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कोरोना वायरस के नए स्वरूप की खोज कैसे हुई, अब तक उपलब्ध जानकारी

By भाषा | Updated: November 27, 2021 13:00 IST

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(वोल्फगैंग प्रीजर, स्टेलनबोश यूनिवर्सिटी, कैथरीन शीपर्स, यूनिवर्सिटी ऑफ द विटवाटरसैंड, जिनाल भीमन, नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज, मारिएटजी वेंटर, यूनिवर्सिटी ऑफ प्रिटोरिया)

केपटाउन, 27 नवंबर (द कन्वरसेशन) कोविड-19 महामारी की शुरुआत से ही दक्षिण अफ्रीका में नमूनों के अनुक्रमण की निगरानी करने वाला एक नेटवर्क वायरस में आए बदलाव पर पैनी नजर बनाए हुए है।

यह नेटवर्क बेहतर तरीके से समझने के लिए एक मूल्यवान उपकरण है कि वायरस कैसे फैलता है। वर्ष 2020 के अंत में नेटवर्क ने एक नए वायरस वंश 501वाई.वी2 का पता लगाया, जिसे बाद में बीटा स्वरूप के रूप में जाना जाने लगा। अब एक और नए स्वरूप की पहचान की गई है, जिसे बी.1.1.1.529 के नाम से जाना जाता है। इस विषय पर अधिक जानने के लिए ‘द कन्वरसेशन’ अफ्रीका के ओजैर पटेल ने वैज्ञानिकों से कुछ जानकारी हासिल की जिसे उन्होंने साझा किया है।

खोज के पीछे का विज्ञान क्या है?

विभिन्न प्रकार के स्वरूप के लिए एक ठोस प्रयास करने की आवश्यकता होती है। कोरोना वायरस के लिए अप्रैल 2020 की शुरुआत में राष्ट्रव्यापी जीनोमिक निगरानी प्रयासों को लागू करने वाले दक्षिण अफ्रीका और ब्रिटेन पहले बड़े देश थे। स्वरूप की खोज का काम उन नमूनों के पूरे जीनोम अनुक्रमण के माध्यम से किया जाता है जिसमें संक्रमण की पुष्टि होती है। इस प्रक्रिया में अंतर के लिए प्राप्त प्रत्येक अनुक्रम की जांच करना शामिल है, जो दक्षिण अफ्रीका और दुनिया में प्रसारित हो रहा है। कई अंतर दिखने पर सतर्कता शुरू हो जाती है और उसकी पुष्टि करने के लिए आगे की जांच करते हैं। दक्षिण अफ्रीका इसके लिए अच्छी तरह से तैयार है।

‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रयोगशाला सेवा’ से काफी मदद मिलती है। इसके अलावा, दक्षिण अफ्रीका में कई प्रयोगशालाएं हैं जो वास्तविक वायरस का विकास और अध्ययन कर सकती हैं और पता लगा सकती हैं कि टीकाकरण या पिछले संक्रमण से निपटने में तैयार एंटीबॉडी नए वायरस को बेअसर करने में कितनी सक्षम हैं।

यह डेटा नए वायरस को चिह्नित करने में सहायता देता है। इस साल डेल्टा नामक एक और स्वरूप दक्षिण अफ्रीका सहित दुनिया के अधिकतर हिस्सों में फैल गया, जहां उसने तीसरी महामारी की लहर पैदा की। हाल में, ‘नेटवर्क फॉर जीनोमिक्स सर्विलांस’ की प्रयोगशालाओं द्वारा नियमित अनुक्रमण ने दक्षिण अफ्रीका में वायरस के एक नए वंश बी.1.1.529 का पता लगाया। गौतेंग प्रांत में नवंबर 2021 के मध्य में एकत्र किए गए सत्तर नमूनों में यह वायरस था। पड़ोसी देश बोत्सवाना और हांगकांग से भी इसके कुछ मामलों की सूचना मिली है। हांगकांग का मामला दक्षिण अफ्रीका से आए एक यात्री का है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने शुक्रवार को बी.1.1.529 को चिंताजनक स्वरूप के रूप में वर्गीकृत किया और इसे ग्रीक-अक्षर प्रणाली के तहत ‘ओमीक्रॉन’ नाम दिया।

