारित समय के चौबीस घंटे के भीतर रद्द हुईं, उन्हें पांच से दस हजार रु. का मुआवजा दिया जाएगा.

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इसमें कोई संदेह नहीं कि आधिकारिक कागजों पर इंडिगो के खिलाफ सरकार की कार्रवाई दिखाई देने लगी है. इंडिगो ने अब कहा है कि जो यात्री गंभीर रूप से प्रभावित हुए उन्हें इंडिगो की ओर से दस हजार रु. का ट्रैवल वाउचर दिया जाएगा. इसका उपयोग एक साल की अवधि में कभी भी किया जा सकता है. इसके अलावा जिन यात्रियों की उड़ानें निर्धारित समय के चौबीस घंटे के भीतर रद्द हुईं, उन्हें पांच से दस हजार रु. का मुआवजा दिया जाएगा. लेकिन असली  सवाल है कि इंडिगो ने यात्रियों के साथ जो छलात्कार किया है, मानसिक रूप से परेशान किया है, उसका हर्जाना यात्रियों को क्या कभी मिल पाएगा?

सरकार ने इंडिगो के शरदकालीन शेड्यूल में दस प्रतिशत की कटौती कर दी है. यानी दो सौ से अधिक उड़ानें अस्थाई तौर पर नहीं उड़ेंगी. नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने आठ सदस्यीय टीम भी बना दी है जिसके दो अधिकारी अब रोजाना इंडिगो के गुरुग्राम स्थित एयरलाइन हाउस में तैनात रहेंगे. ये अधिकारी हर रोज की रिपोर्ट अपने प्रमुख को देंगे. मंत्रालय ने यह भी दावा किया है कि इंडिगो की नकेल कसने के कारण ही उसने यात्रियों का पैसा वापस किया है.

यह भी कहा जा रहा है कि इंडिगो ने अपना जवाब दाखिल कर दिया है कि किन कारणों से इंडिगो की उड़ानें एक के बाद एक रद्द होती गईं और फिर पूरा सिस्टम ही ठप पड़ गया. इंडिगो के जवाब की पड़ताल की जा रही है लेकिन क्या इस पड़ताल की रिपोर्ट आम जनता के सामने कभी आएगी कि यह सब किन कारणों से हुआ? इंडिगो सीईओ की हाथ जोड़े एक तस्वीर भी सोशल मीडिया पर डाली गई है ताकि यह दिखाया जा सके कि सरकार कितनी सख्त है मगर असली सवाल इससे इतर है. इंडिगो का कहना है कि उड़ान रद्द होने के कारण यात्रियों को परेशानियों से बचाने के लिए उसने बड़ी संख्या में होटल के कमरों की व्यवस्था की लेकिन यह बताने वाला कोई नहीं है कि यदि पर्याप्त संख्या में कमरों की व्यवस्था इंडिगो ने की तो फिर हजारों-हजार लोग विमान तल पर जमीन पर बैठे क्यों नजर आए?

और जो लोग विमान रद्द होने के बाद विमानतल छोड़ना चाह रहे थे, उन्हें तत्काल उनका सामान क्यों नहीं मिल पाया? विमानतलों पर लावारिस हालत मे पड़े बैग्स किसने नहीं देखे? उन यात्रियों की त्रासदी का क्या जो कहीं नौकरी के लिए फाइनल इंटरव्यू देने जा रहे थे? क्या उनके लिए फिर से इंटरव्यू की तारीख सुनिश्चित की जाएगी? उन लोगों का क्या जो बड़े शहरोें में उपचार के लिए जा रहे थे. उन यात्रियों का क्या जिनके रोजाना उपयोग के कपड़े उनके बैग में पड़े थे और कई दिन वे एक ही कपड़े में रहने को मजबूर हुए.

तवांग से आया एक समूह कई दिनों तक दिल्ली विमानतल पर अटका रहा और उसके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि कहीं होटल में जाकर रुक सके या फिर अपने भोजन की व्यवस्था कर सके! उस पिता की त्रासदी का क्या, जो अपनी बेटी के लिए इंडिगो के लोगों से सैनिटरी पैड मांग रहा था! ऐसी बहुत सी त्रासदियां हैं जो लोगों ने भोगी हैं, शारीरिक तौर पर भी और मानसिक तौर पर भी!

क्या इसकी कोई कीमत इंडिगो अदा करेगी? और क्या त्रासदी भोगने वाले सभी यात्रियों को कोई हर्जाना मिलेगा? और जो घोषणा अभी इंडिगो ने की है, उसका क्रियान्वयन हो रहा है या नहीं, इसे लेकर सरकार सख्ती बरतेगी? शंका इसलिए पैदा हो रही है क्योंकि आम लोगों को लग रहा है कि सरकार ने इंडिगो के साथ उस तरह की सख्ती नहीं बरती है जैसी बरतनी चाहिए थी. इसलिए  इस शंका का निवारण किया जाना चाहिए.

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