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ब्लॉग : भारत को सुपर पावर बनाने के लिए शिक्षा प्रणाली में सुधार की जरूरत

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: September 10, 2018 4:56 PM

आज का युग केवल ज्ञान का युग है। यहां तक कि आज बिना ज्ञान का मनुष्य केवल अज्ञानी नहीं बल्कि पिछड़ा भी कहलाता है।

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मनुष्य हमेशा से ही अपनी बुद्धि के प्रति बहुत जागरूक रहा है। यही कारण है कि वह ज्ञान को पाने के लिए हमेशा तत्पर रहा है। आज जिस संसार में हम रह रहे हैं यह सारा का सारा मनुष्य का बनाया हुआ है। इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी, सूचना प्रणाली, कम्प्यूटर्स, हवाई यात्रा या अंतरिक्ष यात्रा, सब के सब मनुष्य के परामर्श से ही संभव हुए हैं। आज का युग केवल ज्ञान का युग है। यहां तक कि आज बिना ज्ञान का मनुष्य केवल अज्ञानी नहीं बल्कि पिछड़ा भी कहलाता है। ज्ञान ने अपनी उस चरम सीमा को आज छू लिया है जिसे वह सदियों से पाने की चेष्टा में था। यह कहना गलत नहीं होगा कि आज जो स्थान मनुष्य ने पाया है वह केवल ज्ञान को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाने से ही संभव हुआ है। आज के इस दौर में मनुष्य हर रोज कुछ नया कर गुजरने की चाह में है और उसने ऐसा किया भी है। फिर चाहे वह युद्ध प्रणाली हो या गुप्तचर सेवाएं या फिर संचार का माध्यम, जो भी आज हम देखते हैं। यह केवल सूचना का आदान प्रदान ही तो है। यही कारण है की इस युग को सूचना युग कहते हैं। इस समय का सब से महत्त्वपूर्ण अंश यह भी है के इस समय को अधिक से अधिक सूचना ग्रहण करने में व्यय किया जाये। जब हम शिक्षा की बात करते हैं तो हमें अपने इतिहास को भी याद रखना चाहिए जो हमें हमेशा से ही शिक्षा एवं शिक्षित समाज की ओर ही बढ़ाता रहा है। विश्व की शिक्षा प्रणाली में विश्वविद्यालयों का काफी योगदान रहा है और भारत को इस में पहल हासिल है। आज की हमारी शिक्षा प्रणाली बहुत से मूल्यों पर आधारित है। हर नए साल में नई शिक्षा नीतियां दर्शातीं हैं कि आज भी हम शिक्षा में नित नए बदलाव देखना चाह रहे हैं। विदेश शिक्षा भी इसी श्रृंखला का एक अंश है। 

आज़ादी के समय से ही हम सुनते आये हैं कि बापू गांधी बेरिस्टर की शिक्षा इंग्लैंड से लेकर आये थे जो उस समय की एक महान शक्ति रहा, फिर डॉ। भीमराव आंबेडकर , पंडित जवाहर लाल नेहरू। यह सब के सब महान लोग विदेशों से नई शिक्षा प्रणाली लेकर आये जो आगे चल कर हमारे देश के बहुत काम भी आयी और हमारी अपनी शिक्षा प्रणाली में बदलाव का कारण भी बनी।

आज भी लाखों भारतीय विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने के लिए विदेश जाते हैं और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में भारत के योगदान का प्रतीक बनते हैं। मेडिकल, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, लॉ और ऐसी बहुत सी विभिन्न शिक्षाओं को लेकर उसे विश्व में प्रचार करते हैं। दूसरे विश्व युद्ध के बाद आज की स्थिति में यूएसए एक सुपर पावर की तरह उभरा है। सुपर पावर होने का यह तात्पर्य नहीं है कि उनके पास अति सक्षम युद्ध प्रणाली है बल्कि सुपर पावर अपने आप में विभिन्न विशेषताओं का समावेश है। आज अमेरिका यौद्धिक कौशल के अलावा बैंकिंग प्रणाली, इन्शुरन्स सिस्टम, मेडिकल सर्विसेज, और शिक्षा के मैदान में भी अग्रसर है। यही कारण है कि आज भी भारत से लगभग 5 लाख से भी अधिक विद्यार्थी हर वर्ष यूएसए जाते हैं। 

यूरोप का भी अपना एक स्थान है शिक्षा के मैदान में, जहा इंग्लैंड अपनी मैनेजमेंट स्टडीज के लिए जाना जाता है वहीं पर जर्मनी भी है जो अपनी इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी के लिए जाना जाता है, फ्रांस और स्विट्ज़रलैंड अपनी हॉस्पिटैलिटी मैनेजमेंट की शिक्षा के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं। करियर काउंसलिंग एक बहुत ही लाभदायक उपाय है अपनी चिंताओं से मुक्त होकर आगे बढ़ने का। बहुत से विद्यार्थियों को बहुत सी बातों का ज्ञान नहीं होता लेकिन एक सक्षम काउंसलर वही होता है जो हर पहलु को ध्यान में रखते हुए काउंसलिंग करे। फिर चाहे वह भविष्य रोज़गार नीति हो या राजनीतिक स्थितियां या फिर क्लाइमेट चेंज, हर पहलु को ध्यान में रखते हुए और स्टूडेंट की मानसिक व मनोवैज्ञानिक स्थिति को नजरअंदाज किये बिना काउंसलिंग करना ही एक सही काउंसेलर का उद्देश्य होना चाहिए। 

मुजफ्फर अहमद(काउंसलिंग एक्सपर्ट ऑफ अब्रॉड सलूशन इंडिया)

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