देहरादून: उत्तराखंड के बागेश्वर के रैखोली में एक जूनियर हाई स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियों के अचनाक जोर-जोर से चिल्लाने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। वीडियो में यह देखा जा रहा है कि एक नहीं कई लड़कियां एक साथ चिल्ला रही है और उन में से कुछ जमीन पर लेट कर रो भी रही है। वहां स्कूल में पढ़ाने वाले टीचरों ने भी इस घटना का वीडियो बनाया है।
इस तरीके से लड़कियों के चिल्लाने और रोने को जहां एक तरफ इसे मास हिस्टीरिया बताया जा रहा है, वहीं स्थानीयों लोग इसे धर्म से जोड़कर देख रहे है। ऐसे में वीडियो वायरल होने और मामले की खबर मिलते ही प्रशासन की एक टीम ने स्कूल का दौरा भी किया है। मामले को लेकर प्रशासन की टीम ने टीचर्स और लड़कियों से भी बात की है।
क्या दिखा है वीडियो में
यह घटना बागेश्वर के रैखोली में एक जूनियर हाई स्कूल का है जहां पर कक्षा 8वीं की 5-6 छात्राएं को इस तरीके से चिखते-चिल्लाते हुए देखा गया है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस वीडियो में यह देखा जा रहा है कि एक स्कूल की लड़कियां कक्षा के बार जोर-जोर से चिल्ला रही है और फिर रो रही है। इसके बाद वे बेहोश भी हो जाती है।
वीडियो में यह भी देखा कि वहां मौजूद कुछ टीचर्स लड़कियों को समझा रही है और समय-समय पर उन्हें डांट भी रही है।
कोई लड़की जमीन पर सोकर चिल्ला रही और रो रही है तो कोई बैठकर गुस्से में खूब अनाप-शनाप बक रही है। वहीं कुछ और लड़कियों को भी देखा गया है जो कक्षा के बाहर लेटी हुई है जिन पर एक शख्स द्वारा कुछ डाला जा रहा है।
स्कूल दौरे में प्रशासन की टीम को क्या मिला
बताया जा रहा है कि प्रशासन की टीम द्वारा स्कूल का दौरा करने के बाद उन्हें कुछ खास जानकारी नहीं मिली है। वहीं यह बात भी सामने आ रही है कि इन बच्चियों का डॉक्टरों द्वारा चेकअप भी कराया गया है जिसमें डॉक्टरों ने इन्हें कुछ दिन के लिए घर में ही आराम करने को कहा है।
जानकारी के मुताबिक, गांव वाले इसे देवी देवता से भी जोड़कर देख रहे है। ऐसे कथित रूप से अधिकारियों ने गांव वालों को कुछ पैसे भी दिए है ताकि स्कूल में पूजापाठ कराया जा सके।
मेडिकल साइंस में इसे क्या कहते है
वहीं लड़कियों द्वारा जोर-जोर से चिल्लाकर रोना और फिर बेहोश हो जाने को मेडिकल टर्म में मास हिस्टीरिया कहा जाता है। साइंस ने इस बीमारी को महिलाओं में ज्यादा पाया है। इस पर मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि इसके होने के पीछे कई कारण होते है जैसे घरों में पूजादृपाठ के परिवेश के साथ ही एक दूसरे को कॉपी करने और शारीरिक रूप से कमजोरी इत्यादि शामिल है।
हालांकि यह पहली बार नहीं हुई है और यह बीमारी उत्तराखंड के लोगों के लिए आम बात है, ऐसा बताया जाता है। इससे पहले उत्तरकाशी से लेकर पहाड़ी जिले के कई और स्कूलों में ऐसे मामले सामने आ चुके है।
वहीं मीडिया की रिपोर्ट से यह भी जानकारी मिली है कि उत्तराखंड की जिन जूनियर हाई स्कूल की लड़कियों के साथ यह मामला हुआ है, उनके स्कूल के कक्षा में अंधेरा पाया गया है। इसके साथ छतों के कई जगह से टुटे जाने की भी बात सामने आई है।