Galwan Valley Clash में China के 45 सैनिक मारे गए थे, जानें Dragon क्यों चुप रहा| India-China Standoff
By गुणातीत ओझा | Published: February 12, 2021 01:08 AM2021-02-12T01:08:25+5:302021-02-12T01:09:13+5:30
गलवान घाटी (Galwan Valley) में बीते साल 15 जून को भारत (India) और चीन (China) के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में दोनों तरफ से कई सैनिक मारे गए थे।
गलवान घाटी में चीन के 45 सैनिक मारे गए थे
Galwan Valley Clash Chinese Casualties: गलवान घाटी (Galwan Valley) में बीते साल 15 जून को भारत (India) और चीन (China) के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में दोनों तरफ से कई सैनिक मारे गए थे। भारत की तरफ से बयान जारी कर कहा गया था कि इस हिंसक झड़प में हमारे 20 सैनिक शहीद हो गए थे। लेकिन चीन की तरफ से उनके सैनिकों की मौत के आंकड़े के बारे में अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। अब रूस सामाचार एजेंसी TASS ने चीन के बारे में बड़ा खुलासा किया है। TASS का दावा है कि 15 जून को गलवान घाटी झड़प में कम से कम 45 चीनी सैनिक मारे गए थे। इस घटना के बाद से वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों के बीच लगातार तनाव की स्थिति बनी हुई है।
TASS ने ही भारतीय और चीनी सैनिकों के पैंगोंग त्सो झील के पास से सैनिकों की वापसी की बात का दावा किया था। दोनों देश के बीच हुए समझौते के मुताबिक सैनिक धीरे-धीरे पीछे हट रहे हैं। बाद में सैनिकों की वापसी की खबर की पुष्टि चीनी रक्षा मंत्रालय ने भी की थी। चीनी रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि कमांडर स्तर की नौवें दौर की वार्ता के दौरान दोनों देशों के बीच सैनिकों को पीछे हटाने पर सहमति बनी थी।
चीन ने इस डर से नहीं बताया था मौतों का आंकड़ा
बता दें कि गलवान हिंसा के समय भारत ने जहां अपने सैनिकों के मारे जाने की संख्या बताई, वहीं चीन ने अब तक उस पर चुप्पी साधे रखा था। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक उस समय चीन और अमेरिका के बीच एक अहम बैठक होनी थी, इसको देखते हुए चीन ने पूरी घटना को कम करके दिखाने की कोशिश की। इसी रणनीति के तहत चीन ने अपने हताहत सैनिकों की संख्या को जारी नहीं किया और पूरे मामले पर चुप्पी साधे रहा। इस बीच पीएलए के एक सोर्स ने बताया कि पेइचिंग अपने सैनिकों की मौत को लेकर 'बेहद संवेदनशील' है। उन्होंने कहा कि सैनिकों की मौत के आंकड़े को चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग अपनी स्वीकृत करेंगे।
रेजांग ला और रेचिन ला में दोनों ही सेनाएं आमने-सामने
रूसी समाचार एजेंसी का खुलासा भी इस तथ्य की पुष्टि करता है। इस समय पूर्वी लद्दाख के देपसांग, पैंगोंग झील के नॉर्थ और साउथ बैंक, पेट्रोलिंग प्वाइंट 17A, रेजांग ला और रेचिन ला में दोनों ही सेनाएं आमने-सामने हैं। गलवान हिंसा से सबक लेकर भारत ने चीन को साफ कह दिया है कि हमारे सैनिक खुद की सुरक्षा और पूर्वी लद्दाख में अपनी सीमा की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। भारत ने बिल्कुल स्पष्ट भाषा में चीन से कहा कि अगर क्षेत्र में हालात नियंत्रण से बाहर हुए तो हमारे सैनिक गोलियां चलाने से नहीं हिचकेंगे।
एलएसी पर हालात हो रहे सामान्य
आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में एलएसी के हालात के बारे में बाताते हुए कहा कि फ्रिक्शन क्षेत्रों में डिसइंगेजमेंट के लिए भारत का यह मत है कि 2020 की फॉरवर्ड डिप्लॉयमेंट जो एक-दूसरे के बहुत नजदीक है वे दूर हो जाएं और दोनों सेनाएं वापस अपनी-अपनी स्थाई एवं मान्य चौकियों पर लौट जाएं। बातचीत के लिए हमारी रणनीति तथा दृष्टिकोण प्रधानमंत्री मोदी के इस दिशा निर्देश पर आधारित है कि हम अपनी एक इंच जमीन भी किसी और को नहीं लेने देंगे। हमारे दृढ़ संकल्प का ही यह फल है कि हम समझौते की स्थिति पर पहुंच गए हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि सितंबर, 2020 से लगातार सैन्य और राजनयिक स्तर पर दोनों पक्षों में कई बार बातचीत हुई है कि इस डिसइंगेजमेंट का परस्पर स्वीकार्य करने का तरीका निकाला जाए। अभी तक वरिष्ठ कमांडर के स्तर पर 9 राउंड की बातचीत हो चुकी है।