नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और नेशनल रजिस्टर फॉर पॉपुलेशन (NPR) को लेकर पूरे देश में जारी बहस के बीच हैदराबाद का मामला चर्चा में है। आधार जारी करने वाली संस्था यूआईडीएआई ने ताजा प्रेस रिलीज जारी करके कहा है कि आधार नागरिकता का दस्तावेज नहीं है। सारा विवाद हैदराबाद से शुरू हुआ। समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार, UIDAI ने को कहा कि उसके हैदराबाद कार्यालय ने कथित तौर पर गलत तरीका अपनाकर आधार नंबर प्राप्त करने के लिए 127 लोगों को नोटिस भेजे हैं। हालांकि यह जोड़ा कि इसका नागरिकता से कोई संबंध नहीं है।
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने पुलिस से रिपोर्ट मिलने के बाद नोटिस जारी किए। बयान में कहा गया कि आधार नागरिकता का दस्तावेज नहीं है और आधार अधिनियम के तहत यूआईडीएआई को यह सुनिश्चित करना होता है कि आधार के लिए आवेदन करने से पहले कोई व्यक्ति भारत में कम से कम 182 दिनों से रह रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक ऐतिहासिक फैसले में यूआईडीएआई को अवैध प्रवासियों को आधार नहीं जारी करने का निर्देश दिया था।
जानें पूरा विवाद
बीबीसी में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, हैदराबाद में रहने वाले मोहम्मद सत्तार खान नाम के शख्स को आधार के क्षेत्रीय कार्यालय की ओर से एक नोटिस मिला है जिसमें उनपर फर्जी दस्तावेजों पर आधार कार्ड बनवाने का आरोप लगा है। सत्तार खान का दावा है कि वह भारतीय नागरिक हैं मगर इस नोटिस में उनसे अपनी 'नागरिकता साबित' करने के लिए भी कहा गया है। बीसीसी के अलावा कई मीडिया संस्थानों में ऐसी खबर चली है। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, 15 फरवरी को एक ऑटो चालक को यूआईडीएआई की ओर से एक नोटिस मिला था, जिसमें कहा गया कि उसके खिलाफ शिकायत मिली है कि वह भारतीय नागरिक नहीं है।
UIDAI ने ट्वीट में कहा, आधार प्राधिकरण ने हाल की खबरों का हवाला देते हुए कहा कि उसे राज्य पुलिस से ऐसी शिकायतें मिलीं, जिनमें उन लोगों के अवैध अप्रवासी होने का संदेह है। उसने कहा, हैदराबाद के रीजनल ऑफिस को राज्य की पुलिस से ऐसी रिपोर्ट में मिली, जिसके मुताबिक, 127 लोगों नें प्रारंभिक जांच के दौरान झूठे बहाने बनाकर आधार प्राप्त किया है, उन्हें अवैध अप्रवासी पाया गया है जोकि आधार संख्या प्राप्त करने के लिए योग्य नहीं थे। आधार अधिनियम के अनुसार, ऐसे आधार नंबर रद्द किए जाने चाहिए। इसलिए, हैदराबाद के रीजनल ऑफिस ने उन लोगों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने और आधार नंबर प्राप्त करने के लिए उनके दावों को प्रमाणित करने के लिए नोटिस भेजा है।
यूआईडीएआई के ट्वीट के कुछ घंटे बाद, एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि आधार निकाय ने "अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया है", और "उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया"। उन्होंने एक के बाद एक कई ट्वीट किए और कहा कि यूआईडेएआई के पास नागरिकता की पुष्टि करने की कोई शक्ति नहीं है।
एनपीआर में होगा आधार का इस्तेमाल
केंद्र सरकार NPR में 21 डाटा एकत्रित करेगी। 2010 में एनपीआर की प्रक्रिया में 15 दस्तावेज मांगे गए थे। इस बार 13 पुराने दस्तावेज के साथ ही आधार सहित 8 नए दस्तावेज की जानकारी लोगों से ली जाएगी। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि जनगणना के लिए कोई लंबा फार्म नहीं भरना होगा। यह स्वयं घोषित स्वरूप का होगा। इसके लिए किसी सबूत की जरूरत नहीं होगी और न ही कोई दस्तावेज देना होगा। इसके लिये एक मोबाइल एप भी बनाया गया है। विपक्ष द्वारा लगातार दावा किया जा रहा है कि एनपीआर और एनआरसी में कोई अंतर नहीं है। कांग्रेस शासित राज्यों ने यह फैसला किया है कि वो एनपीआर की प्रक्रिया लागू नहीं करेगी। हालांकि तमाम आपत्तियों पर 15 जनवरी को गृह मंत्रालय ने कहा था कि एनपीआर की प्रक्रिया के दौरान कागजात या बायोमेट्रिक जानकारी देने के लिए नहीं कहा जाएगा।