From idiot boxes to broadband: आज जब स्मार्टफोन और इंटरनेट का दौर है, तब भी टेलीविजन अपनी व्यापक पहुंच, विश्वसनीयता और जनचेतना पर प्रभाव के कारण दुनिया में सबसे प्रभावशाली माध्यम माना जाता है किंतु इस क्रांति का आरंभ कितना सरल, कितना अप्रत्याशित था, यह बात अक्सर अनसुनी रह जाती है. खेतों की जुताई के दौरान बनी हल की सीधी रेखाओं से जन्मा टेलीविजन का विचार आज वैश्विक समाज के मन-मस्तिष्क को आकार देने वाला सबसे शक्तिशाली उपकरण बन चुका है. इसी अद्भुत यात्रा को स्मरण करने हेतु हर वर्ष 21 नवंबर को विश्व टेलीविजन दिवस मनाया जाता है.
टेलीविजन की कहानी किसी वैज्ञानिक प्रयोगशाला में नहीं बल्कि अमेरिकी राज्य इडाहो के एक साधारण खेत से शुरू हुई, जहां 11 वर्षीय बालक फिलो फॉर्न्सवर्थ ने बिजली पहली बार देखी थी. गांव में बिजली न होने के कारण उनके लिए यह अनुभव किसी चमत्कार से कम नहीं था. तकनीक के प्रति उत्साह इतना प्रबल था कि उन्होंने कबाड़ व स्पेयर पार्ट्स से अपने हाथों कई यांत्रिक उपकरण बना लिए.
एक दिन जब उनके चाचा खेत में हल चला रहे थे और जुताई के दौरान मिट्टी पर सीधी रेखाओं वाले आयताकार पैटर्न बन रहे थे, तभी फॉर्न्सवर्थ के बाल-मन में अचानक यह विचार कौंधा कि तस्वीरों को भी इसी प्रकार इलेक्ट्रॉनिक रूप में पंक्तियों और स्तंभों में विभाजित कर प्रसारित किया जा सकता है. यही वह क्षण था, जिसने आधुनिक टेलीविजन को जन्म दिया.
कुछ वर्षों बाद यही बालक इलेक्ट्रॉनिक टेलीविजन का जनक बनकर इतिहास में अमर हुआ. 1927 में फॉर्न्सवर्थ ने पहली बार पूर्णतः इलेक्ट्रॉनिक टेलीविजन सिस्टम का प्रदर्शन किया और 1930 में इसके पेटेंट हेतु आवेदन किया. हालांकि इस दौरान कई कंपनियों ने इस पर दावा किया परंतु फॉर्न्सवर्थ ने साबित कर दिया कि उनके स्कूल के दिनों में ही यह विचार खेत से प्राप्त हुआ था.
1935 में पेटेंट मिलने के बाद उन्हें विश्व का पहला कार्यक्षम इलेक्ट्रॉनिक टेलीविजन बनाने का श्रेय मिला. इससे पहले स्कॉटिश वैज्ञानिक जॉन लॉगी बेयर्ड 1925 में मैकेनिकल टेलीविजन बना चुके थे और 1926 में उन्होंने दुनिया का पहला टीवी प्रसारण भी किया था परंतु आधुनिक टेलीविजन की नींव इलेक्ट्रॉनिक तकनीक से ही पड़ी.
संयुक्त राष्ट्र ने टीवी की महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देते हुए वर्ष 1996 में पहली बार विश्व टेलीविजन दिवस मनाने की घोषणा की. 21-22 नवंबर 1996 को ‘विश्व टेलीविजन मंच’ का आयोजन हुआ, जिसमें वैश्विक राजनीति, आर्थिक विकास, संघर्षों, पर्यावरण और सामाजिक मुद्दों पर टीवी मीडिया की भूमिका पर व्यापक चर्चा की गई.
इसके बाद 17 दिसंबर 1996 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रस्ताव पारित कर 21 नवंबर को विश्व टेलीविजन दिवस घोषित कर दिया. यह दिन टीवी को ‘मनोरंजन’ के उपकरण रूप में नहीं, वैश्विक संवाद, लोकतंत्र, शिक्षा और सामाजिक जागरूकता के शक्तिशाली माध्यम के रूप में सम्मानित करता है.
भारत में टीवी का प्रभाव तेजी से बढ़ा है. ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) के अनुसार वर्ष 2020 तक भारत में टीवी देखने वाले घरों की संख्या 21 करोड़ हो गई थी. देश में 98 प्रतिशत घरों में एक ही टीवी है जबकि दो प्रतिशत घरों में एक से अधिक टीवी हैं.