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Watch: बेंगलुरु में प्राइड मार्च में लगाए गए 'आजादी' के नारे, वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर आक्रोश

By रुस्तम राणा | Published: December 01, 2023 5:06 PM

व्यापक रूप से प्रसारित वीडियो में प्रतिभागियों को सड़कों पर मार्च करते हुए गौरव ध्वज और तख्तियां ले जाते हुए दिखाया गया है। एक प्रतिभागी ने "आजादी" के नारे लगाए, जिसके तुरंत बाद अन्य लोग भी इसमें शामिल हो गए। कई प्रतिभागियों को "मनुवाद से आज़ादी," "ब्राह्मणवाद से आज़ादी," और "हिंदुत्ववाद से आज़ादी" के नारे लगाते देखा जा सकता है।

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ठळक मुद्देबेंगलुरु में हुए गौरव मार्च में कर्नाटक, दिल्ली, चेन्नई और मुंबई से हजारों प्रतिभागियों ने भाग लियायह कार्यक्रम बीते रविवार को कांतीरावा आउटडोर स्टेडियम के पास हुआ थावीडियो में प्रतिभागियों को सड़कों पर मार्च करते हुए गौरव ध्वज और तख्तियां ले जाते हुए दिखाया गया है

बेंगलुरु:बेंगलुरु में गौरव मार्च हाल ही में संपन्न हुआ, जिसमें कर्नाटक, दिल्ली, चेन्नई और मुंबई से हजारों प्रतिभागियों ने भाग लिया। यह कार्यक्रम रविवार को कांतीरावा आउटडोर स्टेडियम के पास हुआ। हालाँकि, शुक्रवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया, जिससे उपयोगकर्ताओं में आक्रोश फैल गया, जिसमें प्रतिभागियों को "आजादी" के नारे लगाते हुए दिखाया गया।

व्यापक रूप से प्रसारित वीडियो में प्रतिभागियों को सड़कों पर मार्च करते हुए गौरव ध्वज और तख्तियां ले जाते हुए दिखाया गया है। एक प्रतिभागी ने "आजादी" के नारे लगाए, जिसके तुरंत बाद अन्य लोग भी इसमें शामिल हो गए। कई प्रतिभागियों को "मनुवाद से आज़ादी," "ब्राह्मणवाद से आज़ादी," और "हिंदुत्ववाद से आज़ादी" के नारे लगाते देखा जा सकता है।

वीडियो की कुछ सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने आलोचना की। एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक उपयोगकर्ता ने कहा, "'हिंदुत्व से आजादी'- बेंगलुरु में गौरव मार्च। सभी जेएनयू छात्र बेंगलुरु चले गए।" वहीं दूसरे यूजर ने लिखा, "बेंगलुरु के गौरव मार्च का एक वीडियो जहां "हिंदुत्व से आज़ादी" के नारे लगाए जा रहे हैं। इस तरह के मार्च में इस नारे की क्या प्रासंगिकता है? आप सभी "लिंग-समानता" के नाम पर किसका एजेंडा फैलाने की कोशिश कर रहे हैं?"

जबकि एक अन्य यूजर ने लिखा, "बेंगलुरु में 'हिंदुत्व से आजादी' गौरव मार्च? ऐसा लगता है कि कुछ लोग अपना रास्ता खो चुके हैं, अपनी जड़ों से 'आजादी' मांग रहे हैं। हो सकता है कि वे बिना किसी सुराग के झुंड का पीछा कर रहे हों।"

बता दें कि "आजादी" के नारों को 2016 में लोकप्रियता मिली जब जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र कन्हैया कुमार (अब कांग्रेस नेता) ने एक विरोध प्रदर्शन के दौरान कथित तौर पर उनका इस्तेमाल किया। हिंदुस्तान टाइम्स की मार्च 2016 की रिपोर्ट के अनुसार, इस मंत्र की शुरुआत नारीवादी कमला भसीन ने पितृसत्ता के खिलाफ की थी। 

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