देश के एक प्राइमरी स्कूल में लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने और उसे तकनीक से जोड़ने की कोशिशों के कारण महाराष्ट्र के एक ग्रामीण शिक्षक को ग्लोबल टीचर प्राइज मिला. 32 साल के विजेता रंजीत सिंह दिसाले को इसके तहत 10 लाख डॉलर यानी 7 करोड़ 38 लाख रुपए) का पुरस्कार मिला. दिसाले अब इस राशि को आधा हिस्सा अपने साथियों को देने का एलान कर चुके हैं.महाराष्ट्र के सोलापुर में बुरी तरह से सूखाग्रस्त गांव में जिला परिषद प्राइमरी स्कूल के टीचर दिसाले को उनकी कोशिशों के कारण दुनिया के सबसे अद्भुत टीचर का अवॉर्ड मिला. रं
जीत अंतिम दौर में पहुंचे दस प्रतिभागियों में विजेता बनकर उभरे हैं. ये पुरस्कार हर साल दिया जाता है. इसकी शुरुआत वारके फाउंडेशन ने 2014 में की थी और इसके तहत उन शिक्षकों को ये सम्मान दिया जाता है जिन्होंने अपने काम में उत्कृष्ट योगदान दिया हो. ग्लोबल टीचर प्राइज जीतने पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी ने भी उन्हें बधाई दी.
ये कहनो कहानी शुरू होती है महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के पारितेवादी गांव से. साल 2009 में दिसाले जब वहां के प्राइमरी स्कूल पहुंचे तो स्कूल के हाल बेहाल थे. स्कूल की बिल्डिंग बहुत बुरी हालत में थी. ऐसा लग रहा था की ये बिल्डिंग जानवरों के रखने और स्टोर रूम के काम आती थी. लोगों को अपने बच्चों और खासकर लड़कियों को पढ़ाने में कोई दिलचस्पी नहीं थी क्योंकि उनका मानना था कि इससे कुछ बदलने वाला नहीं.
दिसाले ने इसे बदलने का जिम्मा लिया. घर-घर जाकर बच्चों के पेरेंट्स को पढ़ाई के लिएरेडी किया. बस इतना ही काम काम नहीं था. इसके साथ ही एक और समस्या थी कि लगभग सारी किताबें अंग्रेजी में थीं. दिसाले ने तब एक-एक करके किताबों का मातृभाषा में अनुवाद किया, बल्कि उसमें तकनीक भी जोड़ दी. ये तकनीक थी क्यूआर कोड देना ताकि स्टूडेंट वीडियो लेक्चर अटेंड कर सकें और अपनी ही भाषा में कविताएं-कहानियां सुन सकें. इसके बाद से ही गांव और आसपास के इलाकों में बाल विवाह की दर में तेजी से गिरावट आई.
महाराष्ट्र में किताबों में क्यूआर कोड शुरू करने की पहल ही सोलापुर के इस शिक्षक ने की. इसके बाद भी दिसाले रुके नहीं, बल्कि साल 2017 में महाराष्ट्र सरकार को ये प्रस्ताव दिया कि सारा सिलेबस इससे जोड़ दिया जाए. इसके बाद दिसाले की ये बात पहले प्रायोगिक स्तर पर चली और तब जाकर राज्य सरकार ने घोषणा की कि वह सभी श्रेणियों के लिए राज्य में क्यूआर कोड पाठ्यपुस्तकें शुरू करेगी. अब तो एनसीईआरटी ने भी ये घोषणा कर दी है.
लंदन में हुए पुरस्कार की घोषणा के कुछ देर बाद दिसाले ने कहा कि वह अपनी पुरस्कार राशि का आधा हिस्सा अपने साथी प्रतिभागियों के बीच बाटेंगे. उन्होंने कहा कि उनके दुनिया भर के 10 साथी फाइनलिस्ट के अतुल्य कार्य के लिए वे ये करीब 7 करोड़ की इनाम राशि उनके साथ बाटेंगे. कोरोना के कारण इस कार्यक्रम को ऑनलाइन आयोजित किया गया था.
इसी के साथ वे ग्लोबल टीचर प्राइज के इतिहास में पहले ऐसे शख्स बनेंगे जो अपनी इनामी राशि बाटेंगे. दिसाले ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने शिक्षा और संबंधित समुदायों को कई तरह से मुश्किल स्थिति में ला दिया। हालांकि, इस मुश्किल घड़ी में भी शिक्षक यह सुनिश्चित करने के लिए पूरा प्रयास कर रहे हैं कि हर विद्यार्थी को अच्छी शिक्षा मिल सके.
दिसाले कहा कि शिक्षक इस दुनिया में असल में बदलाव लाने वाले लोग होते है जो चॉक और चुनौतियों को मिलाकर अपने विद्यार्थियों की जिंदगी को बदल रहे हैं. वे हमेशा देने और शेयर करने में विश्वास करते हैं.
उन्होंने कहा, 'इसलिए मुझे भी ये घोषणा करते हुए बहुत खुशी हो रही है कि मैं भी इस पुरस्कार राशि का आधा हिस्सा अपने साथी प्रतिभागियों में उनके शानदार कार्य के लिए सम्मान के तौर पर बांटूंगा. मेरा मानना है कि साथ मिलकर हम दुनिया को बदल सकते हैं क्योंकि साझा करना ही आगे बढ़ना है.'