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ब्लॉग: स्मार्ट सिटी अब तक कितनी स्मार्ट बनीं?

By पंकज चतुर्वेदी | Updated: July 27, 2024 11:09 IST

लोग अभी तक समझ नहीं पाए कि जो हिस्सा कागजों पर स्मार्ट हो गया है, उसमें जलभराव और जल-आपूर्ति जैसी मूलभूत सुविधाएं पहले से और अधिक खराब क्यों हो गई हैं?

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सन्‌ 2014 में एनडीए सरकार बनने के बाद देश ने जिस महत्वाकांक्षी परियोजना से बहुत अधिक उम्मीदें पाली थीं उनमें देश के 100 शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने का वादा था। उसके लिए जारी बड़ा बजट और स्मार्ट बनने की राह में हुई खुदाई और तोड़-फोड़ के चलते अधिकांश शहरों द्वारा झेली गई दिक्कतें और ऐसे सभी शहरों का थोड़ी सी बरसात में दरिया बन जाना स्वप्निल शहरीकरण की सरकारी असफलता की खुली कहानी है।

जून 2024 की समय सीमा बीत चुकी है और सावन में स्मार्ट सिटी पहले से अधिक डूब रही है। ये शहर अभी एक महीने पहले तक पानी के लिए भी वैसे ही तरस रहे थे जैसे कुछ सौ करोड़ खर्च करने से पहले।

सरकारी आंकड़ों की मानें तो जुलाई 2024 तक, 100 शहरों ने स्मार्ट सिटी मिशन के हिस्से के रूप में 1,44,237 करोड़ की राशि की 7,188 परियोजनाएं (कुल प्रोजेक्ट का 90 प्रतिशत) पूरी कर ली हैं। 19,926 करोड़ की राशि की शेष 830 परियोजनाएं भी पूरी होने के अंतिम चरण में हैं।

वित्तीय प्रगति के मामले में, मिशन के पास 100 शहरों के लिए 48,000 करोड़ का भारत सरकार का आवंटित बजट है। आज तक, भारत सरकार ने 100 शहरों को 46,585 करोड़ (भारत सरकार के आवंटित बजट का 97 प्रतिशत) जारी किए हैं।

शहरों को जारी किए गए इन फंडों में से, अब तक 93 प्रतिशत का उपयोग किया जा चुका है। मिशन ने 100 में से 74 शहरों को मिशन के तहत भारत सरकार की पूरी वित्तीय सहायता भी जारी कर दी है। भारत सरकार ने शेष 10 प्रतिशत परियोजनाओं को पूरा करने के लिए मिशन की अवधि 31 मार्च 2025 तक बढ़ा दी है।

स्मार्ट सिटी की संकल्पना क्या थी? इसमें शहर के एक छोटे से हिस्से को पर्याप्त पानी की आपूर्ति, निश्चित विद्युत आपूर्ति, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सहित स्वच्छता, कुशल शहरी गतिशीलता और सार्वजनिक परिवहन, किफायती आवास, विशेष रूप से गरीबों के लिए, सुदृढ़ आईटी कनेक्टिविटी और डिजिटलीकरण, सुशासन, विशेष रूप से ई-गवर्नेंस और नागरिक भागीदारी, टिकाऊ पर्यावरण, नागरिकों की सुरक्षा और संरक्षा, विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों एवं बुजुर्गों की सुरक्षा, और स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए विकसित किया जाना था।

एक तो यह बात लोगों को देर से समझ आई कि जिन 100 शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए इतना बड़ा बजट रखा गया है, असल में यह उस शहर के एक छोटे से हिस्से के पुनर्निर्माण की योजना है। दूसरा, लोग अभी तक समझ नहीं पाए कि जो हिस्सा कागजों पर स्मार्ट हो गया है, उसमें जलभराव और जल-आपूर्ति जैसी मूलभूत सुविधाएं पहले से और अधिक खराब क्यों हो गई हैं?

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