वाशिंगटनः सौर चक्र (सोलर साइकल) में सूर्य के बढ़ते सौर गतिविध (सोलर ऐक्टिविटी) की वजह से निकले प्लाज्मा के पृथ्वी के वायुमंडल से गुरुवार तक टकराने की आशंका है। सूर्य से बड़ी मात्रा में यह प्लाज्मा पृथ्वी की ओर बढ़ रहे हैं। यह एक मध्यम दर्जे का सौर तूफान है। लेकिन यह धरती के चुंबकीय क्षेत्र से करीब 496 से 607 किलोमीटर प्रतिसेकेंड की गति से टकराएगा।
अमेरिकी सरकारी एजेंसी एनओएए के मुताबिक, 14 और 15 अप्रैल को जी 2 (मध्यम) और जी 1 (लघु) श्रेणी का भू-चुंबकीय तूफान प्रभावी रहेगा। भू-चुंबकीय तूफान को जी 1 से जी 5 श्रेणी में रखा जाता है। वहीं मार्च में द सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन स्पेस साइंसेज (CESSI) के वैज्ञानिकों ने 28 को ही दो भयावह स्पॉट ( इसे वैज्ञानिक भाषा में कोरोनल मास इजेक्शन कहा जाता है) देखे थे। जिसे AR 12975 और AR12976 नाम दिया था। हालांकि अमेरिकी एजेंसी ने इसे AR2987 नाम दिया है।
वैज्ञानिकों ने जानकारी दी है कि सूर्य पर स्थित एक डेड सन स्पाट महीनों बाद जीवित हो गया है और इस सन स्पॉट को वैज्ञानिकों ने AR2987 नाम दिया है। इस प्लाज्मा बॉल के एक्टिव होने के कारण बहुत ज्यादा मात्रा में रेडिएशन धरती की ओर आ रहा है। सनस्पॉट सूर्य की सतह पर ठंडे क्षेत्र होते हैं जो इसके चुंबकीय क्षेत्र की विशाल शक्ति के कारण संवहन प्रक्रिया में हस्तक्षेप करते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, प्लाज्मा के 14 अप्रैल तक पृथ्वी से टकराने की संभावना है। इसके टकराने से भू-चुंबकीय तूफान का निर्माण होगा। हालांकि इस इजेक्शन को मध्यम प्रभाव का बताया गया है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि सूर्य से निकले भयावह रेडिएशन तूफान के कारण नॉर्थ पोल के ऊपरी वायुमंडल में ज्यादा संख्या में नॉर्दन लाइट बनेंगे। धरती के उत्तरी ध्रुव पर मौजूद सैटेलाइट और पावर ग्रिड प्रभावित हो सकते हैं, जिसके कारण इन इलाकों में अंधेरा छा सकता है। पावर सिस्टम वोल्टेज अलार्म का अनुभव कर सकता है। वहीं, अंतरिक्ष यान खिंचाव का अनुभव कर सकते हैं। इसके साथ ही यह संभव है कि औरोरा (ध्रुवीय रोशनी ) न्यूयॉर्क और इडाहो जैसे शहरों में दिखाई दे।
वर्तमान में सूर्य के अपने सौर चक्र में सौर गतिविधि में काफी वृद्धि हुई है। यह 11 साल तक रहता है जो विकिरण के फटने के कारण होता है। 2025 में अपने चरम पर पहुंचने के कारण इस चक्र के दौरान सनस्पॉट की संख्या बढ़ रही है। हालांकि यह सौर तूफान अपेक्षाकृत छोटा है, लेकिन ग्रह पर एक बड़ा खतरा हो सकता है जो अत्यधिक साबित हो सकता है।
एक अध्ययन ने सुझाव दिया कि एक गंभीर सौर तूफान, जो औसतन हर 100 साल में एक बार आता है, दुनिया को "इंटरनेट सर्वनाश" में डुबो सकता है। यह सौर तूफान बिजली लाइनों जैसे लंबे कंडक्टरों में प्रवेश कर उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है।