देवघरः झारखंड के देवघर स्थित चित्रकुट पहाड़ के बीच रोप-वे ट्रॉली पर फंसे पर्यटकों की खौफनाक दास्तां सुनकर रोंगटे खडे़ हो जाते हैं. एक श्रद्धालु पर्यटक सौरभ ने बताया कि लगता था कि अब मर जायेंगे. लेकिन सेना ने हमें बचा लिया. ने बताया कि गर्मी से हालत खराब थी. प्यास से कंठ सूख रहा था. कई लोगों ने तो पेशाब पी कर अपनी जान बचाई.
उसने बताया कि दोपहर के 4:32 मिनट हो रहे थे. अपने माता-पिता व भतीजे के साथ रोपवे से नीचे उतरने के लिए केबिन में बैठा. वह 23 नंबर केबिन में था. उनके साथ उनका भतीजा देवान जयपाल में था. उससे एक केबिन आगे उनकी माता नमी दास, पिता विनय कुमार दास और ससुर सुरी दत बैठे थे. भूखे-प्यासे ट्रॉली पर 24 घंटे गुजारे.
ट्रॉली पर शाम से रात होते देखा. रात्रि में भय के बीच नींद नहीं आई. गर्मी से हालत खराब थी और प्यास से कंठ सूखता रहा. कोई चारा नहीं होने पर बाबा बासुकीनाथ को याद करते रहे. कई लोगों ने तो पेशाब पी कर अपनी जान बचाई. सौरभ बोलते हुए लब लड़खड़ा रहा था. वहीं, एक पर्यटक नीरज ने बताया रोपवे स्टार्ट हुई और तुरंत जोर जोर से झटके खाने लगा.
धड़ाम से आवाज हुई व रुक गया. पहाड़ पर पहुंचने ही वाले थे कि ऊपर में ट्रॉली हिलने लगी और ऐसा लगा मानों फेंका जायेंगे. उसने बताया कि उसने सबसे पहले अपने टूरिस्ट बस के एजेंट को मोबाइल पर संपर्क किया. वह पहाड़ के नीचे हमलोगों की प्रतीक्षा कर रहा था. उसको पता था कि रोपवे की पुल्ली टूटी है. उसने इस बात को छिपा लिया.
सांस थामे रोप-वे ट्रॉली पर बैठे बाबा बासुकीनाथ को याद करते रहे. 24 घंटे तक लगातार सांस थामे बाबा बासुकीनाथ को याद करते हुए चित्रकूट पहाड़ के बीच रोप-वे ट्रॉली पर बैठे रहे. कभी अन्य ट्रॉली में फंसे लोग बचाओ-बचाओ चिल्लाते रहे, तो कोई पानी-पानी चिल्ला रहा था. इस भयावह दृश्य को अंधेरे व उजाले में 24 घंटे तक देखा. दूसरे दिन सूर्योदय होते हुए भी ट्रॉली से देखा.
लगातार मददगार का इंतजार करते रहे. इसी बीच कोई भी चिल्ला उठता कि बचाओ, पानी पिलाओ. मर जायेंगे. दोपहर साढे़ तीन बजे लगभग वायु सेना का हेलीकॉप्टर पहुंचा और सभी का रेस्क्यू करना शुरू किया. तब सांस में सांस आई. जवानों ने बहुत ही गंभीरता से सभी को सुरक्षित निकाला. बावजूद इसके एक युवक फिसलकर गिर गया और मौत हो गई.
उनके सामने इससे पहले सात लोगों की मौत हो गई थी. इन बातों की जानकारी मिलने पर सभी की हालत खराब थी. वहीं, कई लोगों ने कहा कि रोप-वे पर कभी नहीं जायेंगे. बाबा बासुकीनाथ की कृपा ने सभी को बचा लिया. कौशल्या देवी ने कहा कि इस तरह का इंज्वाय नहीं करूंगी. जान पर खेलकर मनोरंजन करना उचित नहीं है.
वहीं, गिरिडीह के रहने वाले गोविंद ने कहा कि रोपवे के बारे में काफी सुना था. सोचा इसका आनंद उठाएं. हम सातों लोग एक ही ट्राली में सवार हो गए. पहाड की चोटी पर घूमने के बाद नीचे आ रहे थे. कुछ दूर आए ही थे कि जोरदार आवाज हुई. ट्राली किसी चीज से टकराई. टक्कर इतनी जोरदार थी कि हम सभी जख्मी हो गए.
जान हलक में अटक गई. रेस्क्यू कर सबको नीचे लाया गया इलाज के दौरान मां सुमंती देवी की मौत हो गई. हमारी पत्नी के जबडे और पैर में बहुत चोट लगी. जबकि बेटी रूपा कुमारी के पैर की हड्डी टूट गई. टूट पडेगा. अपनी मां को तो खो दिया. तो डेढ़ साल का बेटा आंनद की हालत चिंताजनक है. उसका पूरा जबड़ा टूट गया है. बेटे को भी चोट लगी है. कई पर्यटकों ने दिल दहला देने वाली दास्तां सुनाई है.