वाशिंगटन, 21 दिसंबर (एपी) राष्ट्रपति के लिहाज से सबसे ‘विचित्र’ डोनाल्ड ट्रंप ने इस पद को नया स्वरूप दिया और सदियों से चले आ रहे नियमों और परंपराओं को ध्वस्त कर राष्ट्रीय विमर्श में इस तरह छाए रहे जैसा किसी ने पहले नहीं किया था।
अपनी ही तरंग और ट्वीट से शासन करने वाले ट्रंप ने देश के नस्ली और सांस्कृतिक विभाजन को और गहरा कर दिया तथा राष्ट्र की संस्थाओं में भरोसे की अनदेखी की। उनकी विरासत: उथल-पुथल भरे चार साल जिसमें महाभियोग, सदी की सबसे भीषण महामारी के दौरान विफलताएं और चुनावी हार को स्वीकार करने से इनकार करना हैं।
राष्ट्रपति कैसे आचरण और संवाद करते हैं इसे जुड़ी तमाम धारणाओं को धता बताते हुए उन्होंने बिना सोच-विचार के बयान और नीतिगत घोषणाएं समान रूप से जारी कीं, फिर अमेरिकी लोगों के लिये उस पर सफाई देकर समर्थकों को खुश करना तथा दुश्मनों- कई बार सहयोगियों को भी- बेचैन कर देने का भी उनका अलग ही अंदाज था।
जिस पद पर अब तक सिर्फ 44 अन्य व्यक्ति ही रहे हों उस पर ट्रंप जैसी ही किसी और ‘विघटनकारी’ शख्सियत का चयन न करने को लेकर राष्ट्र पर दबाव कितना अमिट होगा यह देखा जाना अभी बाकी है।
उनके अनुगामियों पर इसकी छाया दिखनी शुरू हो गई है और ट्रंप के निराकरण के तौर पर अपनी दावेदारी की रूपरेखा तैयार करने वाले नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन ने खुद को बीते चार सालों की अशांति और विरोध के उपचार के तौर पर पेश किया और ओवल ऑफिस (राष्ट्रपति कार्यालय) की गरिमा को बहाल करने का संकल्प व्यक्त किया।
राष्ट्रपतियों से संबंधित इतिहास के जानकार माइकल बेस्कलॉस कहते हैं, “पूरे चार सालों तक वह ऐसे व्यक्ति थी जिन्होंने हर मौके पर राष्ट्रपति की शक्तियों को कानून के दायरे से बाहर ले जाने की कोशिश की।”
उन्होंने कहा, “उन्होंने राष्ट्रपति पद को कई मायनों में बदला, लेकिन अगर कोई राष्ट्रपति वाकई में इन्हें बदलना चाहता है तो उनमें से कई को वह लगभग रातोंरात बदल सकता है।”
ट्रंप की सबसे स्थायी विरासत अपनी ही सरकार के संस्थानों के प्रति अमेरिकियों के विचारों को नष्ट करने के लिये राष्ट्रपति पद का इस्तेमाल हो सकता है।
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