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किसानों और महाराष्ट्र के पिछड़े इलाकों को सरकार की सौगात

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: December 31, 2022 16:06 IST

मुख्यमंत्री ने समृद्धि महामार्ग के बाद अब विदर्भ-मराठवाड़ा-पश्चिम महाराष्ट्र से गोवा तक नया एक्सप्रेस महामार्ग बनाए जाने की घोषणा की। जहां तक किसानों की बात है, उन्हें हर हाल में नुकसान उठाना पड़ता है।

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ठळक मुद्देसंतरा फसल को मुआवजे देने के लिए 562 करोड़ रुपए मंजूर होने की बात भी शिंदे ने कही।इसमें विदर्भ में 44123 करोड़ का निवेश होगा, जिससे 45 हजार रोजगार के अवसर पैदा होंगे।शेष राशि का निवेश मराठवाड़ा में होगा, जिससे राज्य के इन पिछड़े इलाकों की हालत सुधरने की उम्मीद बंधी है।

राज्य में धान उत्पादक किसानों को बोनस दिए जाने की घोषणा निश्चित रूप से मौसम की प्रतिकूलताओं से जूझते किसानों को राहत पहुंचाने वाली है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने गुरुवार को विधानसभा में ऐलान किया कि राज्य सरकार की ओर से 2 हेक्टेयर तक धान की खेती पर किसानों को 15 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर बोनस दिया जाएगा। इससे प्रदेश के पांच लाख किसानों को फायदा मिल सकेगा। 

संतरा फसल को मुआवजे देने के लिए 562 करोड़ रुपए मंजूर होने की बात भी शिंदे ने कही। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने बताया कि विदर्भ और मराठवाड़ा में 70 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी दी गई है। इसमें विदर्भ में 44123 करोड़ का निवेश होगा, जिससे 45 हजार रोजगार के अवसर पैदा होंगे। शेष राशि का निवेश मराठवाड़ा में होगा, जिससे राज्य के इन पिछड़े इलाकों की हालत सुधरने की उम्मीद बंधी है। 

मुख्यमंत्री ने समृद्धि महामार्ग के बाद अब विदर्भ-मराठवाड़ा-पश्चिम महाराष्ट्र से गोवा तक नया एक्सप्रेस महामार्ग बनाए जाने की घोषणा की। जहां तक किसानों की बात है, उन्हें हर हाल में नुकसान उठाना पड़ता है। बाढ़ आने या अकाल पड़ने पर फसल नष्ट होने से तो उन पर भुखमरी की नौबत आती ही है, प्रकृति अगर साथ भी देती है और कृषि उपज या सब्जियों की बंपर पैदावार होती है तो बाजार में उनके दाम इतने गिर जाते हैं कि किसानों को अपनी लागत निकालना भी मुश्किल हो जाता है। इसलिए फसल चाहे अच्छी हो या खराब, अन्नदाता किसान को हमेशा मदद की दरकार होती है। 

किसी भी सरकार का यह दायित्व होता है कि वह जरूरतमंदों की मदद सबसे पहले करे। इस दृष्टि से कहा जा सकता है कि राज्य के किसानों और विदर्भ, मराठवाड़ा जैसे पिछड़े इलाकों की मदद करके राज्य सरकार ने अपना दायित्व निभाया है। हालांकि फौरी मदद के साथ-साथ यह कोशिश भी की जानी चाहिए कि जिसे मदद की जरूरत है, उसे इतना सशक्त बना दिया जाए कि बार-बार मदद करने की जरूरत ही न पड़े। विदर्भ और मराठवाड़ा में निवेश से रोजगार के अवसर पैदा होंगे जिससे वहां के लोगों की बेरोजगारी दूर होगी, यह अच्छी बात है। 

किसानों के लिए भी ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए कि खेती उनके लिए लाभप्रद बन जाए और उन्हें सरकार से बार-बार मदद मांगने की जरूरत न पड़े। इसके लिए फसलों का समर्थन मूल्य तो सम्मानजनक स्तर पर हो ही, कोल्ड स्टोरेज और कृषि उपज की प्रोसेसिंग जैसी सुविधाएं भी उन्हें उपलब्ध कराई जानी चाहिए ताकि वे अपने कृषि उत्पादों का जायज मूल्य पा सकें। बहरहाल, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की घोषणा स्वागतयोग्य है और यह राज्य की सर्वांगीण प्रगति में सहायक होगा।

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