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Malabarexercises: भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने बंगाल की खाड़ी में शुरू किया युद्धाभ्यास, चीन की बढ़ी बेचैनी

By अनुराग आनंद | Updated: November 4, 2020 06:56 IST

नौसेनाओं ने मालाबार अभ्यास के चार दिवसीय प्रथम चरण की मंगलवार को शुरुआत करते हुए बंगाल की खाड़ी में कई जटिल सैन्य दक्षताओं का प्रदर्शन किया।

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ठळक मुद्देएक सैन्य अधिकारी ने कहा, ‘‘ बंगाल की खाड़ी में अभ्यास के पहले दिन कई जटिल सैन्य अभ्यास किए गए।’’चीन की बढ़ती सैन्य जोर-आजमाइश के बीच हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उभरती स्थिति दुनिया की अहम शक्तियों के बीच चर्चा का अहम विषय है।

नई दिल्ली: भारत व चीन के बीच पूर्वी लद्दाख सीमा पर जारी तनाव के बीच मंगलवार से मालाबार युद्धाभ्यास शुरू हो गया है। पहली बार दुनिया की चार ताकतवर मुल्क इस नौसेना अभ्यास में शामिल हो रहे हैं। 

क्वाड देशों के इस युद्धाभ्यास से चीन के बेचैनी बढ़ गई है। चीन इस नौसेना अभ्यास को लेकर आशंकित है और उसे लग रहा है कि भारत दुनिया के तीन ताकतवर देशों के साथ मिलकर हिंद प्रशांत क्षेत्र में ड्रैगन के प्रभाव को कम करना चाहता है। 

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बता दें कि नौसेनाओं ने मालाबार अभ्यास के चार दिवसीय प्रथम चरण की मंगलवार को शुरुआत करते हुए बंगाल की खाड़ी में कई जटिल सैन्य दक्षताओं का प्रदर्शन किया। इस अभ्यास को चतुष्पक्षीय गठबंधन के सदस्य राष्ट्रों के बीच भावी सैन्य सहयोग के आरंभ के रूप में देखा जा रहा है।

यह विशाल अभ्यास ऐसे समय हो रहा है जब भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में छह महीने से सीमा विवाद में उलझे हैं और दोनों देशों की सेनाएं भारी अस्त्र-शस्त्रों के साथ एक-दूसरे के आमने-सामने खड़ी हैं।

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कई विवादास्पद मुद्दों को लेकर इस अभ्यास के तीन अन्य साझेदारों-- जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के रिश्ते भी चीन के साथ पिछले कुछ महीनों में काफी तनावपूर्ण हो गए हैं।

इस संबंध में एक सैन्य अधिकारी ने कहा, ‘‘ बंगाल की खाड़ी में अभ्यास के पहले दिन कई जटिल सैन्य अभ्यास किए गए।’’

चीन की बढ़ती सैन्य जोर-आजमाइश के बीच हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उभरती स्थिति दुनिया की अहम शक्तियों के बीच चर्चा का अहम विषय है। अमेरिका चतुष्पक्षीय गठबंधन को चीन के बढ़ते दबदबे को नियंत्रण में रखने के लिए एक सुरक्षा ढांचा देने की पैरवी करता रहा है।

अमेरिकी दूतावास ने ट्वीट किया कि यह अभ्यास हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मजबूत रक्षा सहयोग के प्रति साझेदार देशों की प्रतिबद्धता की पुन: पुष्टि करता है।

पिछले महीने भारत ने घोषणा की थी कि ऑस्ट्रेलिया इस मालाबार अभ्यास का हिस्सेदार होगा।

मालाबार अभ्यास का पहला चरण तीन से छह नवंबर तक चलेगा। इसका दूसरा चरण 17-20 नवंबर के दौरान अरब सागर में होगा।

भारतीय नौसेना ने एक बयान में कहा, ‘‘ कोविड-19 महामारी के मद्देनजर केवल समुद्र में गैर संपर्क वाला यह अभ्यास मित्र नौसेनाओं के बीच बेहतर तालमेल प्रदर्शित करेगा जो मुक्त, समावेशी हिंद-प्रशांत एवं नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय सीमा के साझा मूल्यों एवं उनके प्रति प्रतिबद्धता पर आधारित है।’’

इस बीच, चीन ने उम्मीद जताई कि भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का चतुष्पक्षीय मालाबार अभ्यास क्षेत्रीय शांति एवं स्थायित्व के विरुद्ध नहीं, बल्कि उसके अनुकूल होगा।

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने बीजिंग में एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ‘‘ हम आशा करते हैं कि संबंधित देशों का सैन्य अभियान इस क्षेत्र की शांति एवं स्थायित्व के विरुद्ध नहीं, बल्कि उसके अनुकूल होगा।’’

भारत की ओर से इस अभ्यास के लिए ऑस्ट्रेलियाई नौसेना को न्योता चतुष्पक्षीय गठबंधन के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक के दो सप्ताह बाद दिया गया। तोक्यो में इन चारों देशों के विदेश मंत्रियों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयेाग बढ़ाने पर गहन चर्चा की थी। इस क्षेत्र में चीन अपने सैन्य प्रभाव का विस्तार कर रहा है।

मालाबार अभ्यास 1992 में हिंद महासागर में भारतीय नौसेना और अमेरिकी नौसेना के बीच द्विपक्षीय अभ्यास के रूप में शुरू हुआ था। जापान 2015 में इस अभ्यास से जुड़ा था।

भारतीय नौसेना ने मालाबार अभ्यास के लिए विध्वंसक ‘रणविजय’, फ्रिगेट ‘शिवालिक’, अपतटीय गश्ती जलयान ‘सुकन्या’ जैसे कई अहम आयुध मंचों को तैनात किया है।

हाल में भारत-अमेरिका के बीच ‘टू प्लस टू’ वार्ता में अमेरिका के रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने मालाबार अभ्यास के लिए ऑस्ट्रेलिया को आमंत्रण देने का स्वागत किया था।

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