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ब्लॉग: जलवायु परिवर्तन की मार से अछूते नहीं हैं पक्षी

By पंकज चतुर्वेदी | Updated: September 9, 2023 11:57 IST

जब तक पक्षी हैं तब तक यह धरती इंसानों के रहने को मुफीद है यह धर्म भी है, दर्शन भी और विज्ञान भी।

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भारत में पक्षियों की स्थिति-2023’ रिपोर्ट के नतीजे नभचरों के लिए ही नहीं धरती पर रहने वाले इंसानों के लिए भी खतरे की घंटी हैं। बीते 25 सालों के दौरान हमारी पक्षी विविधता पर बड़ा हमला हुआ है, कई प्रजाति लुप्त हो गई तो बहुत की संख्या नगण्य पर आ गई।

पक्षियों पर मंडरा रहा यह खतरा शिकार से कहीं ज्यादा विकास की नई अवधारणा के कारण उपजा है। एक तरफ बदलते मौसम ने पक्षियों के प्रजनन, पलायन और पर्यावास पर विषम असर डाला है तो अधिक फसल के लालच में खेतों में डाले गए कीटनाशक, विकास के नाम पर उजाड़े गए उनके पारंपरिक जंगल, नैसर्गिक परिवेश की कमी से उनके स्वभाव में परिवर्तन आ रहा है।

विदित हो कि पंछियों के अध्ययन के लिए कई हजार पक्षी वैज्ञानिकों व प्रकृति प्रेमियों द्वारा लगभग एक करोड़ आकलन के आधार पर इस रिपोर्ट को तैयार किया गया है। इसके लिए कोई 942 प्रजातियों के पक्षियों का अवलोकन किया गया।

इनमें से 299 के बारे में बहुत कम आंकड़े मिल पाए. शेष बचे 643 प्रजातियों के आंकड़ों से जानकारी मिली कि 64 किस्म की चिड़ियां बहुत तेजी से कम हो रही हैं, जबकि अन्य 78 किस्म की संख्या घट रही है।

आंकड़े बताते हैं कि 189 प्रजाति के पक्षी न घट रहे हैं न बढ़ रहे हैं लेकिन वे जल्द ही संकट में आ सकते हैं। इस अध्ययन में पाया गया कि रैपटर्स अर्थात झपट्टा मार कर शिकार करने वाले नभचर तेजी से कम हो रहे हैं।

इनमें बाज, चील, उल्लू आदि आते हैं। इसके अलावा समुद्री तट पर मिलने वाले पक्षी और बतखों की संख्या भी भयावह तरीके से घट रही है। वैसे भी नदी, तालाब जैसी जल निधियों के किनारे रहने वाले पक्षियों की संख्या घटी है।

नीलकंठ सहित 14 ऐसे पक्षी हैं जिनकी घटती संख्या के चलते उन्हें आईयूसीएन की रेड लिस्ट में दर्ज करने की अनुशंसा की गई है। रेड लिस्ट में संकटग्रस्त या लुप्त हो रहे जानवरों को रखा जाता है।

पक्षियों की संख्या घटना असल में देश की समृद्ध जैव विविधता पर बड़ा हमला है। एक तरफ पक्षी घट रहे हैं तो उनके आवास स्थल पेड़ों पर भी बड़ा संकट है।

देश में न केवल वन का दायरा कम हो रहा है, बल्कि भारत में मिलने वाली पेड़ों की कुल 3708 प्रजातियों में से 347 खतरे में हैं। इसरो के डाटा बेस ट्रीज ऑफ इंडिया के मुताबिक ऐसे पेड़ों की संख्या पर अधिक संकट है जो लोकप्रिय पंछियों के आवास और भोजन के माध्यम हैं।

समझना होगा कि जब तक पक्षी हैं तब तक यह धरती इंसानों के रहने को मुफीद है यह धर्म भी है, दर्शन भी और विज्ञान भी। यदि धरती को बचाना है तो पक्षियों के लिए अनिवार्य भोजन, नमी, धरती, जंगल, पर्यावास की चिंता समाज और सरकार दोनों को करनी होगी।

टॅग्स :Environment DepartmentभारतIndiaWildlife Conservation Department
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