GST New Rate: हाल ही में तीन सितंबर को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की 56वीं बैठक में महंगाई से आम आदमी को राहत देने, ट्रम्प टैरिफ से जूझ रहे उद्योग-कारोबार को गति देने और देश की आर्थिक रफ्तार बढ़ाने के मद्देनजर जीएसटी ढांचे और जीएसटी दरों में आमूल सुधार करने के लिए प्रभावी निर्णय लिए गए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में दिवाली से पहले उपहार के रूप में जीएसटी के नए राहतकारी सुधारों का ऐलान किया गया था. अब जीएसटी परिषद ने अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधारों पर मुहर लगा दी है.
इस अहम कर सुधार पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जीएसटी में बदलाव के फैसलों से आम जनता, किसानों, एमएसएमई, मध्यम वर्ग महिलाओं और युवाओं को लाभ होगा. यह एक ऐतिहासिक बदलाव है. ये व्यापक सुधार नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाएंगे और खासतौर से छोटे व्यापारियों और कारोबारों के लिए व्यापार करने में आसानी सुनिश्चित करेंगे.
खास बात यह है कि जीएसटी की नई दर व्यवस्था 22 सितंबर, नवरात्रि के पहले दिन से लागू होगी. जीएसटी सुधारों का देश के शेयर बाजार ने स्वागत किया है और उम्मीद है कि आगामी दिनों में शेयर बाजार में जीएसटी में सुधार के ऐलान से नया जोश दिखाई देगा. गौरतलब है कि 1 जुलाई 2017 से देशभर में लागू जीएसटी पर जीएसटी परिषद ने विगत वर्षों में व्यापक मूल्यांकन और विश्लेषण के बाद जीएसटी में सरलता और नए जीएसटी ढांचे के रोडमैप को मंजूरी दी है.
जीएसटी परिषद ने मौजूदा चार टैक्स स्लैब 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी में बदलाव करते हुए इन्हें घटाकर 5 फीसदी और 18 फीसदी स्लैब वाले दो-स्तरीय जीएसटी को मंजूरी दी है. हालांकि अहितकर वस्तुओं की श्रेणी में आने वाली कुछ वस्तुओं पर 40 फीसदी कर स्लैब लागू होगा.
अब जीएसटी सुधारों के तीन बड़े आधार हैं. एक, स्ट्रक्चरल सुधार. इसमें टैक्स ढांचे को और बेहतर किया गया है. दो, टैक्स दरों को तर्कसंगत बनाया गया है, ताकि जरूरी वस्तुएं सस्ती हों तथा तीन, नए रजिस्ट्रेशन, रिफंड को आसान बनाया गया है. इससे इनपुट और आउटपुट टैक्स रेट्स में संतुलन आएगा.
जीएसटी के रजिस्ट्रेशन से लेकर पालन प्रतिवेदन की प्रक्रिया भी आसान की गई है. कारोबारी अब सिर्फ तीन दिन में जीएसटी पोर्टल पर अपना पंजीयन करा सकेंगे . उन्हें 7 दिनों में रिफंड देने की व्यवस्था होगी. कच्चे माल और तैयार माल की दरों में भिन्नता होने के कारण इनपुट टैक्स रिटर्न में होने वाली दिक्कतों को भी समाप्त कर दिया गया है.