Jalaun Video: उत्तर प्रदेश के जालौन जिले का एक अस्पताल अंधेरे में डूब गया, लेकिन फिर डॉक्टरों ने मोबाइल टॉर्च की रोशनी में मरीजो का इलाज किया, जैसा कि एक वीडियो में दिखाया गया है। 31 सेकंड के एक वीडियो में एक महिला डॉक्टर टॉर्च की रोशनी में एक बुज़ुर्ग मरीज का इलाज करती दिख रही है।
पत्रकार पीयूष राय द्वारा X पर शेयर किए गए 31 सेकंड के एक वीडियो में एक महिला डॉक्टर टॉर्च की रोशनी में एक बुज़ुर्ग मरीज का इलाज करती दिख रही है। एक युवक मरीज़ के पास मोबाइल टॉर्च पकड़े खड़ा दिखाई दे रहा है।
इस घटना पर अभी तक राज्य सरकार की ओर से कोई टिप्पणी नहीं आई है। पूरा घटनाक्रम वीडियो के रूप में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद अस्पताल की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े होने लगे।
मरीजों और उनके परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में बिजली बैकअप की उचित व्यवस्था नहीं है। करीब तीन घंटे तक इमरजेंसी कक्ष में रोशनी न रहने से मरीजों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी। इस दौरान कई तीमारदार मोबाइल की टॉर्च जलाकर डॉक्टरों की मदद करते नजर आए। अंधेरे में इंजेक्शन देना और अन्य इलाज करना बेहद खतरनाक साबित हो रहा था।
वीडियो वायरल होने के बाद यह मामला लोगों की चर्चा का केंद्र बन गया। आमजन ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिला अस्पताल जैसी बड़ी जगह पर इस तरह की लापरवाही मरीजों की जान के लिए खतरा बन सकती है।
इस पर अस्पताल के सीएमएस आनंद उपाध्याय ने सफाई दी कि यह किसी बड़ी तकनीकी खराबी की वजह से नहीं, बल्कि “साजिश के तहत” इमरजेंसी कक्ष की एक बिजली लाइन को डिस्टर्ब किया गया था। उनका कहना है कि अस्पताल के हर वार्ड और कक्ष में इनवर्टर और जनरेटर की व्यवस्था मौजूद है। केवल उसी कक्ष की लाइन में तार का फॉल्ट आने से दिक्कत हुई थी, जहां इंजेक्शन दिया जा रहा था। उन्होंने दावा किया कि अस्पताल में सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयास हो रहे हैं और ऐसी घटना दोबारा न हो, इसके लिए तकनीकी टीम को निर्देशित कर दिया गया है।
हालांकि, मरीजों और उनके परिजनों का कहना है कि चाहे यह तकनीकी गड़बड़ी हो या लापरवाही, अस्पताल प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इलाज के दौरान किसी भी मरीज की जान जोखिम में न पड़े।