डाॅ. कुंवर पुष्पेंद्र प्रताप सिंह
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का परिणाम आश्चर्य से अधिक एक स्पष्ट जनादेश की तरह सामने आया. भाजपा और जदयू की संयुक्त शक्ति, सामाजिक समीकरणों पर पकड़ और विकास आधारित अभियान ने इस जीत को ऐतिहासिक स्तर पर पहुंचा दिया. एनडीए की 202 सीटों की जीत असाधारण इसलिए भी है कि यह सिर्फ सीटों का परिणाम नहीं, बल्कि कई स्तरों पर फैली राजनीतिक रणनीति का प्रमाण है. भाजपा और जदयू के बीच सीटों का तालमेल लगभग बराबर रहा, जो गठबंधन की एकजुटता को दर्शाता है. महागठबंधन इस बार बुरी तरह पिछड़ गया और राजनीतिक रूप से बिखरा हुआ दिखाई दिया.
एनडीए की जीत के मुख्य कारण हैं नीतीश कुमार का प्रशासनिक अनुभव, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राष्ट्रीय प्रभाव और भाजपा का व्यापक संगठन- तीनों ने मिलकर बहुस्तरीय चुनावी ताकत तैयार की. महिला स्वावलंबन, युवाओं के लिए रोजगार कार्यक्रम, बुनियादी ढांचों में सुधार और केंद्र व राज्य सरकार की संयुक्त योजनाओं का असर स्पष्ट दिखा.
जबकि राजद और कांग्रेस अपनी राजनीतिक पकड़ को मजबूत नहीं कर सके. नेतृत्व-संकट, संदेश-अस्पष्टता और जमीनी नेटवर्क की कमजोरी वोटों में सीधे तौर पर दिखी. प्रचंड जीत के पीछे सबसे महत्वपूर्ण तत्व था मतदाता समूहों का पूर्ण पुनर्संरेखण. चुनाव विश्लेषकों के अनुसार, महिला मतदान का भारी झुकाव एनडीए की जीत का सबसे महत्वपूर्ण कारक रहा.
युवा वोटरों की संख्या बिहार में सबसे अधिक है. इस बार यह स्पष्ट दिखा कि युवा वर्ग ने एनडीए को अधिक वरीयता दी. बिहार की राजनीति में सबसे निर्णायक वर्ग - पिछड़ा, अति-पिछड़ा और अर्ध-पिछड़ा मतदाता रहे. इस चुनाव में एनडीए ने इन समुदायों में गहरी पैठ बनाई. इन चुनावों ने दिखा दिया कि बिहार के मतदाता अब केवल जाति के आधार पर वोट नहीं करते.
एक नई राजनीति उभर रही है- जो विकास, कल्याण और स्थिरता के एजेंडे को महत्व देती है. इस चुनाव ने महिलाओं और युवाओं को ‘किंग-मेकर’ साबित किया. यह वर्ग आने वाले समय में भी किसी भी राजनीतिक दल की सफलता का प्रमुख आधार बना रहेगा. यह चुनाव विपक्ष के लिए चेतावनी भी है. महागठबंधन को पुनर्गठन, नए नेतृत्व और जमीनी संपर्क को फिर से मजबूत करने की कड़ी जरूरत है.
वरना बिहार में एक-दलीय प्रभुत्व लंबे समय तक बना रह सकता है. एनडीए की जीत जितनी बड़ी है, चुनौतियां भी उतनी ही बड़ी होंगी, जिनमें शामिल है रोजगार सृजन और औद्योगिक निवेश, ग्रामीण स्वास्थ्य और शिक्षा का सुधार, कानून व्यवस्था में स्थिरता और गठबंधन के अंदर समन्वय बनाए रखना
बिहार के लोग अब उम्मीद कर रहे हैं कि एनडीए इस विशाल जनादेश को सही मायने में ‘विकास के दशक’ की शुरुआत में बदलेगा. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 सिर्फ एक सामान्य चुनाव नहीं था-यह बदलाव की राजनीति का संकेत है. मतदाता पहली बार इतनी स्पष्टता से विकास और कल्याणकारी नीतियों को प्राथमिकता देते दिखाई दिए.