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Gaganyaan Mission: अंतरिक्ष क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि की ओर बढ़ता भारत

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: August 26, 2025 05:59 IST

Gaganyaan Mission: इसरो की भविष्य की योजनाओं के अनुसार  2028 में चंद्रयान-चार, शुक्र मिशन और 2035 तक ‘भारत अंतरिक्ष स्टेशन’ की स्थापना की योजना है.

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ठळक मुद्दे2040 तक एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को चंद्रमा पर भेजने का लक्ष्य रखा गया है.किसी भी देश पर अब एक हद से ज्यादा भरोसा नहीं किया जा सकता.दुनिया को दिखा दिया है कि कम बजट में भी हम बड़ी उपलब्धि हासिल कर सकते हैं.

Gaganyaan Mission: भारत के अंतरिक्ष सफर के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होने वाले गगनयान मिशन का काउंटडाउन शुरू हो गया है. इसके अंतर्गत एयर ड्रॉप टेस्ट में पैराशूट सिस्टम की क्षमता जांची गई, ताकि अंतरिक्ष से लौटते समय भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित की जा सके. यह टेस्ट पूरी तरह से सफल रहा. गगनयान मिशन का 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है और अब पहली बिना मानव वाली उड़ान (जी1 मिशन) दिसंबर में होगी. इसके बाद 2027 में भारत अपनी पहली मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान करेगा.

इसरो की भविष्य की योजनाओं के अनुसार  2028 में चंद्रयान-चार, शुक्र मिशन और 2035 तक ‘भारत अंतरिक्ष स्टेशन’ की स्थापना की योजना है. 2040 तक एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को चंद्रमा पर भेजने का लक्ष्य रखा गया है. आज जिस तरह से दुनिया पर युद्धों का खतरा मंडरा रहा है और अमेरिका जैसे देश अपने-अपने स्वार्थों के हिसाब से बाकी देशों की विदेश नीति पर नियंत्रण रखना चाहते हैं,

उसके मद्देनजर अंतरिक्ष क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ना भारत के लिए जरूरी हो गया है. इसमें कोई दो मत नहीं कि दुनिया में भविष्य के युद्ध आज के पारंपरिक युद्धों के मुकाबले बहुत अलग होंगे और उसमें जो देश तकनीक के मामले में जितना आगे होगा, वह उतनी ही बढ़त हासिल करेगा.

पाकिस्तान के खिलाफ भारत द्वारा ऑपरेशन सिंदूर चलाते समय चीन ने अपने उपग्रहों से प्राप्त डाटा के जरिये जिस तरह से हमारी सैन्य गतिविधियों की जानकारी पाकिस्तान को दी, उससे हमें भविष्य के लिए संभल जाना चाहिए. स्वदेशीकरण की दिशा में तेजी से बढ़ना जरूरी है क्योंकि किसी भी देश पर अब एक हद से ज्यादा भरोसा नहीं किया जा सकता.

वैसे भी भारत ने अपने मंगल और चंद्रयान मिशन के जरिये दुनिया को दिखा दिया है कि कम बजट में भी हम बड़ी उपलब्धि हासिल कर सकते हैं.  वर्ष 2013 में भारत के मंगल मिशन की लागत कई हॉलीवुड फिल्मों की लागत से भी कम थी. मात्र 450 करोड़ रुपए की लागत ने इसे  दुनिया का सबसे सस्ता मिशन बनाया था. 50 वर्ष पहले जिस देश के पास उपग्रह प्रौद्योगिकी नहीं थी,

उसी देश के इसरो ने आज तक अपने रॉकेटों से 34 देशों के 433 उपग्रहों को लॉन्च किया है. यह हमारी किफायती स्वदेशी तकनीक की वजह से ही संभव हो सका है. इसलिए इसमें कोई दो राय नहीं कि भविष्य में भी हम अपने सीमित संसाधनों के बावजूद अंतरिक्ष क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियां हासिल करेंगे और भारत इस क्षेत्र में दुनिया का सिरमौर बन सकेगा.

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