लाइव न्यूज़ :

म्यांमा में तख्तापलट: देश में लंबा रहा है सैन्य शासन का इतिहास

By भाषा | Updated: February 1, 2021 16:36 IST

Open in App

नेपीता, एक फरवरी (एपी) म्यांमा में सोमवार को सेना ने तख्तापलट कर देश की बागडोर अपने हाथ में ले ली है। स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची की पार्टी ने कहा है कि उन्हें नजरबंद कर लिया गया है। म्यांमा में सैन्य शासन का लंबा इतिहास रहा है और भारत के इस पड़ोसी देश का प्रमुख घटनाक्रम इस प्रकार है:

चार जनवरी 1948: उस समय बर्मा के नाम से जाने जाने वाले म्यांमा को ब्रिटेन के औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता प्राप्त हुई।

1962: सैन्य नेता ने विन ने तख्तापलट कर कई साल तक जुंटा (सैन्य शासन) के जरिये देश पर शासन किया।

1988: देश में जुंटा के खिलाफ शुरू हुए लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनों के बीच, स्वतंत्रता के नायक रहे आंग सान की बेटी आंग सान सू ची स्वदेश वापस लौटीं। अगस्त में सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की। सैंकड़ों लोगों की मौत हुई।

जुलाई 1989: जुंटा की खुलकर आचोलना करने वाली सू ची को नजरबंद किया गया।

27 मई, 1990: सू ची द्वारा स्थापित की गई 'नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी' को चुनावों में जबदस्त जीत हासिल हुई, लेकिन सेना ने सत्ता सौंपने से इनकार कर दिया।

अक्टूबर 1991: सू ची को शासन के खिलाफ शांतिपूर्ण संघर्ष के लिये नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

सात नवंबर 2010: 20 साल बाद पहली बार हुए चुनाव में सेना के समर्थन वाली पार्टी को जीत मिली। चुनाव में धांधली के आरोप लगाते हुए नतीजों का बहिष्कार किया गया।

13 नवंबर, 2010: दो दशक की लंबी अवधि तक नजरबंद रखने के बाद सू ची को हिरासत से रिहा किया गया।

2012: सू ची उपचुनाव में जीत हासिल कर संसद पहुंची। पहली बार किसी सार्वजनिक पद पर काबिज हुईं।

आठ नवंबर, 2015: 1990 के बाद पहली बार स्वतंत्र रूप से हुए आम चुनाव में सू ची की पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी को भारी जीत मिली । सेना ने संविधान के तहत प्रमुख शक्तियां अपने पास रखीं, जिसमें सू ची को राष्ट्रपति पद से दूर रखना शामिल है। सरकार के नेतृत्व के लिये स्टेट काउंसलर का पद सृजित किया गया और सू ची को इस पर काबिज हुईं।

25 अगस्त 2017: पश्चिमी रखाइन राज्य में सैन्य चौकियों पर चरमपंथी हमले हुए, जिसमें दर्जनों लोग मारे गए। सेना ने रोहिंग्या मुसलमान आबादी के खिलाफ भीषण कार्रवाई करते हुए पटलवार किया, जो हजारों लाखों की संख्या में बांग्लादेश भाग गए।

11 दिसंबर 2019: सू ची ने हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में एक मामले में सेना का बचाव करते हुए नरसंहार की बात से इनकार किया।

आठ नवंबर, 2020: म्यांमा में हुए संसदीय चुनाव में नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी को स्पष्ट बहुमत मिला।

29 जनवरी 2021: म्यांमा के चुनाव आयोग ने चुनाव में धांधली के सेना के आरोपों के समर्थन में कोई सबूत नहीं पाने के बाद आरोप खारिज कर दिए।

एक फरवरी, 2021: म्यांमा की सेना ने एक साल के लिये देश को अपने नियंत्रण में ले लिया। सेना ने कहा कि सरकार चुनाव में धोखाखड़ी के उसके आरोपों पर कार्रवाई करने में नाकाम रही है और उसने कोरोना वायरस के चलते नवंबर में चुनाव टालने के सेना के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। सूची की पार्टी ने कहा कि उन्हें नजरबंद कर दिया गया है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

भारतकफ सीरप मामले में सीबीआई जांच नहीं कराएगी योगी सरकार, मुख्यमंत्री ने कहा - अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा

क्रिकेटटी20 विश्व कप से बाहर, क्यों छीनी गई वनडे टीम की कप्तानी?, इस खिलाड़ी के साथ खेलेंगे शुभमन गिल?

भारतगोवा जिला पंचायत चुनावः 50 में से 30 से अधिक सीट पर जीते भाजपा-एमजीपी, कांग्रेस 10, आम आदमी पार्टी तथा रिवोल्यूश्नरी गोअन्स पार्टी को 1-1 सीट

क्राइम अलर्टप्रेमी गौरव के साथ अवैध संबंध, पति राहुल ने देखा?, पत्नी रूबी ने प्रेमी के साथ मिलकर हथौड़े-लोहे की छड़ से हत्‍या कर ग्राइंडर से शव टुकड़े कर फेंका, सिर, हाथ और पैर गायब

भारतलोनावला नगर परिषदः सड़क किनारे फल बेचने वालीं भाग्यश्री जगताप ने मारी बाजी, बीजेपी प्रत्याशी को 608 वोट से हराया

विश्व अधिक खबरें

विश्व'हमने अल्लाह की मदद आते हुए देखी': भारत-पाक संघर्ष पर पाकिस्तान सेना प्रमुख आसिम मुनीर

विश्वबांग्लादेश में दीपू चंद्र दास लिंचिंग मामले में आया चौंकाने वाला मोड़, ईशनिंदा के कोई सबूत नहीं

विश्वBangladesh Political Crisis: उस्मान हादी की हत्या के बाद, जातीय श्रमिक शक्ति नेता मोतालेब शिकदर को सिर पर मारी गई गोली

विश्व34 लोगों को ले जा रही बस टोल रोड पर नियंत्रण खो बैठी और कंक्रीट से टकराने के बाद पलटी, 16 की मौत, 5 की हालत गंभीर और 13 नाजुक

विश्वकौन थे अभिनेता जेम्स रैनसन?, 'द वायर' में जिगी सोबोटका की भूमिका निभाने वाले अभिनेता ने 46 साल में की आत्महत्या