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ललित गर्ग का ब्लॉग: प्रवासी कामगारों से मजबूत होती अर्थव्यवस्था

By ललित गर्ग | Updated: May 14, 2024 11:22 IST

इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन (आईओएम) की 7 मई 2024 को जारी विश्व प्रवासन रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2024 में भारत विदेशों में काम करने वाले भारतीय कामगारों से सबसे ज्यादा धन पाने वाले देशों के रूप में सूचीबद्ध हुआ है.

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ठळक मुद्दे मैक्सिको, चीन, फिलीपींस व फ्रांस जैसे देश भी इस सूची में भारत की तुलना में निचले पायदानों पर है. भारत में अनुमानित 1.8 करोड़ लोग अंतरराष्ट्रीय प्रवासी के रूप में काम करने के लिए विदेश जाते हैं.भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करते हैं. 

इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन (आईओएम) की 7 मई 2024 को जारी विश्व प्रवासन रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2024 में भारत विदेशों में काम करने वाले भारतीय कामगारों से सबसे ज्यादा धन पाने वाले देशों के रूप में सूचीबद्ध हुआ है. मैक्सिको, चीन, फिलीपींस व फ्रांस जैसे देश भी इस सूची में भारत की तुलना में निचले पायदानों पर है. 

भारत के लिए यह गौरव की बात है और इससे दुनिया की आर्थिक महाशक्ति बनने के भारत के प्रयासों को भी बल मिलेगा. नया भारत एवं सशक्त भारत के निर्माण में विदेशों में रह रहे भारतीय कामगारों ने अपने खून-पसीने की कमाई से अर्जित धनराशि में से वर्ष 2022 में 111 बिलियन डॉलर अपने देश भेजे हैं. 

यह आंकड़ा जहां विश्व में भारतीय श्रमशक्ति की गौरवपूर्ण गाथा को दर्शाता है, वहीं देश की अर्थव्यवस्था में उनके अमूल्य योगदान को दिखाता है. आईओएम की ताजा रिपोर्ट वैश्विक प्रवास पैटर्न में महत्वपूर्ण बदलावों का खुलासा करती है, जिसमें विस्थापित लोगों की रिकॉर्ड संख्या और अंतरराष्ट्रीय प्रेषण में बड़ी वृद्धि शामिल है. 

पूरे विश्व में अनुमानित 281 मिलियन अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों के साथ, संघर्ष, हिंसा, आपदा और अन्य कारणों से विस्थापित व्यक्तियों की संख्या आधुनिक रिकॉर्ड में उच्चतम स्तर तक बढ़ गई है, जो 117 मिलियन तक पहुंच गई है, जो विस्थापन संकट को संबोधित करने की तात्कालिकता को रेखांकित करती है.

भारत में अनुमानित 1.8 करोड़ लोग अंतरराष्ट्रीय प्रवासी के रूप में काम करने के लिए विदेश जाते हैं. भारतीय अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों में सॉफ्टवेयर इंजीनियरों, डॉक्टरों आदि जैसे पेशेवरों का अनुपात बढ़ गया है. इनका वेतन ज्यादा होता है और वे बड़ी मात्रा में पैसा भारत भेजते हैं.

इनके अलावा भारतीय कामगार भी बड़ी संख्या में विदेशों में अपने श्रम से धन अर्जित करके न केवल अपने परिवारों का पालन-पोषण करते हैं बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करते हैं. 

निश्चित रूप से यह उन कामगारों के भारत के प्रति आत्मीय लगाव एवं देशप्रेम को ही दर्शाता है. भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में योगदान करने वाले इन श्रमवीरों के प्रति देश कृतज्ञ है. निश्चित रूप से इसका भारतीय अर्थव्यवस्था में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. 

वहीं दुनिया में भारतीय श्रम-शक्ति एवं प्रतिभाएं अपनी क्षमता, कौशल एवं प्रतिभा से विपुल आर्थिक, सामाजिक एवं विकासमूलक योजनाओं की नई संभावनाओं के द्वार खोलती हैं, जिससे दुनिया में भारत की ताकत को नये पंख लगते हैं.

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