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मीरा कुमार कांग्रेस की अंतरिम प्रमुख बनेंगी! हरीश गुप्ता का ब्लॉग

By हरीश गुप्ता | Published: November 26, 2020 10:27 AM

कांग्रेस की कमान आने वाले दिनों में किसके हाथ में होगी, इसे लेकर भ्रम की स्थिति बरकरार है. बराक ओबामा के संस्मरणों ने राहुल गांधी को हाल के दिनों में सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया है.

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ठळक मुद्देकांग्रेस में भ्रम की स्थिति, अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर राहुल गांधी की वापसी की अटकलों के बीच मीरा कुमार का नाम भी चर्चा मेंबिहार चुनाव में सफलता के बाद पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा जेपी नड्डा की तारीफ के भी मायने कई हैं!

कांग्रेस में इन दिनों भ्रम की स्थिति है क्योंकि गांधी परिवार के वफादारों को समझ में नहीं आ रहा है कि राहुल गांधी पार्टी अध्यक्ष के रूप में वापसी के लिए क्या करने वाले हैं. केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण द्वारा अगले साल मार्च तक संगठनात्मक चुनाव कराए जाने से पहले ही ये वफादार अंतरिम अध्यक्ष के रूप में उनकी वापसी के लिए जमीन तैयार कर रहे हैं. 

वफादारों का कहना है कि राहुल गांधी को अंतरिम अध्यक्ष के रूप में लाया जाएगा और बाद में पूर्णकालिक अध्यक्ष के रूप में उन्हें स्थायी किया जाएगा. लेकिन असंतुष्ट गुट पार्टी के अंतरिम अध्यक्ष के रूप में राहुल की वापसी को रोकने के लिए दृढ़ है और वे लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार का नाम सामने कर रहे हैं. 

पार्टी को मजबूत करने के लिए उनके पास विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले 3-4 उपाध्यक्ष होंगे. चूंकि राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत इस पद पर आसीन होने के लिए तैयार नहीं हैं, इसलिए इस पद के लिए कोई और उपयुक्त नाम नहीं है. 

भूपिंदर सिंह हुड्डा उपाध्यक्षों में से एक होंगे. ओबामा के संस्मरणों ने राहुल गांधी को उस समय सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया है जब वे स्थिति को संभालने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. ओबामा ने एक तरह से असंतुष्टों के हाथों को मजबूत किया है. 

सोनिया गांधी चाहती हैं कि पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव होने तक समूची प्रक्रिया स्थगित रहे. उन्हें उम्मीद है कि कांग्रेस इन पांच राज्य विधानसभा चुनावों में बेहतर प्रदर्शन करेगी, जिससे पार्टी प्रमुख के रूप में राहुल की वापसी का मार्ग प्रशस्त हो सकता है.

नड्डा सातवें आसमान पर क्यों पहुंचे!

जब पीएम ने अपनी दुर्लभ जीत के बाद बिहार के मतदाताओं को ‘धन्यवाद ज्ञापन’ समारोह के लिए भाजपा मुख्यालय का दौरा किया तो कुछ ऐसा हुआ जो अभूतपूर्व था. भाजपा दो दशकों के बाद नीतीश कुमार के लिए ‘बड़े भाई’ के रूप में उभरी और यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं थी. 

बिहार चुनाव अगले साल कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में पार्टी की किस्मत का फैसला करने के लिहाज से महत्वपूर्ण थे. कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए, पीएम ने अचानक नड्डा की ओर रुख किया और कहा, ‘नड्डा जी आप आगे चलो हम तुम्हारे साथ हैं’. सबकी नजरें उनकी ओर उठ गईं क्योंकि नड्डा के पूर्ववर्तियों में से किसी की भी मोदी ने इस तरह से तारीफ नहीं की थी. 

जब मोदी ने तारीफ दोहराई तो नड्डा मोदी का शुक्रिया अदा करने के लिए अपनी सीट से उठ गए. जब मोदी ने तीसरी बार नड्डा के नारे को दोहराया तो अमित शाह, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी और अन्य लोग उठकर खड़े हो गए और नड्डा के लिए हिचकते हुए ताली बजाई. क्या मोदी उन नेताओं को संदेश भेज रहे थे जो बिहार में चुनाव प्रचार के लिए नहीं गए थे क्योंकि उन्हें हार की आशंका थी? 

इस दुर्लभ तारीफ ने नड्डा को सातवें आसमान पर पहुंचा दिया क्योंकि वे अकेले ही बिहार में तैनात रहे और पार्टी की उपलब्धियों में चार चांद लगाते रहे. क्या वे अपने वरिष्ठों की छाया से बाहर आ रहे हैं? यह देखना होगा. लेकिन उन्होंने अपनी पहचान बना ली है.

एसटीसी को समेटने की शुरुआत

जब मोदी सरकार सत्ता में आई तो उसके पास बीमार सार्वजनिक उपक्रमों को बेचने या बंद करने की बड़ी योजना थी. लेकिन छह साल सत्ता में रहने के बाद उसने महसूस किया कि यह काम जितना आसान लगता था उतना है नहीं. 

कर्मचारियों की सेवामुक्ति पर अरबों रु. खर्च करने के बावजूद बीएसएनएल/ एमटीएनएल को बेचने या पुनर्जीवित करने में सरकार विफल रही. वह एयर इंडिया और बीपीसीएल में हिस्सेदारी बेचने में भले सफल हो रही हो लेकिन उम्मीद से बहुत कम राशि हासिल हो रही है.

वह छह साल पहले ही एसटीसी को बंद करना चाहती थी. लेकिन अब जाकर एसटीसी को एनएसई और बीएसई से बाहर किया जा रहा है. 

एसटीसी बोर्ड ने इस साल मुंबई, कोलकाता व अहमदाबाद शाखाओं को 30 नवंबर तक और अन्य को दिसंबर तक बंद करने के लिए अधिसूचना जारी की है. 2021 तक, एसटीसी अपने मौजूदा कानूनी मुद्दों को हल करने के लिए केवल कागजों पर मौजूद रह सकती है. 

कर्मचारियों को आकर्षक सेवानिवृत्ति लेने या  स्थानांतरण की पेशकश की गई है. अगली बारी एमएमटीसी की होगी. दोनों के पास बड़े पैमाने पर जमीन है जिन्हें संचित घाटे को भरने के लिए अगले चरण में बेचा जा सकता है.

रजनीकांत नहीं मिले

हो सकता है कि अमित शाह ने चेन्नई में अपने रोड शो से खलबली मचा दी हो और मई 2021 के विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी-एआईएडीएमके के चुनावी गठबंधन पर मुहर लगा दी हो. लेकिन लोकप्रिय सिने स्टार रजनीकांत या डीएमके प्रमुख एम.के. स्टालिन के नाराज भाई एम.के. अलागिरी से मिलने की उनकी इच्छा पूरी नहीं हुई. उन्होंने अपने होटल के कमरे में तड़के 2.30 बजे तक बैठकें कीं. लेकिन दोनों नहीं आए.

टॅग्स :कांग्रेसराहुल गांधीनरेंद्र मोदीअमित शाहजेपी नड्डाबिहार विधान सभा चुनाव 2020रजनीकांत
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