अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल में भारत और अमेरिका के बीच कारोबार और गहरी मित्रता की जिन चमकीली ऊंचाइयों की उम्मीदें की जा रही थी, वे ट्रम्प के द्वारा भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाए जाने के ऐलान के बाद चकनाचूर हो गई हैं. इतना ही नहीं ट्रम्प ने दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से भारतीय अर्थव्यवस्था को मृतप्राय बताते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था उसी तरह गर्त में चली जाएगी, जैसे भारत के पुराने दोस्त रूस की अर्थव्यवस्था गर्त में गई है. गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत सहित 70 देशों पर व्यापार असंतुलन को दूर करने के लिए 10 से 41 प्रतिशत तक टैरिफ लगाया है, जिसमें भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ सुनिश्चित किया है. इस समय अमेरिका और भारत के बीच अंतरिम व्यापार समझौते पर अंतिम दौर की चर्चा जारी है,
जिसे फरवरी 2025 में प्रधानमंत्री मोदी और ट्रम्प के बीच समझौते के तहत इसी वर्ष 2025 के अंत तक अंतिम रूप देने का निर्णय हुआ है. लेकिन अंतरिम व्यापार समझौते पर अंतिम चर्चा के समय भारत देश के करोड़ों लोगों की अजीविका से जुड़े हुए कृषि और डेयरी क्षेत्र में रियायत देने को तैयार नहीं है. ऐसे में भारत पर दबाव के मद्देनजर अमेरिका ने भारत पर दबाव बढ़ाने के लिए ऊंचे टैरिफ का ऐलान किया है.
स्थिति यह है कि कुछ देशों ने ट्रम्प की एकपक्षीय और भेदभाव भरी मांगों के सामने घुटने टेक दिए हैं लेकिन भारत ऐसे देशों से बहुत अलग दिखाई दे रहा है. यद्यपि ट्रम्प के नए टैरिफ से अमेरिका को भारत से निर्यात में कमी जरूर आएगी, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था पर विशेष असर इसलिए नहीं होगा, क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था नहीं है.
प्रधानमंत्री मोदी की यह रणनीति सही है कि यदि झुक गए तो भविष्य में और भी दबाव पड़ सकता है तथा बार-बार घुटने टेकने पड़ सकते हैं. ऐसे में जनहित के मद्देनजर अब तक भारत ने अमेरिका के साथ अंतरिम व्यापार समझौता नहीं किया है. भारत ने ट्रम्प की उस इच्छा को ठुकरा दिया है, जिसमें ट्रम्प अन्य देशों के साथ भारत के रिश्तों पर वीटो चाहते हैं,
यानी वे चाहते हैं कि अमेरिका तय करे कि भारत किसके साथ कैसे रिश्ते रखे. चूंकि अब भारत को अमेरिकी बाजारों को निर्यात करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, ऐसे में भारत को कई बातों पर ध्यान देना होगा. भारत को अपनी अर्थव्यवस्था को और भी बहिर्मुखी बनाना होगा.
अच्छी बात यह है कि हाल ही में भारत ने महत्वपूर्ण मुक्त व्यापार-समझौते (एफटीए) कर लिए हैं और उसे दोगुनी तेजी के साथ ऐसे अन्य समझौतों की दिशा में बढ़ना होगा. दक्षिण-पूर्व एशिया के जीवंत आर्थिक क्षेत्र से फिर से जुड़ना होगा.