Delhi Election Results 2025 LIVE Updates: आखिरकार 27 साल बाद देश के दिल दिल्ली में कमल खिल गया. 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भाजपाई सत्ता का कमल पूर्वोत्तर तक में खिल गया, लेकिन देश की राजधानी में उसे 2025 तक इंतजार करना पड़ा. इस बीच हुए तीनों लोकसभा चुनाव में भाजपा दिल्ली की सभी सातों सीटें जीतती रहीं, लेकिन मतदाताओं ने उसे राज्य की सत्ता के पास नहीं फटकने दिया. तथ्य यह भी है कि 1998 से 2013 तक लगातार 15 साल दिल्ली में सत्तारूढ़ रही कांग्रेस लगातार तीसरी बार विधानसभा चुनाव में खाता तक खोलने में नाकाम रही है.
यह चुनावी जद्दोजहद बताती है कि अपूर्ण राज्य होने के बावजूद दिल्ली की सत्ता राजनीतिक दृष्टि से कितनी महत्वपूर्ण है. इसलिए 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणामों का इतना सरलीकरण नहीं किया जा सकता कि एक दशक से सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) की 40 सीटें कम हो गईं और मुख्य विपक्षी दल भाजपा की उतनी ही सीटें बढ़ गईं.
आखिर इतने बड़े बदलाव के कुछ बड़े कारण भी तो रहे होंगे. उन कारणों को सही संदर्भ में समझे बिना दिल्ली के इस जनादेश को भी नहीं समझा जा सकता. यह चुनाव साधारण चुनाव नहीं था. एक बार फिर सत्ता के लिए मुख्य मुकाबला देश की सबसे ताकतवर पार्टी भाजपा और चमत्कारिक चुनावी सफलता से एक दशक में ही दो राज्यों में सत्तारूढ़ एवं राष्ट्रीय दल बन जानेवाली आम आदमी पार्टी के बीच था.
भाजपा को एक दशक से भी ज्यादा सत्ता का इंतजार करना पड़ा तो शायद इसलिए कि ज्यादातर दलों-नेताओं को भ्रष्टाचारी बताने से केजरीवाल की बनी ‘श्रीमान ईमानदार’ की छवि और ‘मुफ्त रेवड़ी’ राजनीति की कारगर काट बिना उनसे पार पा सकना संभव नहीं था. केजरीवाल को उत्तर भारत में ‘रेवड़ी राजनीति’ का जनक माना जाता है, लेकिन पिछले कुछ सालों में भाजपा इस खेल में उन्हें पीछे छोड़ चुकी है.
इसलिए जब शराब घोटाले और शीशमहल के आरोपों तथा यमुना सफाई और स्वच्छ पेयजल सप्लाई जैसे अधूरे वायदों से केजरीवाल की साख संदेह और सवालों में घिरी, तो मोदी की गारंटियां आप पर भारी पड़ गईं. दरअसल केजरीवाल केंद्रित यह चुनाव भाजपा ने दो मोर्चों पर लड़ा. एक, केजरीवाल की छवि पर उठते संदेह-सवालों पर भाजपा ने आक्रामक रुख अपनाया.
दो, वेतन आयोग के गठन और बजट में आयकर राहत से मध्य वर्ग को लुभाते हुए आप के जनाधार में सेंध लगाई. बेशक भाजपा की इस रणनीति में कांग्रेस की अपनी रणनीति भी मददगार बन गई. विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में ‘आप’ के साथ शामिल तथा दिल्ली समेत कुछ राज्यों में उससे मिल कर लोकसभा चुनाव लड़ी कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में उसके विरुद्ध मोर्चा खोल दिया था.