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कोरोनावायरस का एक मरीज 30 दिन में इतने लोगों को बीमार कर सकता है

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 7, 2020 11:59 PM2020-04-07T23:59:34+5:302020-04-08T00:00:00+5:30

 

आईसीएमआर के एक अध्ययन में पाया गया है कि अगर लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिग या कहे सामाजिक मेल जोल से दूरी बरतने के नियमों का पालन नहीं हुआ तो कोरोना वायरस का एक मरीज 30 दिनों में 406 लोगों को संक्रमित कर सकता है. स्वास्थ्य मंत्रालय  ने कहा कि एहतियाती उपाए किए जाने पर संक्रमण की आशंका इसी अवधि में प्रति मरीज महज ढाई व्यक्ति रह जाएगी.  भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद यानि आईसीएमआर के अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि मौजूदा ‘आरओ’ कोरोना वायरस के संक्रमण का औसत कहीं-कहीं 1.5 और चार के बीच है. आरओ एक गणितीय शब्दावली है  जिससे इससे पता चलता है कि महामारी का किस तरह फैल रही है . इन आंकड़ों से पता चलता है कि एक संक्रमित व्यक्ति से औसतन कितने लोग संक्रमित होंगे.  मौजूदा लॉकडाउन और सोशल डिस्टेसिंग से दूरी को रेखांकित करते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि अगर लॉकडाउन लागू नहीं हो और सामाजिक दूरी बनाए रखने के नियमों का पालन नहीं हो तो आरओ 2.5 होने पर एक संक्रमित व्यक्ति 30 दिनों में 406 लोगों को संक्रमित कर सकता है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने सामाजिक दूरी बरतने और लॉकडाउन के आदेश का पालन करने की अपील करते हुए कहा कि कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है. 

 स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक देश में मंगलवार को कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले बढ़कर 4421 हो गये जबकि इससे हुयी मौत का आंकड़ा 117 पर पहुंच गया है. पिछले 24 घंटों में संक्रमण के 354 नये मामले सामने आये हैं, जबकि इस दौरान आठ लोगों की मौत हुयी। वहीं, 326 मरीजों को इलाज के बाद स्वस्थ होने पर अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी. मंत्रालय ने संक्रमित मरीजों को बीमारी की गंभीरता के अनुरूप इलाज मुहैया कराने के लिये चिकित्सा सुविधाओं को तीन श्रेणियों में बांटकर इलाज की व्यवस्था शुरु करने का फैसला किया है।  उन्होंने बताया कि संक्रमण के शुरुआती दौर वाले ऐसे मरीज जिनकी हालत गंभीर नहीं है, उनके लिये ‘कोविड-19 केयर सेंटर’ बनाये जायेंगे। इनमें संक्रमण के संदिग्ध मरीजों को भी रखा जायेगा। ये सेंटर सरकारी इमारतों या होटल, लॉज या स्टेडियम आदि स्थानों पर बनाये जायेंगे, जिन्हें स्थानीय कोविड-19 अस्पतालों से संबद्ध किया जायेगा। जिससे जरूरत पड़ने पर मरीजों को इन अस्पतालों में तत्काल भेजा जा सके. 

 दूसरी श्रेणी में वो संक्रमित मरीज शामिल होंगे जो पहले से डायबिटीज़ या हृदय रोग सहित अन्य बीमारियों से पीड़ित हैं, या संक्रमण के कारण जिनकी हालत थोड़ी गंभीर है। इनके लिये ‘डेडीकेटिड कोविड-19 हेल्थ सेंटर’ बनाये जायेंगे.  ये सेंटर किसी अस्पताल में ही बनेंगे. तीसरी श्रेणी में ‘डेडीकेटिड कोविड अस्पताल’ में गंभीर रूप से संक्रमण के शिकार मरीजों का इलाज होगा. स्वास्थ् मंत्रालय ने कहा कि  संक्रमण को रोकने के लिये लागू किये गये लॉकडाउन एकमात्र प्रभावी उपाय है और संक्रमण से बुरी तरह प्रभावित इलाकों में लॉकडाउन का पालन सख्ती से कराने एवं सघन निगरानी तंत्र की मदद से इसे नियंत्रित करने में मदद मिल रही है।  उन्होंने कहा कि इस रणनीति के परिणामस्वरूप कोरोना संक्रमण से सर्वाधिक प्रभावित इलाकों यानि हॉट स्पॉट के रूप में चिन्हित किये गये आगरा, नोएडा, पूर्वी दिल्ली, भीलवाड़ा और मुंबई में लॉकडाउन के उपाय का असर दिखने लगा है और इन क्षेत्रों में स्थिति में सुधार आ रहा है.   

 

 

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