नई दिल्ली: कनाडा में 10 सितंबर को एक बार फिर खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाए गए और भारत विरोधी जनमत संग्रह से जुड़े कार्यक्रम का आयोजन किया गया। ये सब उसी दिन हुआ जिस दिन जी-20 सम्मेलन में आए कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के सामने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो टूक ऐसी गतिविधियों को लेकर नाराजगी जताई।
कनाडा ने सरे में एक और भारत विरोधी जनमत संग्रह कार्यक्रम की अगुवाई गुरपतवंत पन्नू ने की। पन्नू ने खुले तौर पर भारत के बाल्कनीकरण का आह्वान किया। इतना ही नहीं इस कार्यक्रम में पीएम मोदी, अमित शाह एनएसए अजित डोवाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर को खुलेआम धमकी भी दी गई। खालिस्तान जनमत संग्रह कार्यक्रम 10 सितंबर को सरे, वैंकूवर में गुरु नानक सिंह गुरुद्वारा, में आयोजित किया गया था।
खालिस्तान समर्थकों को इस कार्यक्रम में 70 से 75 हजार लोगों के जुटने की उम्मीद थी लेकिन वहां सिर्फ 5 से 6 हजार लोगों की मौजूदगी ही देखी गई। यह वही कार्यक्रम था जो पहले कनाडा के एक सरकारी स्कूल में होने वाला था लेकिन बाद में हंगामे के बाद अनुमति रद्द कर दी गई थी।
गुरपतवंत सिंह पन्नू इस कार्यक्रम में सार्वजनिक रूप से उपस्थित हुआ और एक बार फिर 'बाल्कनाइजिंग इंडिया' की ओर इशारा करते हुए एक भड़काऊ भाषण दिया। इस दौरान सुरक्षा गार्डों की एक टीम उसके साथ थी। सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या कनाडा एक नामित आतंकवादी को सुरक्षा प्रदान कर रहा है?
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी20 से इतर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के साथ हुई द्विपक्षीय वार्ता में कनाडा में चरमपंथी तत्वों की भारत विरोधी गतिविधियों के जारी रहने पर चिंता व्यक्त की थी। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि पीएम मोदी ने ट्रूडो को बताया कि कनाडा में चरमपंथी तत्व अलगाववाद को बढ़ावा दे रहे हैं और भारतीय राजनयिकों के खिलाफ हिंसा भड़का रहे हैं, राजनयिक परिसरों को नुकसान पहुंचा रहे हैं और भारतीय समुदाय और उनके पूजा स्थलों को धमकी दे रहे हैं।
हालांकि बाद में कनाडाई प्रधानमंत्री ने इसका जिक्र करते हुए घिसा-पिटा बयान दिया और कहा कि कनाडा हमेशा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, विवेक और शांतिपूर्ण विरोध की रक्षा करेगा। लेकिन यह हिंसा को भी रोकेगा और नफरत को पीछे धकेलेगा। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि कुछ लोगों के कार्य पूरे समुदाय या कनाडा का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।