PM Modi in Bhutan: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस सप्ताह हुई भूटान यात्रा से न केवल द्विपक्षीय संबंधों को गति मिलने की उम्मीद है बल्कि इसका अहम पहलू चीन एंगल भी है. जिस तरह से चीन दक्षिण एशियाई क्षेत्र की घेराबंदी कर रहा है, विशेष तौर पर भूटान सहित भारत के पड़ोसियों के आधारभूत ढांचे को विकसित करने में सहयोग देने के नाम पर ऋण जाल के दुष्चक्र में फंसाने सहित उनकी भूमि पर अपनी बस्तियां बनाकर, उस क्षेत्र को हथिया कर अपनी गिरफ्त बढ़ा रहा है, इस पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री मोदी की भूटान यात्रा अहम है.
गौरतलब है कि भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11-12 नवंबर तक भूटान की दो दिवसीय राजकीय यात्रा की. यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी 11 नवंबर को चांगलांग में भूटान नरेश के पिता चतुर्थ ड्रुक ग्यालपो की 70वीं जयंती के अवसर पर भूटान के लोगों के साथ मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए.
भूटान आधारभूत ढांचा विकसित करने के लिए ऊर्जा, विशेष तौर पर जल विद्युत परियोजनाओं के साथ-साथ सुरक्षा और व्यापार में भारत का अहम क्षेत्रीय साझीदार रहा है. इस दौरान दोनों देशों के बीच 1020 मेगावाट की पुनात्सांगछू-II जलविद्युत परियोजना का संयुक्त रूप से उद्घाटन सहयोग का एक महत्वपूर्ण चरण है,
जबकि दूसरी तरफ चीन भारत के आसपास के पड़ोसियों को ऋण देने, कनेक्टिविटी परियोजनाओं, रक्षा क्षेत्र में सहयोग, आधारभूत ढांचा विकसित करने के नाम पर वहां के भूभाग को हथियाने और ऋण के दुष्चक्र के नाम पर दक्षिण एशिया में अपना वर्चस्व बढ़ाने पर तुला है.
ऐसे में इन सभी देशों के सम्मुख चीन के बढ़ते वर्चस्व को रोकने और अपनी संप्रभुता की रक्षा, अपने राष्ट्रीय हितों, विशेष तौर पर सुरक्षा हितों की रक्षा बड़ी चुनौती है. भारत, भूटान और चीन से जुड़ा डोकलाम भी भारत के सुरक्ष हितों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है.
अन्य चिंताओं के साथ ही डोकलाम में अगर क्षेत्र को लेकर कोई अदला-बदली होती है तो भारत के सिलीगुड़ी काॅरिडोर के लिए बड़ा खतरा हो सकता है. निश्चित तौर पर भूटान की अपनी चुनौतियां हैं. चीन के साथ उसकी विवादास्पद लंबी सीमा जुड़ी हुई है, जो विवादों के केंद्र में रही है. भारत और भूटान न केवल सीमाओं से जुड़े हैं.
बल्कि आज के बदलते क्षेत्रीय समीकरणों और इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते वर्चस्व और ऋण के दुष्चक्र में भारत के पड़ोसी देशों को अपनी गिरफ्त में लेने की नीति की तुलना में उनका सहयोग आपसी भरोसे का है. उम्मीद है कि आपसी विश्वास और भरोसे से सहयोग करने का उन दोनों के बीच का रिश्ता और मजबूत हो सकेगा.