दक्षिण अफ्रीका में चिंताजनक स्वरूप क्यों आया है? हम निश्चित रूप से इस बारे में नहीं जानते हैं। यह निश्चित रूप से संक्रामक वायरस की निगरानी के लिए ठोस प्रयासों के परिणाम से कहीं अधिक प्रतीत होता है। एक सिद्धांत यह है कि अत्यधिक संवेदनशील प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग, और जो लंबे समय तक संक्रमण का अनुभव करते हैं, वे नए स्वरूप का स्रोत हो सकते हैं।

यह संस्करण चिंताजनक क्यों है? संक्षिप्त उत्तर है, हम नहीं जानते। लंबा उत्तर है- बी.1.1.1.529 में कई परिवर्तन हुए हैं जो चिंता का कारण है। उन्हें इस अनुक्रमण में पहले नहीं देखा गया है और अकेले स्पाइक प्रोटीन में 30 से अधिक उत्परिवर्तन होते हैं। यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि स्पाइक प्रोटीन ही अधिकांश टीकों का निर्माण करता है। हम यह भी कह सकते हैं कि बी.1.1.1.529 की आनुवंशिक प्रोफाइल रुचि और चिंताजनक अन्य स्वरूपों से बहुत अलग है। यह स्वरूप ‘‘डेल्टा की बेटी’’ या ‘‘बीटा का पोता’’ नहीं लगता है, बल्कि कोरोना वायरस के एक नए वंश का प्रतिनिधित्व करता है। इसके कुछ आनुवंशिक परिवर्तन अन्य स्वरूपों से ज्ञात हैं और हम जानते हैं कि वे संचरण क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं या प्रतिरक्षा क्षमता को भेद सकते हैं, लेकिन कई नए सवाल हैं और अभी तक अध्ययन नहीं किया गया है।

ज्ञात हो कि गौतेंग में बी.1.1.529 संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े हैं, जहां देश की चौथी महामारी की लहर शुरू होती दिख रही है। ऐसा लगता है कि यह बहुत तेजी से फैल रहा है। वैसे, हम वास्तव में अभी यह नहीं बता सकते हैं कि बी.1.1.529 पहले से प्रचलित संस्करण चिंताजनक स्वरूप डेल्टा की तुलना में ज्यादा आसानी से प्रसारित होता है या नहीं।

कोविड-19 के बुजुर्गों और लंबे समय से बीमार व्यक्तियों में गंभीर, अक्सर जानलेवा बीमारी के रूप में प्रकट होने की संभावना है। लेकिन, जनसंख्या समूह अक्सर जो सबसे पहले एक नए वायरस के संपर्क में आते है, वे युवा, यात्रा करने वाले और आमतौर पर स्वस्थ लोग होते हैं।

क्या मौजूदा टीकों के जरिए नए स्वरूप से बचाव की संभावना है? इस बारे में नहीं पता। ज्ञात मामलों में वे व्यक्ति शामिल हैं जिन्हें टीका लगाया गया था। हमने सीखा है कि टीकाकरण द्वारा प्रदान की जाने वाली प्रतिरक्षा समय के साथ कम हो जाती है और संक्रमण से उतनी रक्षा नहीं करती है लेकिन, गंभीर बीमारी और मृत्यु से बचाने में उपयोगी है। महामारी विज्ञान के विश्लेषणों में से एक यह देखना होगा कि कितने लोग बी.1.1.529 से संक्रमित हो चुके हैं। आशंका है कि बी.1.1.529 प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया से बच सकता है, जो बेहद निराशाजनक है।

आखिर में, बी.1.1.1.529 के बारे में अब तक जो कुछ भी ज्ञात है वह इस बात पर प्रकाश डालता है कि गैर औषधीय कवायद के साथ गंभीर कोविड-19 के खिलाफ सार्वभौमिक टीकाकरण अब भी हमारा सबसे अच्छा दांव है और यह आने वाली लहर के दौरान स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को सामना करने में मदद करने की दिशा में एक लंबा रास्ता तय करेगा।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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