Cancer News: कैंसर शरीर में होने वाली एक असामान्य और खतरनाक स्थिति है. कैंसर तब होता है जब शरीर में कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने और विभाजित होने लगती हैं. कैंसर की सबसे बड़ी वजहों में धूम्रपान, तंबाकू और शराब का सेवन, मोटापा, शरीर में पोषक तत्वों और शारीरिक सक्रियता की कमी शामिल है.
इसकी वजह ग्लोबलाइजेशन, बढ़ती अर्थव्यवस्था, बूढ़ी हो रही जनसंख्या और तेजी से बढ़ रही खराब लाइफस्टाइल भी बताई जाती है. कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसके उपचार के बाद भी इस बीमारी से मरने वाले लोगों की संख्या कम होने की जगह बढ़ रही है. हाल के समय में सरकार के दावों और स्वास्थ्य सुरक्षा के बीच कैंसर से मरने वालों की संख्या एक वर्ष में 9 लाख तक पहुंच चुकी है.
दरअसल, द लैंसेट ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है,जिसके अनुसार भारत में कैंसर के 12 लाख मामलों में से 9 लाख लोगों की मौत हो गई. ये डाटा वर्ष 2019 का है. रिपोर्ट में एशिया क्षेत्र के देशों में कैंसर संबंधित अनुसंधान में निकलकर आया कि सबसे ज्यादा मामले चीन में हैं. शोधकर्ताओं ने एशियाई देशों में कैंसर को जन स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा बताया है.
अगर जल्दी पता चल जाए और प्रभावी ढंग से इलाज किया जाए तो ज्यादातर कैंसर की बीमारियां ठीक हो सकती हैं. सर्वविदित है कि कैंसर के इलाज में काफी खर्च होता है, क्योंकि इसका इलाज काफी महंगा है. आम आदमी कैंसर का इलाज नहीं करा पाता, क्योंकि उसके पास इतना पैसा नहीं है.
अगर किसी घर में कोई कैंसर का मरीज होता है तो पूरा परिवार कर्ज में डूब जाता है और सालों-साल तक कर्ज चुकाने के लायक नहीं रहता. कैंसर एक ऐसा रोग है जो किसी भी उम्र में हो सकता है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह है कि कैंसर से बचने के लिए फल, सब्जियों, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन से भरपूर संतुलित आहार खाना चाहिए.
ये सभी आवश्यक पोषक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट प्रदान करते हैं जो शरीर को कैंसर से बचाने में मदद करता है. इन खाद्य पदार्थों में विटामिन, खनिज और फाइटोकेमिकल्स होते हैं जो फ्री रैडिकल्स से लड़ते हैं और सूजन को कम करते हैं. फ्री रैडिकल्स और सूजन कैंसर के विकास से जुड़े हुए हैं. इसके अलावा एक हेल्दी लाइफस्टाइल कैंसर से बचने के लिए महत्वपूर्ण है.
हाल के वर्षों में प्रदूषण और पर्यावरण में मौजूद विषाक्त गैसों के लगातार संपर्क में रहने से भी कैंसर का खतरा बढ़ा है. वायु और जल प्रदूषण लोगों को हानिकारक पदार्थों के के संपर्क में लाते हैं. ऐसे लोगों को समय-समय पर अपनी स्क्रीनिंग करानी चाहिए.